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भारत-चीनः सूचना आवाजाही पर रोक

भारत का चीन के खिलाफ प्रभावी कदम उठाना सही रास्ता होगा। लेकिन यह कदम दोनों तरफ सूचनाओं का अंधकार कर देना कतई नहीं हो सकता। इसलिए चीन और भारत दोनों को इस मामले में तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए।

कहा जाता है कि कूटनीति की जरूरत वहां अधिक होती है, जहां रिश्ते अच्छे ना हों। इसी तरह उस पक्ष के बारे में जानना ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है, जिससे किसी देश के हितों को नुकसान पहुंचने की ज्यादा आशंका हो। लंबे समय से बनी और समय की कसौटी पर खरी उतरी इस समझ की रोशनी में देखें, तो यह खबर गहरी चिंता पैदा करती है कि भारत और चीन ने एक दूसरे के पत्रकारों को अब लगभग पूरी तरह अपने-अपने यहां से निकाल दिया है। भारत में बचे आखिरी चीनी पत्रकार का वीजा भी खत्म हो गया है। चीन ने बीते हफ्ते आरोप लगाया कि भारत सरकार ने चीनी पत्रकारों के वीजा की अवधि बेवजह ही कम कर दी और मई 2020 के बाद से वीजा जारी नहीं किए हैं। लगे हाथ उसने माना कि चीन ने भी ऐसा ही किया है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा- ‘हमारे पास अब उचित कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।’ यह खबर अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक विशेष रिपोर्ट से चर्चा में आई। अखबार ने बताया कि भारत और चीन एक दूसरे के पत्रकारों पर कार्रवाई कर रहे हैं।

दोनों देशों से एक दूसरे के पत्रकार अब लगभग पूरी तरह से निकाल दिए गए हैं। इससे पहले मई में भारत सरकार ने चीन के सरकारी मीडिया संस्थानों के लिए काम करने वाले दो पत्रकारों को वीजा देने से इनकार कर दिया था। तब तक भारत के चार पत्रकार अब भी चीन में काम कर रहे थे। लेकिन उनमें से दो को लौटने के लिए वीजा नहीं दिया गया। तीसरे को बताया गया है कि उसका पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। फिलहाल, एक पत्रकार वहां है, लेकिन बताया जाता है कि जल्द ही उसकी भी वापसी होने वाली है। बेशक 2020 से भारत और चीन के बीच रिश्तों में तनाव है। इस सिलसिले में भारत का चीन के खिलाफ प्रभावी कदम उठाना सही रास्ता होगा। लेकिन यह कदम दोनों तरफ सूचनाओं का अंधकार कर देना कतई नहीं हो सकता। इसलिए चीन और भारत दोनों को इस मामले में तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए।

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