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नेतन्याहू ने बांट दिया यहूदियों का दिल-दिमाग!

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चाहे कुछ समय के लिए ही सही परन्तु आखिरकार बेंजामिन नेतन्याहू को झुकना पड़ा। लेकिन इसे लोकतंत्र की जीत मानना भूल होगी। सोमवार को देर शाम नेतन्याहू नेटीवी पर अपने लाईव संबोधन में संसद में न्यायिक सुधारों पर फैसले को रोकने की घोषणा की। उनका भाषण नाटकीयता से भरपूर था। आम लोगों में अपनी लोकप्रियता बनवाए रखनो के लिए कस्टमाईज्ड था। उन्होंने इजराइल में जनता के दो फाड़ होने की तुलना उस कहानी से की जिसमें बच्चे की असली मां का पता लगाने के लिए सुलैमान बच्चे को दो टुकड़ों में काटने का हुक्म देता है।

बेंजामिन नेतन्याहूउर्फ किंग बीबी, लोकलुभावन बातों, नारों और निर्णयों में विश्वास करने वाले इजराइल के सुपरहिट पोपुलिस्ट नेता रहे है। पर अब वे देश और विदेश दोनों में घृणास्पद। अब वे यहूदियों के विभाजक, लोकतंत्र विरोधी खलनायक नेता है। वे 15 साल से अधिक सत्ता में रह चुके हैं और सत्ता के नशे की गिरफ्त में है। अब सत्ता के बिना रह पाना उनके लिए संभव नहीं है। जिस तरह प्रधानमंत्री पद से उनकी विदाई अस्थाई थी उसी तरह सुधारों पर उनकी रोक भी अस्थायी है। बीबी को उम्मीद है कि देश में जो उबाल आया है, वह पासओवर (एक यहूदी त्यौहार) और उसके बाद के चंद हफ्तों में ठंडा पड़ जाएगा और तब उन्हें अपने आप को और अपनी सत्ता को बचाने का समय मिल जाएगा। उनके लिए देश को बचाने से अधिक जरूरी खुद को बचाना है।

बीबी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और उन पर मुकदमे चल रहा है। इसके चलते उन्हें लोकतंत्र में स्वंतत्र वजूद वाली न्यायपालिका से खासी एलर्जी है। इजराइल में बढ़ते जनाक्रोश से दुनिया में भी चिंता है। बीबी इसलिए भी दुःखी हैं क्योंकि उनकी छवि और प्रतिष्ठा पर आंच आई है। छठवीं बार सत्ता में आने के बाद उनके लक्ष्यों में ईरान के बढ़ते क़दमों को रोकना, जीवनयापन के लिए जरूरी खर्च घटाना, देश की सुरक्षा और शासन व्यवस्था को पहले जैसा बनाना और अरब देशों के साथ शांति प्रस्तावों को विस्तार देने की प्राथमिकता थी। परंतु इनमें से कुछ भी हासिल नहीं हो सका है। बल्कि उनकी काबिलियत पर अब प्रश्नचिन्ह हैं।

नेतन्याहू के जीवनी लेखक और ‘हारेत्ज’ नामक अखबार, जो इजराइल का प्रमुख और काफी हद तक स्वतंत्र अखबार है, में स्तंभलेखक अंशेल फेफर ने ‘गार्जियन’ से कहा, ‘‘पहले बीबी के इस तरह से पीछे हटने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। वे कभी हालात को इस हद तक बिगड़ने ही नहीं देते कि चीज़ें उनके हाथ से निकल जाएं।”

बीबी अपनी राजनैतिक चतुराई के लिए जाने जाते हैं। उन्हें लोगों के मन की बात पढ़ना आता है और वे बहुत धूर्तता से जनभावनाओं का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए करना जानते हैं। इसलिए जब इजराइल में विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ने लगे तो देश के अंदर और बाहर लोग आश्चर्य में है। नेतन्याहू यह समझ ही नहीं सके कि जनता में उनके खिलाफ कितना गुस्सा है और यह भी कि उनके स्वयं के सत्ताधारी गठबंधन में उन्हें पूर्ण समर्थन प्राप्त नहीं है। उन्होंने अपने रक्षामंत्री योव गेलेंट को बर्खास्त किया। वह इसलिए क्योंकि गेलेंट ने नए कानून के कारण सेना में मचे हंगामे और रिजर्व सैनिकों की अपनी सेवाएं न देने की घोषणा के मद्देनज़र नए कानून को कुछ समय के लिए रोकने की मांग की थी। इन सबसे नेतन्याहू की राजनैतिक कमजोरी और अयोग्यता जाहिर हुई, जो पहले कभी नहीं देखी गई थी।

जाहिर है कि किसी भी चीज की अति नुकसानदेह होती है और किस्मत हमेशा किसी का साथ नहीं देते।

पर लगता है वे इतनी जल्दी हार नहीं मानेंगे। हाँ, वे अपने इरादों को हासिल करने की समय सीमा जरूर बढ़ा देंगे। वे अब थोड़ा हौले-हौले चलेंगे। अभी के लिए शायद वे यह मंजूर कर लें कि केनेसेट (संसद) को साधारण बहुमत से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को रद्द करने का अधिकार न दिया जाए। परंतु वे जजों के चयन में कार्यपालिका के अधिक हस्तक्षेप को संभव बनाने वाले कानून लागू करेंगे। साथ ही अदालतों को इजराइल के बेसिक लॉस की चौकसी करने के अधिकार से वंचित कर देंगे।

अब तक बीबी न्याय व्यवस्था में परिवर्तन के देश में विरोध से निपटने में बहुत रूचि नहीं ले रहे थे क्योंकि यह उनका व्यक्तिगत एजेंडा नहीं था। यह लिकुड पार्टी के उनके साथी, न्याय मंत्री यारिव लेविन और रिलीजियस जायोनिस्ट पार्टी के एमके सिमचा रोटमेन, जो केनेसेट की न्याय और विधि समिति के अध्यक्ष हैं, की प्राथमिकता है। ये दोनों लंबे समय से इजराइल की शीर्षतम अदालत से विचारधारा के स्तर पर घोर नफरत करते हैं। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट को जरूरत से ज्यादा शक्तियां प्राप्त हैं और वह दक्षिणपंथियों के विरूद्ध पूर्वाग्रहग्रस्त है। यह सही है कि प्रस्तावित सुधार बीबी को जेल से बाहर रखने में मदद करेंगे परंतु अनेक झंझावातों से सुरक्षित निकल चुके नेतन्याहू जानते हैं कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के कई तरीके होते हैं।

समस्या यह है कि वक्त बीबी का साथ नहीं दे रहा है। प्रस्तावित कानून को मुल्तवी रखने से मिली राहत अस्थायी है और देश में उनकी स्थिति बहुत मजबूत नहीं है। ऐसा बताया जाता है कि बीबी ने कई हफ्तों तक यह प्रयास किया कि विपक्ष के साथ उनकी सुलह हो जाए परंतु वे इस स्थिति में नहीं हैं कि अपने बेलगाम अति-दक्षिणपंथी साथियों को बाहर का रास्ता दिखला कर नई सरकार बना सकें। नया चुनाव तो वे कतई नहीं चाहते। उनकी विश्वसनीयता में जबरदस्त कमी आई है और वे अपना जादू खो चुके हैं। अगर फिर से चुनाव हुए तो उनकी स्थिति अभी से खराब ही होगी।

मात्र तीन महीनों में बीबी की प्राथमिकताओं का उनके नस्लवादी और अपराधी साथियों ने सत्यानाश कर दिया है। इजराइल की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है। उसकी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति को बट्टा लगा है। ईरान अब भी बड़ा खतरा बना हुआ है और फिलिस्तीनियों और अरब देशों से रिश्ते और तनावपूर्ण हुए हैं।

केवल तीन महीनों में बीबी ने यह साबित कर दिया है कि वे विवेकी शासक नहीं हैं। जेसिंडा अर्डेन और निकोला स्टर्जन ने अपने पदों से इसलिए इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उन्हें लगा कि वे देश को विभाजित कर रहीं थीं। परंतु बीबी शायद ही ऐसा करें। केवल एक व्यक्ति की सत्ता की लिप्सा ने इजराइल को अराजकता में धकेल दिया है। समस्या जहां से शुरू हुई थी वहां वापस लौटना आसान नहीं होगा, जब तक कि नेतन्याहू को यह अहसास नहीं हो जाता कि उन्हें एक बुद्धिमान और विवेकपूर्ण शासक की तरह व्यवहार करना चाहिए। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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