बेबाक विचार

अब संभव ही नहीं ‘भारत जोड़ो’!

Share
अब संभव ही नहीं ‘भारत जोड़ो’!
राहुल गांधी नादान हैं। नासमझ और पप्पू हैं। तभी वे भारत जोड़ने की फिजूल बात कर रहे हैं। वे आठ साल से मोदी राज में हैं फिर भी उन्हें न्यू इंडिया की रियलिटी और हिंदुओं की चाहना नहीं समझ आई। उन्हें समझना चाहिए कि उनके पूर्वजों और कांग्रेस ने 75 साल बरबाद किए जो देश को एक बनाना चाहा। हिंदू-मुसलमानों को जोड़ना चाहा। जातियों-धर्म के भेद को मिटाना चाहा। आधुनिकता के पश्चिमी आइडिया में कलियुगी हिंदुओं की गोबर संस्कृति को नहीं अपनाया। उन्होंने भारत बनाया। न कि बिना मुसलमान, बिना सेकुलर, बिना चरित्र, बिना इंसानियत और बिना ज्ञान-विज्ञान तथा आधुनिकता का ‘न्यू इंडिया’  सोचा। नेहरू, इंदिरा, राजीव, नरसिंह राव, मनमोहन सिंह जैसे कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने हिंदुओं से धोखा किया। उन्हें दिलों को जोड़ने के झूठं मंत्र दिए। पानीपत की तीसरी लड़ाई बनवा कर भारत का शुद्धिकरण नहीं कराया। उलटे मुसलमानों, पाकिस्तानियों, गद्दारों, सेकुलरों, वामपंथियों की टुकड़े-टुकड़ां गैंग को सिर पर बैठाया! हां, तभी तो हिंदू भक्तों को अब प्राप्त है उनके मन के भगवान नरेंद्र मोदी! वे भगवान जिनकी छाती छप्पन इंची है। जिनमें भारत के अशोक स्तंभ में खूंखार शेर की आत्मा प्रवेश कराने की ताकत है। जो सर्वज्ञ है। जिनके हाथों में वह सुदर्शन चक्र है, जिससे विधर्मियों की, जयचंदों की, उन लोगों, उन दिमागों की गरदनें कटनी हैं जो पचहतर सालों से हिंदुओं को भटकाते आ रहे हैं। वे लोग राजनीति में ईमानदारी, शुचिता, चरित्र, नैतिक मूल्यों को लिवाने के पाठ पढ़ाए। कलियुगी हिंदुओं को सांप-सपेरों की जहालत से बाहर निकाला और इस कारण उन्हें विश्वगुरू नहीं बनने दिया। ऐसे लोगों को मिटाना ही नरेंद्र मोदी और उनके भक्तों का संकल्प है। जहरीले सांपों को खत्म करना है। पानीपत की तीसरी लड़ाई के लिए देश को तैयार करना है। उन गद्दार हिंदुओं के मनोबल को तोड़ना है जो बुद्धि बघारते हैं, भविष्य की चिंता करते हैं। जो भक्त बनने की बजाय भगवान पर ऊंगली उठाते हैं। जो भय और भूख की जगह निर्भयता और पुरुषार्थ को नागरिक जीवन की अनिवार्यता बताते हैं। जो आरती, चरण वंदना और भगवानजी के दरवाजे मत्था नहीं टेके रहते। जो नास्तिक हैं। पहले ऐसे लोगों को भगाना है। पाकिस्तान भेजना है। मारना है। उनके पीछे लंगूरों, ट्रोल सेना को, सीबीआई-ईडी-इनकम टैक्स को छोड़ देना है, इनसे उन्हें नुचवाना है। यहीं राष्ट्र धर्म है, राष्ट्र कर्तव्य है। इसी से फिर कर्तव्य पथ पर लाठी लिए, उस्तरे लिए, नगाड़े लिए लंगूरों, ट्रोल सेना, चारणों और गोदी मीडिया के पथ संचलन का भारत वैभव है। हिंदुओं की आन, बान और शान है। भारत तभी बनेगा, हिंदुओं का मनोरथ तभी पूरा होगा जब भगवानश्री मोदी का फरसा भारत के कोने-कोने में बसे-छुपे विधर्मियों-विरोधियों का संहार करेग। तभी भारत एकसूत्र होगा। उनका न्यू इंडिया साकार होगा। हिंदू धर्म की गाथा में नरेंद्र मोदी हिंदु धर्म के रियल कल्कि अवतार होंगे। हिंदुओं की विश्व गुरूता बनेगी। सोचें, ऐसा है मोदीजी का महान कर्तव्य पथ! भक्त हिंदुओं का परिवर्तनकारी काल। जबकि ‘पप्पू’ राहुल गांधी क्या बात कर रहे हैं? केरल से कन्याकुमारी की पदयात्रा करके लोगों से कह रहे हैं भारत जोड़ो! कैसे नासमझ हैं राहुल गांधी! तभी कांग्रेसियों समझो। जरा सीखो नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पाठशाला से। अपनी पुरानी भूले सुधारो। संस्कारों को छोड़ो। बड़ों का मान-सम्मान, कायदे-कानून छोड़ो। बुलडोजर की राजनीति करो। समझो कि लोकतंत्र हिंदुओं के लिए खरीदने और बिकने की एक हाट है। दलबदल, तोड़फोड़ से सत्ता पाना असली चमत्कारी नुस्खा है। लोकतंत्र दुहने की गाय है। नागरिकों को मूर्ख बनाने का स्वांग है। हां, समझें कि तोड़ेंगे तो वोट पाएंगे। सत्ता पाएंगे। पहले तोड़ो, खरीदों, मारो, गालियां दो, प्रताड़ित करो, डंडा दिखाओ तभी तो कांग्रेस भी जिंदा हो सकेगी।? भारत भूमि को पहले शुद्ध होना है। पहले नरबली चढ़ानी है। गालियां देनी हैं, ट्रोल करना है, बुद्धि का हरण करना है। लोगों को बेजुबान भक्त बनाना है। विधर्मियों-विरोधियों की छाती पर मूंग दलना है। उन्हें भगाना है। तोड़ना है तभी तो पानीपत की तीसरी लड़ाई का सपना साकार होगा। कर्तव्य पथ का उसका पथ संचलन बनेगा। इसलिए राहुल गांधी छोड़ो जोड़ने की बात। वक्त तोड़ने, मारने, खत्म करने, खरीदने का है। तोड़ना है, खरीदना है, डराना है 140 करोड़ लोगों के दिल-दिमाग को। देखा नहीं दो दिन पहले ही उज्जैन में महाकाल मंदिर से अभिनेता रणबीर कपूर-आलिया भट्ट को कैसे नकली हिंदू करार करके भगाया। यहीं है नव निर्माण। ऐसे ही भारत का, गद्दार हिंदुओं का शुद्धिकरण होगा। पिछले आठ सालों में बॉलीवुड के खान टूटे, कपूर भी टूट गए होंगे और न जाने कितनों पर सुदर्शन चक्र चलना और बाकी है। इस सबसे है न्यू इंडिया निर्माण। तोड़ना है राष्ट्रधर्म। बुल़डोजर है राष्ट्रकर्म। तभी फिल्म, कला-साहित्य-संस्कृति पर कैसे बुलडोजर चल रहे हैं। खान-पान पर विभाजन तो असली बनाम नकली हिंदू, देशद्रोही बनाम देशभक्त, हिंदू बनाम सेकुलर में बांटने और तोड़ने का दिन-प्रतिदिन का कैलेंडर। कभी लोकतंत्र पर हथौड़ा। कभी वह खरीद फरोख्त की मंडी तो कभी कानून-कायदों-संस्कार को खत्म करने का औजार। सत्ता संस्थाओं की ईमानदारी और उनका चरित्र तोड़ते हुए तो मीडिया को तोड़ते और गुलाम बनाते हुए। इस सबके बदले में भक्तों के थोक में वोट। इसलिए तोड़ना है आज और भविष्य का राष्ट्रवादी हिंदू मंत्र। इसलिए राहुल गांधी जाने लें कि वे नाकाम होंगे। न वे लोगों के दिल जोड़ सकेंगे और न मोदी-शाह का तोड़ने का संकल्प खत्म होगा! भारत का भविष्य तय है। लगेंगे देश के कोने-कोने, जिले-जिले में पानीपत की तीसरी लड़ाई के रण नारे। राहुल गांधी जान लें कि लोगों के दिल-दिमाग में इसकी स्क्रिप्ट, एक्शन सबकी तैयारियां हैं।
Published

और पढ़ें