बेबाक विचार

रूल ऑफ लॉ की धज्जियां

ByNI Editorial,
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रूल ऑफ लॉ की धज्जियां
तथाकथित लव जिहाद के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी सरकारों की मुहिम संक्रामक रोग की तरह फैल रही है। उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ ये अभियान कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश तक पहुंच चुका है। लेकिन इस दौरान मूलभूत संवैधानिक मूल्यों और अतीत के न्यायिक निर्णयों की पूरी अनदेखी की जा रही है। मसलन, हिमाचल प्रदेश में उन्हीं प्रावधानों को लेकर नया कानून बनाने की तरफ बढ़ा गया है, जिन्हें 2012 में हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इस बीच उत्तर प्रदेश में कई न्यायिक फैसलों में कथित लव जिहाद पर हुई कार्रवाई पर जजों ने कठोर टिप्पणियां की हैं। मसलन, अपने एक हालिया फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले युवक-युवती को एक साथ रहने की मंजूरी देते हुए कहा कि महिला अपने पति के साथ रहना चाहती है। वह किसी भी तीसरे पक्ष के दखल के बिना अपनी इच्छा के अनुसार रहने के लिए स्वतंत्र है। जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ एक बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्बस) याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे सलमान उर्फ करण ने दाखिल किया था। सलमान ने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी पत्नी (शिखा) को उसकी मर्जी के खिलाफ बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा उसके परिवार के पास भेज दिया गया है। अदालत ने कहा कि शिखा को अदालत के सामने पेश किया गया। केस डायरी के हिसाब से अदालत ने देखा कि उच्च प्राथमिक शिक्षा के हेड मास्टर द्वारा जारी प्रमाण-पत्र में उनकी जन्म तिथि 4 अक्टूबर 1999 उल्लेखित थी। इस तरह अदालत ने कहा कि आयु के निर्धारण के संबंध में किशोर न्याय अधिनियम- 2015 की धारा 94 की आवश्यकता को पूरा किया गया। लेकिन एटा के सीजेएम और सीडब्लूसी की कार्रवाई में कानूनी प्रावधानों को पूरा करने की जरूरत नहीं समझी गई। दरअसल, उत्तर प्रदेश में एक महीने पहले लागू किए गए धर्मांतरण रोधी कानून के तहत पुलिस ने अब तक लगभग 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। औसतन एक दिन में एक से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई है। अध्यादेश को 27 नवंबर को राज्‍यपाल की मंजूरी मिलने के बाद से पुलिस ने लगभग एक दर्जन से अधिक एफआईआर दर्ज की है। जाहिर है, पुलिस ऐसे मामलों में अति उत्साह दिखा रही है। जाहिर है, ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि राजनीतिक आका ऐसा ही चाहते हैँ। लेकिन इस क्रम में यही जाहिर हो रहा है कि अपने देश में रूल ऑफ लॉ के सिद्धांत की धज्जियां उड़ रही हैं।
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