बेबाक विचार

उद्धव और केजरीवाल की पौ बारह!

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उद्धव और केजरीवाल की पौ बारह!
गुजरात, कर्नाटक, उत्तराखंड में मुख्यमंत्रियों को ताश के पते की तरह फेंटने से भाजपा के तमाम मुख्यमंत्रियों की इमेज का जैसा भट्ठा बैठा है और कांग्रेस जिस दशा में है उससे अपने आप क्षेत्रीय दलों के मुख्यमंत्री चमकने लगे हैं। इस चर्चा का असर मामूली नहीं हुआ होगा कि सूरत में आप पार्टी के कमाल से नरेंद्र मोदी ने पटेल वोटों की चिंता में विजय रुपाणी को बदलने का फैसला किया। गुजरात में भाजपा सरकार फेल, उसका मुख्यमंत्री नाकारा, अलोकप्रिय नतीजतन प्रधानमंत्री मोदी को फैसला लेना पड़ा। pm modi arvind kejriwal इसके सियासी अर्थ और असर में तय मानें कि भाजपा में अब सभी प्रदेश नेता निराकार, बिना जनाधार के रहेंगे। मतलब गुजरात में बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता पाई और भविष्य का नेतृत्व बना वैसा भाजपा में कोई मुख्यमंत्री नहीं। इससे राष्ट्रीय राजनीति के मायनों में बाकी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों का ग्राफ अपने-आप ऊंचाई पा रहा है। उनका मौका बन रहा है। इसे अरविंद केजरीवाल ने बखूबी समझा है। पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा और इसके आगे के गुजरात चुनाव के लिए केजरीवाल ने जो ताना बाना बनाया है और यदि पंजाब में भाग्य से आप पार्टी जीती तो तय मानें सन् 2024 के चुनाव में अरविंद केजरीवाल की चुनौती भी नरेंद्र मोदी के आगे गंभीर होगी। यह भी पढ़ें: गुजरात का जुआ हार वाला! arvind kejriwal uddhav tachery हां, इस आकलन को हल्के में न लें। केजरीवाल ने तिरंगा उठा कर राष्ट्रवादी हिंदू का जो चोगा पहना है, दिल्ली में सस्ती बिजली-पानी की स्थायी पूंजी, अयोध्या से यूपी का चुनाव प्रचार शुरू कराना, उत्तराखंड को देव-अध्यात्म भूमि व सस्ते बिजली-पानी का वादा और पंजाब में सोनू सूद आदि के जरिए प्रचार हल्ले का रोडमैप अरविंद केजरीवाल की संभावनाओं वाला है। केजरीवाल आम हिंदू जन में हिंदू होने का मैसेज पक्का बना दे रहे हैं। उस नाते आप पार्टी को अब ‘हिंदूजन आप’ पार्टी कह सकते हैं। मतलब आम जनता के सस्ते बिजली-पानी के साथ तिरंगा उठाए हिंदुओं की पार्टी। यह ‘हिंदूजन पार्टी’ कांग्रेस के वोट खाते हुए है तो दूसरी ओर उद्धव ठाकरे व शिव सेना खाटी हिंदुओं के पुराने रूप में ‘समावेशी हिंदू पार्टी’ के नाते मोदी-भाजपा विरोधी हिंदुओं के दिल-दिमाग में पैठ रही है। उत्तर भारत के सियासी कार्यकर्ताओं में माना जाने लगा है कि भाजपा के मुख्यमंत्रियों के मुकाबले उद्धव ठाकरे की सरकार कई गुना बेहतर है। गुजरात के ठीक विपरीत कोरोना महामारी और मुंबई जैसे सुपर महानगर में ठाकरे सरकार ने कोरोना महामारी का सामना अधिक संजीदगी, ईमानदारी और पारदर्शिता से किया। झूठ नहीं बोला। फिर सबसे बड़ी बात कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाने की खुले आम जिम्मेवारी लेते हुए भी उद्धव ठाकरे एनसीपी, कांग्रेस और मुंबई के मुसलमानों का भी विश्वास बनाते हुए समावेशी राज कर रहे हैं। यह भी पढ़ें: मोदी के चेहरे पर सारी राजनीति modi amit shah यह भी पढ़ें: क्षत्रपों के लिए राज्यों में मौका हां, एक समझदार एक्टिविस्ट से मुझे यह तर्क मिला कि यदि सन् 2024 के चुनाव में प्रशांत किशोर विपक्षी पार्टियों में परोक्ष तालमेल बनवा उसके कई विकल्पों में एक विकल्प उद्धव ठाकरे की चर्चा करवा दें तो नरेंद्र मोदी के आगे अपने आप हिंदुवादियों में भी उद्धव ठाकरे को हताश-निराश हिंदूवादी वोट देंगे। मतलब 2024 के लोकसभा चुनाव में यदि मोदी विरोधी हिंदू वोटों के एकजुट वोट डलवाने हैं तो दिल्ली में ‘हिंदूजन आप पार्टी’ और बाकी जगह उद्धव ठाकरे और उनकी ‘समावेशी हिंदुवादी शिवसेना’ से नरेंद्र मोदी और हिंदुत्ववादी भाजपा को जोरदार टक्कर मिलेगी। पता नहीं ऐसा होगा या नहीं, इतना तय है कि उद्धव ठाकरे और केजरीवाल को ले कर हिंदू वोटों में कौतुक बढ़ता जा रहा है!
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