बेबाक विचार

नेपाली पीएम ने राम पर जो कहा और...

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नेपाली पीएम ने राम पर जो कहा और...
पिछले कुछ दशकों में मैंने अनुभव किया है कि जीवन में आपके तमाम काम व सफलता व असफलताएं वक्त व किस्मत के हिसाब से बनती-बिगड़ती है। कई बार जब आपका समय अच्छा चल रहा होता है तो आपके तमाम काम आसानी से बनने लगते हैं व वक्त के खराब हो जाने पर आपकी गलती के बिना ही वे बिगड़ने लगते हैं। जैंसे की मेरे घर में तमाम उपकरण खराब होने लगते हैं। गाड़ी में सफर करते समय अचानक सामने जा रही कार के पहिए के नीचे आकर उछला पत्थर मेरी कार की विंडो को तोड़ देता है। लॉकडाउन होने के कारण आप तो उसको वर्कशाप में ठीक करवाने भी नहीं जा सकते हैं क्योंकि वह उत्तर प्रदेश में आता है व वहां सरकार ने आने जाने का समय तय किया हुआ है। और तो और जब आपका समय खराब चल रहा हो तो एयरपोर्ट या स्टेशन जाते समय देर होने पर हर ट्रेफिक लाइट हरी की जगह लाल मिलती है व रास्ते में कार भी तकलीफ देने लगती है। यह सब देखकर व हाल में होने वाली घटनाओं की समीक्षा करने पर मुझे लगता है कि मेरा भाग्य भी आजकल देश के भाग्य जैसा चल रहा है। चीन से लेकर नेपाल तक हर छोटा मोटा पड़ोसी देश आंखें दिखा रहा है। इस क्रम में नेपाल द्वारा यह कहा जाना कि राम तो नेपाल में पैदा हुए थे व नेपाली थे, मुझे इस परबहुत कुछ याद आया।यों रात को भगवान कभी मेरे सामने भी नहीं आए लेकि अब मैं कुछ सोचने लगा हूं। जब किसी पहरेदार या ढाबे पर काम कर रहे नेपाली को देखता हूं तो मुझे उनमें राम की झलक नजर आ जाती है। लगने लगता है कि जैसे उनके हाथ में चाय के झूठे बर्तन ने होकर तीर-कमान है। और वे धोती-कुर्ता पहने हुए हैं। अभी तक सभी राम जन्मभूमि अयोध्या को ही उनका जन्मस्थल मान रहे थे मगर नेपाल के प्रधानमंत्री ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। अब वे सफाई देते हुए कह रहे हैं कि उनका मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करना नहीं था। मुझे याद है कि भारत में ऐसी ही बात कुछ वामपंथी संगठन कहा करते थे। जब अयोध्या में विवादित स्थल गिरा तो अर्जुनसिंह की सरकारी आर्थिक सहायता से चलने वाले एक संगठन ने तो राम सीता को भाई-बहन ही बतला दिया था। नेपाल ने भारत में हो रही विरोधी गतिविधियों के चलते ही ये आंखें दिखाना शुरू किया है। मुझे याद है कि जब नेपाल में भूकंप आया था तो उसकी मदद के लिए दौड़ने जाने वाले भारत को नेपाल ने चीन के इशारे पर हटने के लिए मजबूर कर दिया था। जब कुछ साल पहले भारत ने चीन में पेट्रोल डीजल आदि की सप्लाई पर नियंत्रण किया तो वहां की एक महिला सांसद ने मुझसे कहा था कि हम लोगों का मानना है कि भारत तो हमेशा से ही नेपाल व महिला विरोधी रहा है। पहले उसके राम ने गर्भवती सीता के साथ अन्याय करते हुए उसे इस हालात में अपने से अलग करके ऋषि के आश्रम भेज दिया था। अब भारत सरकार नेपाली ग्रहणियों को सताने के लिए खाने पकाने की गैस की किल्लत कर देगी। वह तो नेपाल है जहां के लोग सेना व पुलिस समेत किसी भी भारतीय सरकारी नौकरी में आ करके व रिटायर होने के बाद वहां से मिलने वाली सरकारी पेंशन पर जीते हैं। हम भले ही दोनों देशों के बीच रोटी बेटी का संबंध होने का राग अलफाते रहे मगर सच यह है कि वे हमें अपना नहीं मानते हैं। अब वे कभी भारतीय इलाके को अपने नक्शे में शामिल कर लेते हैं तो कभी भारत को अयोध्या में अपना हिस्सा बताते हुए नेपाली घोषित कर देते हैं। नेपाल तो क्या पिद्दी न पिद्द का शोरबा है। अब तो चीन के प्रभाव में भारत को तेल बेचने वाले ईरान ने भी आंखें दिखाते हुए वहां के सामरिक रूप से महत्वपर्णू चाबहार पोर्ट के विकास सेभारत को हटा दिया है। वहा से बाहर किया जाना भारत के लिए बहुत बड़ा धक्का है। अमेरिका से भारत की नजदीक ईरान से तेल न खरीदने के दबाव का फायदा उठाते हुए चीन ने यह कदम उठाया है। पिछले दिनों चीन ने ईरान से वादा किया था कि वह उसका सारा तेल खरीद सकता है। उसने ईरान को हथियार देने का वायदा भी किया हुआ है। यह फैसला इस दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है कि चीन इस फैसले से अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशियाई देशों तक कारोबार करने की भारतीय रणनीति को बड़ा धक्का लगेगा। वहीं ईरान ने संकेत दिया है कि चाबहार सेक्टर में चीन की कंपनियों को बड़ी भागीदारी दी जा सकती है? चीन ने भारत के पड़ोसी देशों में बड़ी जबरदस्त खैरात बांटी है व वे उसके प्रभाव में आज भारत विरोधी कदम उठा रहे हैं। इनमें श्रीलंका भी शामिल है। मुझ खतरा तो इस बात का है कि कहीं किसी दिन यह खबर न पढ़ने को मिले कि श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में जाकर रावण के वध किए जाने का राम को दोषी ठहराने के लिए याचिका डाली है। अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत में जाकर इस कांड की जांच करवाने व भारत को दोषी ठहराने की मांग वह कर सकता हैं। वो तो पाकिस्तान का राम से कुछ लेना देना नहीं था वरना वह भी अब बाबरी पर कुछ-न-कुछ कदम उठा चुका होता। देखना यह है कि कहीं नेपाल भी सीता के नेपाल से होने पर उसे दिए जाने वाले गुजरे भाते की मांग न कर दे। वह तो हमारी किस्मत अच्छी है कि उसने राम को नेपाली बता कर अयोध्या पर अपना दाव छोड़ दिया। अब देखे राम मंदिर पर वह सीता के दावे को लेकर क्या कहता है।
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