बेबाक विचार

ममता बनर्जी का मिशन

ByNI Editorial,
Share
ममता बनर्जी का मिशन
LokSabha Elections Mamata Banerjee सवाल यह है कि जो गठबंधन बनेगा, क्या वह आम मतदाताओं को आकर्षित कर पाएगा? ये बात लगभग पूरे भरोसे के साथ कही जा सकती है कि अगर बिना नीतियों का विश्वसनीय विकल्प दिए बिना ऐसा किया, तो कामयाबी संदिग्ध है। 2014 के बाद राजनीतिक विमर्श का प्रस्थान बिंदु बदल चुका है। हाल में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में तीसरी बार अपनी जीत के बाद यह स्वाभाविक है कि ममता बनर्जी में राष्ट्रीय महत्त्वाकांक्षाएं जगें और अभी बिखरे हुए विपक्ष की धुरी के रूप में वे अपने को देखें। इस बात के साफ संकेत ममता बनर्जी ने अपने दिल्ली दौरे का कार्यक्रम बताते हुए किया। जाहिर है, दिल्ली में रहने के दौरान उनका एक मिशन विपक्ष को साथ लाने का होगा, ताकि 2024 के आम चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा का कोई माकूल विपक्ष तैयार हो सके। मुमकिन है कि इस बार ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन तैयार करने में एक हद तक सफलता मिल भी जाए। इसकी कुछ जमीन तैयार करने की कोशिश उनके विश्वस्त प्रशांत किशोर कर चुके हैँ। लेकिन सवाल यह है कि जो गठबंधन बनेगा, क्या वह आम मतदाताओं को आकर्षित कर पाएगा? ये बात लगभग पूरे भरोसे के साथ कही जा सकती है कि अगर बिना नीतियों का विश्वसनीय विकल्प दिए बिना ऐसा किया, तो कामयाबी संदिग्ध है। दरअसल, ऐसी कोशिशें राजनीति के पुराने संदर्भ को ध्यान में रख कर होती हैँ। जबकि 2014 के बाद राजनीतिक विमर्श का प्रस्थान बिंदु बदल चुका है। इसमें बड़ी भूमिका सोशल मीडिया की भी रही है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा आज इसलिए सत्ता में है, क्योंकि उसने हर तरह के मीडिया का उपयोग या दुरुपयोग करते हुए एक ऐसा नैरेटिव तैयार किया है, जो बड़ी संख्या में लोगों की कल्पनाशीलता में बस गया है। पश्चिम बंगाल का हाल का चुनाव नतीजा भी इस बात का प्रमाण है। Read more खतरनाक है जातीय जन-गणना आखिर वहां भाजपा को 38 फीसदी वोट मिले। पश्चिम बंगाल लोक सभा के बाद जिन राज्यों में चुनाव हुए उनके बीच ऐसा राज्य बना जहां 2019 की तुलना में भाजपा के वोट सबसे कम घटे। इनमें सिर्फ दो प्रतिशत की गिरावट आई। फिर यह याद रखना चाहिए कि पश्चिम बंगाल में लगभग एक तिहाई अल्पसंख्यक मतदाता हैं, जो भाजपा को हराने की अपनी प्राथमिकता के तहत पूरी तरह ममता बनर्जी के पक्ष में गोलबंद हुए। तृणमूल कांग्रेस को जो बड़ी जीत मिली, असल में वह लेफ्ट-कांग्रेस की कीमत पर मिली। इसलिए यह संदिग्ध है कि पश्चिम बंगाल का फॉर्मूला बाकी देश में चलेगा, जहां अल्पसंख्यक मतदाता उतनी संख्या में नहीं हैं और जहां मुकाबले में कई कोण होते हैं। इसलिए ममता बनर्जी के मिशन के मौजूदा रूप से ज्यादा उम्मीद जोड़ने की कोई वजह नजर नहीं आती। LokSabha Elections Mamata Banerjee
Published

और पढ़ें