बेबाक विचार

संदेश और जवाबी संदेश

ByNI Editorial,
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संदेश और जवाबी संदेश
बाइडेन ने चीन को संदेश दिया। तो चीन भी चुप नहीं बैठा। बल्कि अभी। क्वैड की शिखर बैठक चल ही रही थी कि रूस और चीन के लड़ाकू विमानों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के ऊपर से साझा उड़ान भरी। टोक्यो शिखर बैठक से यह फिर साफ हुआ कि क्वाड्रैंगुलर सिक्युरिटी डायलॉग (क्वैड)  क्वैड की भूमिका या एजेंडा अभी भी स्पष्ट नहीं है। यह तो बिल्कुल साफ है कि क्वैड फिलहाल सैनिक गठबंधन नहीं है। इसलिए एशिया प्रशांत क्षेत्र में इसकी नाटो जैसी भूमिका बनने की अभी कोई संभावना नहीं है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह वार्ता का एक मंच है, जिसका मकसद इसमें शामिल देशों को इस क्षेत्र के सुरक्षा संबंधी मुख्य मुद्दों पर चर्चा करने का मंच प्रदान करना है। खासकर सुरक्षा संबंधी उन मुद्दों पर जिनका संबंध चीन से है। टोक्यो शिखर बैठक में इस समूह में शामिल चारों देशों ने बिना नाम लिए चीन के बढ़ते प्रभाव रोकने का इरादा जताया। चीन की प्रतिक्रिया से जाहिर है कि जो संदेश टोक्यो से भेजा गया, उसे उसने उसी रूप में ग्रहण किया है। दरअसल, क्वैड की बैठक से पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने ताइवान के मामले में दो टूक कहा कि ताइवान पर चीनी हमले की स्थिति में उसकी रक्षा करने के लिए अमेरिका वचनबद्ध है। हालांकि बाद ह्वाइट हाउस ने सफाई दी कि ताइवान के मामले में अमेरिकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है, कहा जा सकता है कि बाइडेन ने जो कहा उससे चीन को इस बारे में स्पष्ट संदेश देने का अमेरिकी मकसद पूरा हो गया है। बहरहाल, बात संदेश की है, तो चीन भी चुप नहीं बैठा। बल्कि अभी जबकि क्वैड की शिखर बैठक चल ही रही थी कि रूस और चीन के लड़ाकू विमानों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के ऊपर से साझा उड़ान भरी। इस घटना के के एक दिन बाद उत्तर कोरिया ने तीन मिसाइलें दाग दीं। तो यह कहा जा सकता है कि रूस, चीन, और उत्तर कोरिया ने अपने ढंग से अमेरिका को संदेश देने की कोशिश की है। उनका पैगाम है कि अगर अमेरिका और उसके साथी देशों ने इन देशों के मुख्य हित का उल्लंघन किया, तो ये देश भी युद्ध के लिए तैयार हैँ। तो बात यहां तक आ पहुंची है। एशिया प्रशांत क्षेत्र पहले से ही तनावग्रस्त है। क्वैड की ताजा बैठक ने इसे और बढ़ा दिया है। इसके आगे बात किधर जाएगी, अभी अनुमान लगाना कठिन है।
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