बेबाक विचार

नेपाल के गायब बच्चे

ByNI Editorial,
Share
नेपाल के गायब बच्चे
नेपाल में मजदूरी कराने और यौन शोषण के लिए बड़ी संख्या में बच्चों की तस्करी की जा रही है। नेपाल की सरकारी बाल सुरक्षा एजेंसी- राष्ट्रीय बाल अधिकार परिषद के मुताबिक देश में औसतन हर दिन छह बच्चे लापता होते हैं। नेपाल की यह खबर दिल को हिला देने वाली है। भारत के लिए भी यह खबर महत्त्वपूर्ण है। नेपाल हमारा पड़ोसी है और अगर वहां बच्चों को गायब करने वाला कोई बड़ा गिरोह सक्रिय हो, तो उसके प्रभाव से वे भारतीय इलाके नहीं पूरी तरह महफूज नहीं रह सकते, जिनकी सरहदें नेपाल से मिलती हैँ। नेपाल में हाल यह है कि मजदूरी कराने और यौन शोषण के लिए बड़ी संख्या में बच्चों की तस्करी की जा रही है। नेपाल की सरकारी बाल सुरक्षा एजेंसी- राष्ट्रीय बाल अधिकार परिषद (एनआरसीआर) के मुताबिक नेपाल में औसतन हर दिन छह बच्चे लापता होते हैं। उनमें से दो-तिहाई आखिरकार मिल जाते हैं, लेकिन एक-तिहाई का कोई अता-पता नहीं चलता। जुलाई 2006 से जुलाई 2022 तक कम से कम 36,612 बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई। उनमें से करीब 36 फीसदी यानी 13,353 बच्चे अब तक लापता हैं। लापता बच्चों में से 16 मृत पाए गए या मिलने के बाद उनकी मौत हो गई। जुलाई  2021 और जुलाई 2022 के बीच कम से कम 4,646 बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई। इनमें लड़कियों की संख्या 3,431 थी। उनमें 377 बच्चे अब भी लापता हैं, जिनमें 287 लड़कियां शामिल हैं। लेकिन नेपाल में मानव तस्करी का शिकार सिर्फ बच्चे ही नहीं हैं। बल्कि देश के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 35,000 लोगों को भी उस वर्ष मानव तस्करों ने अपना शिकार बनाया, जिनमें करीब 15,000 वयस्क महिलाएं थीं। एनएचआरसी के अनुसार सीमा पार के तस्करों ने ज्यादातर गरीब परिवार के बच्चों को निशाना बनाया और उन्हें यौन शोषण के लिए भारत के रेड-लाइट इलाकों में भेजा है। इसके अलावा लापता बच्चों में से कुछ से ईंट भट्ठों, होटलों, रेस्तरां और डांस बार में काम कराए जाने की आशंका है। नेपाल के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि लापता बच्चों को खोजने में सरकार की दिलचस्पी नहीं है। उन्हें यह भी अंदेशा है कि लापता होने वाले बच्चों की असल संख्या ज्यादा हो सकती है, क्योंकि संभव है कि कुछ मामले दर्ज न हुए हों।
Tags :
Published

और पढ़ें