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ईस्टर पर मोदी की अच्छी पहल

ईस्टर पर मोदी की अच्छी पहल

ईस्टर के मौके पर नरेंद्र मोदी दिल्ली के सैक्रेड हार्ट चर्च में गए, कैंडल सेरेमनी में हिस्सा लिया और देश की शांति और खुशहाली की प्रार्थना कर ईस्टर का संदेश दिया। इस चर्च में जाने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं।

राज्य के धर्मनिरपेक्ष होने की अवधारणा पर यह बहस कभी खत्म नहीं हो सकती है कि राज्य को सभी धर्मों से समान दूरी रखनी चाहिए या सभी धर्मों के प्रति समान लगाव दिखाना चाहिए। लेकिन चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदू धर्म के प्रति खुल कर अपना लगाव प्रदर्शित करते हैं, मंदिरों में पूजा करते हैं, मंदिर का शिलान्यास और लोकार्पण करते हैं साथ ही सिख धार्मिक स्थलों पर जाकर भी शीश नवाते हैं इसलिए उनसे उम्मीद की जाती है कि वे दूसरे धर्मों के प्रति भी लगाव और सम्मान दिखाएंगे। ईस्टर के मौके पर उन्होंने इस लगाव का प्रदर्शन किया। वे दिल्ली के सैक्रेड हार्ट चर्च में गए, कैंडल सेरेमनी में हिस्सा लिया और देश की शांति और खुशहाली की प्रार्थना कर ईस्टर का संदेश दिया। इस चर्च में जाने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले उन्होंने ट्विटर पर लिखा था- ईस्टर की शुभकामनाएं! यह विशेष अवसर हमारे समाज में शांति एवं सद्भाव की भावना को और गहरा करे। यह पर्व लोगों को समाज की सेवा करने और वंचितों को सशक्त बनाने में मदद करने के लिए प्रेरित करे। हम इस दिन प्रभु ईसा मसीह के पवित्र विचारों को याद करते हैं।

अगले कुछ दिनों में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय का ईद का पवित्र त्योहार आने वाला है। उम्मीद करनी चाहिए कि प्रधानमंत्री इस मौके पर उनके साथ भी ऐसा ही लगाव और सद्भाव प्रदर्शित करेंगे। असल में सरकार के सबसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह राजनीतिक मकसद से चुनिंदा तरीके से धार्मिक समुदायों और उनके त्योहारों का इस्तेमाल करेगा। प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी की बैठकों में कई बार कहा कि ईसाई और मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाने के लिए अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा है। उनकी पार्टी के कार्यकर्ता इसका प्रयास भी रहे हैं। लेकिन इस प्रयास में बुनियादी ईमानदारी होनी चाहिए।

सबने देखा कि पिछले साल देश के अलग अलग हिस्सों में चर्चों के ऊपर हमले हुए और धर्मगुरुओं को निशाना बनाया गया। इसी तरह पूरे देश में मुस्लिम समुदाय के प्रति जिस तरह से घृणा का प्रचार होता है और गौरक्षा के नाम पर जिस तरह की हिंसा होती है उसके लिए भी किसी सभ्य, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राज्य में जगह नहीं होनी चाहिए। उम्मीद करनी चाहिए कि प्रधानमंत्री ने जो पहल की है उसका मैसेज भाजपा के कार्यकर्ताओं तक जाएगा और वे सर्वधर्म समभाव की भारतीय परंपरा और संविधान की मूल भावना को समझेंगे।

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