Nso pegasus spyware software investigation यह मान कर शुरू करते हैं कि भारत सरकार ने इजराइल की संस्था एनएसओ से जासूसी का सॉफ्टवेयर पेगासस नहीं खरीदा है। भारत की किसी खुफिया या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एजेंसी ने भी यह सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा है। भारत सरकार या उसकी किसी दूसरी एजेंसी ने भी किसी की जासूसी नहीं कराई है। यह स्वीकार करने के बावजूद यह तो सच लग रहा है कि लोगों की जासूसी हुई है या कम से कम जासूसी कराने का प्रयास किया गया। क्योंकि इस बात की कोई वजह नहीं दिख रही है कि सिर्फ भारत सरकार को बदनाम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी साजिश रची गई और दुनिया के कई दूसरे देशों में जासूसी का खुलासा किया गया। दुनिया के दूसरे देशों में भी जासूसी किए जाने का खुलासा हुआ है और उन देशों ने अपने यहां जांच भी शुरू करा दी है। इसलिए पेगासस से जासूसी मामले का जो खुलासा हुआ है उसकी जांच होनी चाहिए ताकि पता चले कि किसने जासूसी कराई और उससे देश को क्या नुकसान हुआ है?
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पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए देश के जाने-माने पत्रकारों, सामाजिक व मनवाधिकार कार्यकर्ताओं, जजों, केंद्रीय मंत्रियों, अधिकारियों, कारोबारियों आदि की जासूसी होने की खबर है। इसलिए इस मामले की जांच देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है, एक संप्रभु राष्ट्र के सम्मान के लिए जरूरी है और देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। अगर भारत सरकार ने जासूसी का यह सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा है और इसे बेचने वाली कंपनी का दावा है कि वह सिर्फ संप्रभु सरकारों को यह सॉफ्टवेयर बेचती है तो इसका मतलब है कि किसी दूसरे संप्रभु राष्ट्र ने इजराइल की संस्था एनएसओ से यह सॉफ्टवेयर खरीदा और उससे भारत में जासूसी कराई। यह और ज्यादा चिंता की बात है। अगर सरकार ने खरीदा और उससे अपने लोगों की जासूसी कराई तो वह अलग चिंता है वह लोकतंत्र, लोगों की निजता और उनकी वाक-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा है लेकिन भारत सरकार की जानकारी के बगैर दुनिया के किसी दूसरे देश ने जासूसी कराई है तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़े खतरे वाली बात है।
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इस तरह की घटना फ्रांस के मामले में हुई है। पेगासस से जासूसी के जिस मामले का अभी खुलासा हुआ है उसी में पता चला है कि मोरक्को की सरकार ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की जासूसी कराई है। हालांकि मोरक्को ने इससे इनकार किया है लेकिन फ्रांस सरकार ने इसकी जांच शुरू करा दी है। राष्ट्रपति मैकों ने कहा है कि वे बार बार अपना फोन बदलते रहते हैं और सुरक्षा का ख्याल रखते हैं लेकिन अगर उनका फोन हैक किया गया और उसकी जासूसी हुई तो यह बहुत चिंता वाली बात है। इसी तरह अगर भारत सरकार ईमानदारी से यह बात कह रही है कि उसने किसी की जासूसी नहीं कराई तो ज्यादा सघन जांच होनी चाहिए, जैसी जांच फ्रांस में हो रही है। तभी पता चलेगा कि इसके पीछे भारत विरोधी कोई अंतरराष्ट्रीय साजिश तो नहीं है।
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क्या पता भारत का कोई दुश्मन देश इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा हो? अगर भारत की सरकार इनकार कर रही है और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान, एमनेस्टी इंटरनेशनल, फॉरबिडेन स्टोरीज जैसी संस्थाएं कह रही हैं कि जासूसी हुई है तो क्या पता चीन जासूसी करा रहा हो या पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी जासूसी करा रही हो? तब तो भारत के लिए यह ज्यादा जरूरी है कि इस घटना की जांच हो। भारत सघन जांच कराए। जितने लोगों के नाम जासूसी की सूची में आए हैं, उन सबके फोन जमा कराए जाएं और इस बात की जांच की जाए कि उनका फोन सचमुच पेगासस से संक्रमित हुआ था या नहीं? अगर हुआ था तो किसने कराया था? किस सोर्स से पेगासस लोगों के फोन में इंस्टाल किया गया था?
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