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पेगासस टिप ऑफ आइसबर्ग है

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पेगासस टिप ऑफ आइसबर्ग है
Nso pegasus spyware modi government भारत में फोन टेप कराने, सहयोगियों-विरोधियों की जासूसी कराने, अधिकारियों-पत्रकारों पर निगरानी कराने का पुराना इतिहास है। दशकों से सरकारें यह काम करती आ रही हैं। इजराइल के सॉफ्टवेयर पेगासस से जासूसी कराए जाने का मामला इतना तूल इसलिए पकड़ रहा है क्योंकि यह मामला अंतरराष्ट्रीय हो गया है। जासूसी का उपकरण अंतरराष्ट्रीय एजेंसी का है, खुलासा करने वाली एजेंसियां अंतरराष्ट्रीय हैं और इस खुलासे की खबर छापने वाले मीडिया समूह अंतरराष्ट्रीय हैं। इसलिए इस पर इतना विवाद हो रहा है वरना भारत में जासूसी की खबरों पर सिर्फ चटखारे लिए जाते हैं उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है। यह भी पढ़ें: सरकारी जासूसी पर हंगामा याद करें नीरा राडिया टेप का खुलासा हुआ था तो क्या क्या हुआ था? उसमें कई गंभीर आपराधिक गतिविधियों के बारे में जानकारी थी। मंत्री बनवाने और विभागों के बंटवारे को लेकर निजी लोगों की बातचीत थी। लेकिन चर्चा किस बात की हुई? उत्तर प्रदेश के अमुक नेता ने बॉलीवुड की अमुक हिरोइन से क्या क्या बातें कीं! या देश के जाने-माने उद्योगपति ने विज्ञापन एजेंसी वाली महिला से क्या अंतरंग बातें कीं! इन्हें रूकवाने के लिए उद्योगपति और नेताओं ने अदालतों की दौड़ लगाई थी। तो कुल मिला कर नीरा राडिया टेप लोगों के चटखारे लेने का साधन बना। उसके आधार पर कोई गंभीर कार्रवाई या सुधार का कोई प्रयास नहीं हुआ। निजता को लेकर बहस हुई लेकिन निजता की रक्षा के लिए कुछ किए जाने का संकेत नहीं है। अगर निजता की रक्षा के प्रति सरकार गंभीर होती तो नीरा राडिया टेप के बाद अब पेगासस का इतना बड़ा खुलासा नहीं हुआ होता। nso pegasus spyware modi government pegasus hacking case बहरहाल, चाहे नीरा राडिया टेप कांड हो या पेगासस से जासूसी का मामला हो यह टिप ऑफ आईसबर्ग है। पेगासस से तीन सौ लोगों के एक हजार फोन नंबर टेप होने का खुलासा हुआ है। लेकिन यह कोई संख्या नहीं है। सरकार ने खुद बताया है कि अंग्रेजों के जमाने में बने टेलीग्राफ एक्ट 1885 और आईटी एक्ट 2000 की मदद से देश की 10 एजेंसियां फोन टेप करती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में सचिव स्तर का एक अधिकारी होता है, जो इसकी इजाजत देता है। खुफिया ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज, डीआरआई, सीबीआई, एनआईए, रॉ आदि केंद्रीय एजेंसियों को फोन टेप करने का अधिकार है तो राज्यों में भी सीआईडी, एटीएस आदि को फोन टेप करने का अधिकार है। यह हकीकत है कि नियमों के मुताबिक जितने फोन टेप किए जाते हैं उससे कई गुना ज्यादा फोन बिना किसी इजाजत के टेप किए जाते हैं। कई बार सरकार की मर्जी होती है और कई बार अधिकारी खुद ही अनधिकृत रूप से फोन टेप कर रहे होते हैं। यह भी पढ़ें: यह अजीब-सी जासूसी है अभी पेगासस का मामला आया तो इतनी चर्चा हो रही है लेकिन पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र में फोन टेपिंग का इतना बड़ा विवाद हुआ उस पर दिल्ली में किसी का ध्यान नहीं गया। देवेंद्र फड़नवीस की सरकार के समय एक महिला अधिकारी ने अनेक लोगों के फोन टेप कराए थे। अब उसकी जांच हो रही है। यूपीए की सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के ऑफिस को बग किए जाने या ऑफिस की जासूसी किए जाने का खुलासा हुआ था और आरोप उस समय के गृह मंत्री पी चिदंबरम पर लगा था। यूपीए के शासन में ही सपा नेता अमर सिंह ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस उनका फोन टेप कर रही है। उस समय विपक्ष के नेता अरुण जेटली के फोन की सीडीआर निकाले जाने का विवाद हुआ था। कर्नाटक में फोन टेपिंग के आरोप पर रामकृष्ण हेगड़े की सरकार गिर गई थी और एक समय ऐसा भी हुआ था कि देश के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रपति भवन के अनेक कमरों की जासूसी हुई है। सो, भारत में जासूसी का इतिहास पुराना है और इसका दायरा बहुत बड़ा है। तीन सौ-पांच सौ लोगों के फोन टेप होना या हैक किया जाना टिप ऑफ आइसबर्ग है।
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