बेबाक विचार

मोदी के सपने अच्छे लेकिन....?

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मोदी के सपने अच्छे लेकिन....?
modi independence day speech 15 अगस्त को लालकिले से प्रधानमंत्री ने जो लंबा भाषण दिया, जहाँ तक भाषण का सवाल है, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। अब तक मैंने जितने भी प्रधानमंत्रियों के भाषण लाल किले से सुने हैं, उनमें यह भाषण मुझे सबसे अधिक प्रभावशाली लगा। इस भाषण की सबसे बड़ी खूबी यह रही कि मोदी ने उस भारत का नक्शा देश के सामने रखा, जो अब से 25 साल बाद होगा। उसे हम मोदी के सपनों का भारत कह सकते हैं। वह भारत ऐसा होगा, जिसमें कोई बेरोजगार नहीं होगा, कोई भूखा नहीं रहेगा, कोई दवा के अभाव में नहीं मरेगा, हर बच्चे को शिक्षा मिलेगी, सबको न्याय मिलेगा। देश भ्रष्टाचारमुक्त होगा। इससे बढ़िया सपना क्या हो सकता है लेकिन उस सपने को सच में बदलने के लिए हमारी पिछली सरकारों और वर्तमान सरकार ने कौनसे ठोस कदम उठाए हैं ? modi independence day speech ऐसा नहीं है कि हमारी सभी सरकारें निकम्मी रही हैं। सभी सरकारों ने आम जनता की भलाई के लिए कुछ न कुछ कदम जरुर उठाए हैं। इसी का नतीजा है कि 1947 के मुकाबले देश में गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, गंदगी, भुखमरी आदि घटी हैं लेकिन क्या हम पिछले 74 साल में ऐसा देश बना पाए हैं, जिसका सपना महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी, योगी अरविंद, सुभाष बोस, नेहरु और डाॅ. लोहिया जैसे महापुरुषों ने देखा था ? इसका मूल कारण यह रहा कि हमारे नेताओं का सारा ध्यान तात्कालिक समस्याओं के तुरंत हल में लगा रहा, जो कि स्वाभाविक है और वे समस्याएं उन्होंने कई अर्थों में सफलतापूर्वक हल भी कर डालीं लेकिन उन समस्याएं की जड़ें ज्यों की त्यों कायम रहीं। उन जड़ों को मट्ठा पिलाने का काम अभी भी बाकी है। ऐसा नहीं है कि हमारे सभी प्रधानमंत्रियों या अन्य नेताओं को इन समस्याओं का ज्ञान नहीं है। Read also 75वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने दी सौगात उन्हें पता है लेकिन अपनी कुर्सी बचाने और बढ़ाने के लालच में फंसकर वे बुनियादी परिवर्तनों की तरफ ध्यान ही नहीं दे पाते। वे कोरी नारेबाजी या शब्दों की नौटंकियों में खो जाते हैं। जैसे कभी गरीबी हटाओ नारा था और आजकल सबका साथ, सबका विकास है। उसमें अब सबका विश्वास और सबका प्रयास भी जुड़ गया है। सरकार से कोई पूछे कि भारत में भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता, जातिवाद और आर्थिक विषमता, बेरोजगारी, पार्टियों की आंतरिक तानाशाही और न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधानपालिका में अंग्रेजी की गुलामी आज भी ज्यों की त्यों क्यों चली आ रही है? उन्हें खत्म करने और भारत का प्राचीन वैभव और गौरव लौटाने के लिए आपके पास कोई कार्य-योजना है या नहीं ? सपने तो हर आदमी देखता है लेकिन सरकारों से उम्मीद की जाती है कि वे उन्हें साकार करेंगी।
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