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राज्यों में राजनीतिक हलचल बढ़ी

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राज्यों में राजनीतिक हलचल बढ़ी
यह हैरान करने वाली बात है कि देश में कोरोना अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और सारे राज्य यह भी कह रहे हैं कि तीसरी लहर आ सकती है लेकिन अचानक जून के महीने में हर राज्य में राजनीति तेज हो गई है। देश के लगभग सभी राज्यों में राजनीतिक गतिविधियां ऐसे चल रही हैं, जैसे चुनाव होने वाले हैं। पक्ष और विपक्ष की पार्टियां राजनीति में लग गई हैं। आमतौर पर राज्यों में राजनीति का सीजन होता है। लोकसभा या राज्यों के चुनावों के समय ही राजनीति होती है या किसी राज्य में अगर अस्थिर सरकार है, त्रिशंकु विधानसभा है तो वहां राजनीति होती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, जहां चुनाव नहीं हैं और स्थायी व स्थिर सरकार है वहां भी राजनीति हो रही है। गठबंधन की पार्टियों में अलग राजनीति हो रही है तो देश की सबसे बड़ी पार्टी के अंदर अलग राजनीति चल रही है।

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यह कोई समय नहीं था, लेकिन महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दिल्ली आकर प्रधानमंत्री से मिले और उसके बाद गठबंधन की सरकार को लेकर सवाल उठने लगे। इसी बीच ममता बनर्जी के निर्देश पर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मुंबई जाकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। फिर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने 2024 का चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया, जिसके जवाब में शिव सेना ने कहा कि क्या वे राज्य में मध्यावधि चुनाव चाहते हैं। इन बयानबाजियों से महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हुई है। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले वहां भी राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैँ। भाजपा के अंदर खींचतान है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री में तनाव की खबरें हैं तो मुख्यमंत्री और प्रदेश के संगठन महामंत्री और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच तनाव की खबरे हैं। ऊपर से प्रदेश और केंद्र सरकार में फेरबदल की तैयारियों की खबर से प्रदेश के भाजपा व उसकी सहयोगी पार्टी के नेता अपनी लाबिंग में अलग जुटे हैं। उधऱ बसपा के विधायक बागी होकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिल रहे है और अलग पार्टी बनाने की मांग कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने खुद को लांच करने के लिए अयोध्या में राम मंदिर के लिए जमीन खरीद में करोड़ों रुपए के घोटाले का एक मामला उठाया हुआ है और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उम्मीदवार तलाशने में जुटी हैं।

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इसी तरह बिहार में अचानक भाजपा की चहेती लोक जनशक्ति पार्टी को जदयू ने दो फाड़ करा दिया। पार्टी के छह में से पांच सांसद एक साथ हो गए और चिराग पासवान को ही पार्टी से निकाल दिया। इस नए राजनीतिक घटनाक्रम के बीच खबर है कि बिहार से आधा दर्जन नेता केंद्र में मंत्री बन सकते हैं और प्रदेश सरकार में भी फेरबदल होगी। सो, नेता अपनी अपनी लाबिंग में जुटे हैं। पंजाब में कांग्रेस पार्टी की लड़ाई रोज दिल्ली पहुंच रही है। मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने संकल्प किया हुआ है कि वे नवजोत सिंह सिद्धू को कुछ भी नहीं देंगे तो दूसरी ओर कांग्रेस आलाकमान को लग रहा है कि सिद्धू ने इस समय पार्टी छोड़ी तो मुश्किल होगी। सो, दिग्गज नेता दोनों के बीच मामला सुलझाने में लगे हैं। कांग्रेस पार्टी के अंदर केरल में भी घमासान छिड़ा है। राहुल गांधी ने पुराने नेताओं को दरकिनार करके नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष भी नए नेताओं को बनाया है।

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उधर गुजरात जाकर अरविंद केजरीवाल ने सभी सीटों पर लड़ने का शिगुफा छेड़ा, जिसके बाद से चर्चा हो रही है कांग्रेस के प्राइज कैच हार्दिक पटेल पार्टी छोड़ सकते हैं और आम आदमी पार्टी उनको चेहरा बना कर चुनाव लड़ सकती है। बंगाल में भाजपा विधायक दल के नेता विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलने गए तो 25 विधायक उनके साथ नहीं गए। अब उन विधायकों के तृणमूल कांग्रेस में जाने की चर्चा है। दक्षिण के राज्यों में भी शांति नहीं है। आंध्र प्रदेश में स्थायी सरकार होने के बावजूद जगन मोहन रेड्डी की पार्टी में खींचतान है। उन्होंने अपनी ही पार्टी के सांसद के ऊपर राजद्रोह का मुकदमा करवाया हुआ था और गिरफ्तार करा कर कई दिन तक जेल में रखा। बगल के राज्य तेलंगाना की राजनीति में जगन की बहन वाईएसआर शर्मिला की वजह से उबाल आया हुआ है। वे नई पार्टी लांच कर रही हैं। उधर पुड्डुचेरी में दो मई को नतीजे आए और 15 मई को रंगास्वामी मुख्यमंत्री बन गए लेकिन एक महीने बाद तक अभी कैबिनेट नहीं बन पाई है क्योंकि भाजपा के साथ मंत्री पद की सहमति नहीं हो पा रही है। तमिलनाडु में अन्ना डीएमके के भीतर घमासान छिड़ा है। वीके शशिकला की वापसी को लेकर कलह चल रही है। कर्नाटक में सत्ता के लिए चल रहा घमासान सबके सामने है। सो, देश का शायद ही कोई राज्य बचा है, जहां इस समय किसी न किसी वजह से राजनीतिक हलचल नहीं चल रही है।.
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