बेबाक विचार

कोरोना प्रबंधन पर सवाल

ByNI Editorial,
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कोरोना प्रबंधन पर सवाल
तमाम पश्चिमी देशों से खबर आ रही थी कि चीन से मंगवाए गए एंटी बॉडी टेस्ट किट से सही नतीजे नहीं आ रहे हैं। फिर भी भारत सरकार ने चीन से इनका आयात किया। अब ये साफ है कि भारत में भी कहानी अलग नहीं है। पहले पश्चिम बंगाल से शिकायत आई कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने जो किट वहां भेजे, वो दोषपूर्ण हैं। तब आईसीएमआर ने लीपापोती की कोशिश की। लेकिन जब राजस्थान से भी वैसी खबरें आईं, तो उसके पास कार्रवाई करने के लिए अलावा कोई चारा नहीं बचा। तब इन किट्स से दो दिन के लिए जांच रोक देने का एलान हुआ। मगर मुद्दा यह है कि क्या अब खरीदारी के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जाएगी? या कोरोना संकट के बने भय और मीडिया शोर के बीच ये मामला रफा-दफा हो जाएगा। इस बीच एक अन्य मामला चिकित्सा उपकरण पर लग रहे टैक्स का उठा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कुछ नेताओं ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले चिकित्सा उपकरणों पर केंद्र सरकार की तरफ से जीएसटी वसूलने पर सवाल उठाए हैं। कोरोना वायरस के इलाज में काम आने वाले मास्क, वेंटिलेटर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), सैनिटाइजर, टेस्ट किट आदि पर जीएसटी न वसूलने की मांग अलग-अलग तबकों से पिछले एक महीने में उठी है। मगर केंद्र ने इस पर अब तक ध्यान नहीं दिया है। इसका उल्लेख करते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि कोविड 19 के इस मुश्किल वक्त में हम लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस महामारी के महामारी से जुड़े सभी छोटे-बड़े उपकरण जीएसटी मुक्त किए जाएं। कुछ राज्य सरकार ने भी कहा है कि केंद्र को राज्यों की मदद करनी चाहिए और सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर, मॉनिटर, मास्क और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद करनी चाहिए। या फिर वैकल्पिक उपाय के तौर पर राज्य सरकारों को देश में या देश के बाहर से उपकरण खरीदने की इजाजत देनी चाहिए। ये ऐसी मांगे हैं जिन पर फौरी फैसला होना चाहिए। लेकिन इस पर निर्णय में एक महीना गुजर जाए, यह हैरतअंगेज है। यह सच है कि उपकरणों पर जीएसटी लगाने से कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। इसलिए यह उचित होगा कि राज्यों को कम दाम पर ऐसे उपकरण मुहैया कराने के लिए इन उपकरणों पर जीएसटी हटाया जाए।
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