बेबाक विचार

सरकार तुरंत दे ध्यान

ByNI Editorial,
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सरकार तुरंत दे ध्यान
क्रिप्टो का कारोबार एक पॉन्जी स्कीम से ज्यादा कुछ नहीं है। आरबीआई को इस बात का श्रेय देना होगा कि वह वर्षों से क्रिप्टो करेंसी को लेकर संदेह प्रकट करता रहा है। अब उसने उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक खतरा बताते हुए उस पर प्रतिबंध की मांग की है। भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी के खतरे से सही समय पर आगाह किया है। उसने कहा है कि क्रिप्टो की वजह से अगला वित्तीय संकट आ सकता है। बैंक ने क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाये जाने की मांग की है। अब चूंकि ये मांग आरबीआई की तरफ से आई है, तो सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। अब तक के अनुभव से यह साफ हो गया है कि क्रिप्टो का कारोबार एक पॉन्जी स्कीम से ज्यादा कुछ नहीं है। इसमें लाखों लोग अपना धन गंवा चुके हैँ। आरबीआई को इस बात का श्रेय देना होगा कि वह वर्षों से क्रिप्टो करेंसी को लेकर संदेह प्रकट करता रहा है। अब हालिया घटनाओं के आधार पर उसने उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक खतरा बताते हुए उस पर प्रतिबंध की मांग की है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि हाल ही में एफटीएक्स जिस तरह से बर्बाद हुआ, वह क्रिप्टो में निहित जोखिम का सबूत है। दास ने एक कार्यक्रम में कहा- "दूसरे अन्य उत्पादों से अलग क्रिप्टो को लेकर हमारी मुख्य चिंता यह है कि बुनियादी रूप से इसकी कोई कीमत नहीं है। हमारा मानना है कि इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए क्योंकि। अगर आप इसके विनियमन की कोशिश करेंगे और इसे बढ़ने देंगे तो, मेरे शब्दों पर ध्यान दीजिये: अगला वित्तीय संकट निजी क्रिप्टो करंसी की वजह से आएगा।" अब इससे ज्यादा साफ चेतावनी और क्या हो सकती है? भारतीय बाजार में क्रिप्टोकरंसी का प्रवेश करीब एक दशक पहले हुआ था। तब से भारतीय नियामकों की इस पर नजर रही है। 2018 में धोखाधड़ी के कई मामलों के बाद रिजर्व बैंक ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिबंध हटवाया और उसके बाद बाजार में उछाल आया। 2022 में इस कारोबार में होने वाले लाभ पर सरकार ने 30 प्रतिशत टैक्स लगा दिया। यानी एक तरह से इस कारोबार को कानूनी मान्यता दे दी गई। एफटीएक्स घोटाले के बाद यह व्यापार घट कर अपने पहले के आकार के दसवें हिस्से के बराबर रह गया है।
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