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रुपर्ट मर्डोकः मीडिया की बदनामी का वैश्विक विलेन!

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हाल के वर्षों में मीडिया अक्सर कठघरे में खड़ा दिखा है- देश में और विश्व स्तर पर भी।  परन्तु पिछले सप्ताह मीडिया की गिरावट ने एक नया पैंदा छुआ। और जिम्मेवार है मीडिया के 92 वर्षीय वैश्विक शहंशाह रुपर्ट मर्डोक, जिनकी अपने विशाल साम्राज्य पर पकड़ अब कुछ कमजोर हुई लगती है। उनके फॉक्स न्यूज़ (मर्डोक जिसके सीईओ हैं) ने अमेरिकी चुनाव में झूठी खबरे चलाने के मुकदमें से बचने के लिए हाल में भारी भुगतान किया है।

अमेरिका की डोमेनियन वोटिंग सिस्टम्स नामक टेक्नोलाजी कंपनी ने रुपर्ट मर्डोक के टीवी चैलन के खिलाफ 160 करोड़ डालर का मुआवजा मांगते हुए मुकदमा दायर किया था। यह कंपनी सन्2020 के अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में साजिश के कयासों के केंद्र में थी। फॉक्स न्यूज के एंकरों और उनके चैनलों पर आए मेहमानों ने चुनाव के संबंध में झूठी बातें फैलाईं। इस कंपनी के वोटिंग प्रबंधों को निशाना बनाया।  तभी कंपनी ने फॉक्स न्यूज़ के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया। कार्यवाही शुरू होती उससे पहले ही दोनों पक्षों के बीच ‘समझौता’ हो गया। मर्डोक के फॉक्स न्यूज़ ने मुकदमा वापस लेने के बदले डोमेनियन वोटिंग सिस्टम्स कंपनी को करीब 80 करोड़ डॉलर का भुगतान किया।

रुपर्ट मर्डोक मीडिया के गंदे खेल के पुराने खिलाड़ी हैं। डोमेनियन मामले में दी गई राशि, मर्डोक द्वारा ऐसे मामलों में खर्च की गई सबसे बड़ी रकम नहीं है। ब्रिटेन में रुपर्ट मर्डोक के टेबलायड साम्राज्य से जुड़ा एक फोन हैकिंग का मामला मर्डोक को इससे भी अधिक महंगा पड़ा था। मीडिया उद्योग पर केन्द्रित ‘प्रेस गजट’ नामक एक ब्रिटिश प्रकाशक द्वारा सन् 2021 में की गई पड़ताल से पता चला है कि इस मामले को रफा-दफा कराने में उन्हें 100 करोड़ पौंड या 124 करोड़ डालर खर्च करने पड़े थे।

किंतु सन् 2020 के चुनावों के मामले में फॉक्स की मुसीबतें अभी ख़त्म नहीं हुईं हैं। उनका खर्च बहुत बढ़ सकता है यदि एक अन्य वोटिंग टेक्नोलॉजी कंपनी – स्मार्टमेटिक – 270 करोड़ डालर के अपने दावे में जीती तब।  लेकिन अभी के लिए तो सच-झूठ, सफ़ेद और स्याह और अथाह धन और अपरिमित सत्ता के आसपास घूमता ये सच्चा किस्सा, जिसके सामने ‘सक्सेशन’ टीवी धारावाहिक कुछ भी नहीं है, ख़त्म हो गया है।

फिलहाल रुपर्ट मर्डोक की व्यक्तिगत ज़िन्दगी के जुड़े किस्से ज्यादा चल रहे है। मर्डोक 92 साल के हैं और अपनी एक अलग छाप छोड़ने के प्रयास में उन्होंने एक ऐसा मीडिया ढांचा खड़ा किया है जिसमें संदर्भ से हटकर खबरें दी जाती हैं।खबरों और विचारों का घालमेल होता है। तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा जाता है। चकित कर देने वाली लापरवाही, झूठ और गलतियां होती हैं। यों यह यह बात केवल मर्डोक के न्यूज कारपोरेशन और फॉक्स न्यूज के बाहर भी सही है। यह बीमारी दुनिया भर के मीडिया संस्थानों में घर कर गई है।डोमेनियन मामले में फॉक्स न्यूज के एंकरों और मालिक ने ढीढता से जानबूझकर झूठी बातें फैलाईं। यहां तक कि अमेरिका के बाकी मीडिया संस्थानों ने भी तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप के जुमले‘फेक न्यूज‘ को मानो अपना ही लिया।

मर्डोक के टेबोलाईड मनमाने  और कभी-कभी आपराधिक करार दिए जा सकने वाले समाचार प्रकाशित करने के लिए कुख्यात हैं। जैसा कि एक वरिष्ठ मीडिया समीक्षक क्लेयर एंडर्स ने कहा ‘‘उनके पास पैसा है। उनके पास जबरदस्त राजनैतिक ताकत है। उनके पास सब कुछ है”।

परन्तु क्या वाकई ऐसा है? हाल में मर्डोक ने घोषणा की थी वे फिर से विवाह करने जा रहे हैं। दो हफ्ते बाद पता चला कि सगाई टूट गई है। फिर ट्रम्प के 2020 के राष्ट्रपति चुनाव की फॉक्स न्यूज़ द्वारा कवरेज के मामले में उन्हें 80 करोड़ डॉलर चुकाने पड़े। कई लोगों को लग रहा है कि मर्डोक की पकड़ कमज़ोर पड़ती जा रही है। शारीरिक रूप से भी वे कमज़ोर हो चले हैं। अदालत के बाहर समझौतों और अधिग्रहणों में सफलता के बावजूद वे उत्तराधिकार संबंधी चुनौतियों से घिरे हुए हैं। उनकी लंबे समय से यह इच्छा रही है कि दूसरे विवाह से जन्मी उनकी तीन संतानों – एलीजाबेथ, 54, लॉकलन, 51 और जेम्स, 50 से कोई एक उनके खानदानी कारोबार को संभाले। मर्डोकके जीवन की कथा को प्रतिद्वंदी एचबीओ चैनल द्वारा एक काल्पनिक सीरियल के रूप में प्रसारित किया जा रहा है और शो सचमुच बेहतरीन है। परन्तु मर्डोककी चिंताएं इससे कहीं बड़ी हैं। केवल वे ही उनके विशाल व्यावसायिक और राजनैतिक साम्राज्य को एक रखने में सक्षम हैं।कई जानकार मानते है उनके बिना उनका मीडिया एपांयर ढह जानाहै।

रुपर्ट की मृत्यु के बाद उनका पारिवारिक ट्रस्ट उनकी सबसे बड़ी संतान लॉकलन के हाथों में जायेगा। उनकी संतानों में से केवल लॉकलन के अपने पिता से ठीक-ठाक सम्बन्ध हैं। उन्हें फॉक्स न्यूज़ का चीफ एग्जीक्यूटिव और न्यूज़ कॉर्प का को-चेयरमैन बना दिया गया है और उनका ख्याल है कि वे ही ‘अगले रुपर्ट’ होंगे और अधिग्रहणों के ज़रिये अपने पारिवारिक साम्राज्य का विस्तार करेंगे। परन्तु उनके भाई-बहन ऐसा होना देंगे इसमें संदेह है। जेम्स, जिन्हें एक समय मर्डोक की पसंद माना जाता था, ने न्यूज़ कॉर्प के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स से इस्तीफा दे दिया है और वे अपने पिता और भाई से ख़ास मतलब नहीं रखते। उन्होंने यह साफ़ कर दिया है कि उन्हें कंपनी की दक्षिणपंथी सम्पादकीय नीति पसंद नहीं है और वे पारिवारिक व्यवसाय से दूर हो गए हैं।

मर्डोक की पुत्री एलिजाबेथ ने मीडिया व्यवसाय में ‘बिना किसी लक्ष्य और उद्देश्य के केवल मुनाफा कमाने’ को गलत बताया है। उनकी बड़ी बहन प्रूडेंस, जो उनके पिता की एक अन्य पत्नी की संतान हैं, ज्यादा चर्चा में नहीं रहतीं। ये चारों मिलकर मर्डोक के साम्राज्य की दिशा को बदल सकते हैं। परन्तु परिवार के करीबी सूत्रों के अनुसार मर्डोक हमेशा से अपनी संतानों को एक-दूसरे से लड़ाते रहे हैं। उनकी मृत्यु के बाद कौन किसका साथ देगा यह देखना दिलचस्प होगा क्यों मुर्डोक के वोट उनकी सभी संतानों में बराबर-बराबर बंट जाएंगे।

और अगर व्यावसायिक कारकों की बजाय पारिवारिक राजनीति मुर्डोक की कंपनियों के भविष्य का निर्धारक बनतीं हैं तो यह एक तरह से ठीक ही होगा। आखिर ये कंपनियां भी तो राजनीति में लिप्त रहीं हैं। मर्डोक का साम्राज्य हमेशा से धन के साथ-साथ सत्ता का अर्जन भी करता रहा है।“फॉक्स न्यूज़ का क्या काम है?” कंपनी एक पूर्व कर्मी ने पूछा और फिर खुद ही उत्तर दिया, “उकसाना, भड़काना”।ऐसा लगता है कि फॉक्स न्यूज़ और न्यूज़ कॉर्प को खुद भी विद्रोह का सामना करना पड़े। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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