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यूक्रेन का शुरू जवाबी हमला!

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यूक्रेन-रूस युद्ध में अहम मोड़ आया है। सोमवार पांच जून को यूक्रेन हमलावर हुआ। यूक्रेन ने जवाबी हमला शुरू किया। वैसे इस युद्ध को लेकर दुनिया ने, हम सबमें से अधिकांश ने तय कर लिया है कि वह किसके साथ है (हालाँकि भारत अब तक तय नहीं कर पाया है!)।को युद्ध के बारे में जानने-समझने वालों में एक वर्ग के लिए पांच जून जोश का दिन था। नहीं, मैं मजाक नहीं कर रही हूँ। यह खबर फ़्लैश होते ही कि यूक्रेन का जवाबी हमला शुरू हुआ है, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में मानों रोमांच की एक लहर सी दौड़ गई।

रूस-यूक्रेन युद्ध के 468वें दिन अंततः यूक्रेन जवाबी हमले के मूड में दिखा। पश्चिमी देशों को कम से कम दो हफ्ते पहले इसके शुरू हो जाने की उम्मीद थी। कुछ तो अपना धैर्य खोने की कगार पर थे। कई हफ़्तों से यूक्रेनियाई सेना तैयारी कर रही थी। रूस और यूक्रेन के बीच 600 किलोमीटर लम्बी और दक्षिण से उत्तर-पूर्व तक फैली सीमा पर सैनिक साजो-सामान जमा किया जा रहा था। उद्देश्य था रूस की हमला करने की क्षमता को पूरी तरह समाप्त कर देना। यूक्रेन की सेना रात में ड्रोन के ज़रिये दुश्मन के टैंकों और मोर्चों को नष्ट कर रही थी। सीमा से पीछे स्थित हथियारों के भंडारों और ईंधन के गोदामों पर भी हमले किये जा रहे थे। सोमवार को यूक्रेन की सेना ने डोनेत्स्क इलाके में सीमा से सटे कई स्थानों पर हमला बोला और कम से कम दो जगह रूसी सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने बखमुत में कहा कि “हम इसी खबर का इंतजार कर रहे थे।”

इस जवाबी हमले की शुरुआत के लिए जो तारीख चुनी गयी वह सामरिक दृष्टि के अलावा, एक और नज़रिए से महत्वपूर्ण है। चार जून, जिस दिन हमले शुरू हुए, के दो दिन बाद ही डी-डे की वर्षगांठ है। डी-डे मतलब वह दिन जब यूरोप को नाज़ी जर्मनी से मुक्त करवाने की शुरुआत हुई थी। रूस के रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन की कार्यवाही को ‘बड़े पैमाने पर हमला’ बताया है। पश्चिमी देश और प्रेस रोमांचित है कि चलिए कम से कम शुरुआत तो हुई, हालाँकि यूक्रेन ने औपचारिक रूप से नहीं कहा है कि उसने जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी है।

रूस की तरफ से कम जानकारी दी जा रही है और यूक्रेन ने तो चुप्पी साध रखी है। स्थानीय लोगों और ब्लॉगों के ज़रिये ही कुछ जानकारियां सामने आ रहीं हैं। इनमें से कुछ कोरी बकवास हैं। वॉर गोंजो नामक ब्लॉग, जिसे रुसी वॉर कोरेस्पोंडेंट सेम्योन पेगोव चलाते हैं, कुछ तथ्य उपलब्ध करवा रहा है। ब्लॉग के अनुसार, यूक्रेन के सैन्य बल नोवोदोनेत्सके इलाके में वेल्लयका नोवोसिल्का व व्हुलेदार के बीच 2 किलोमीटर अन्दर घुस आए हैं। यहाँ रूसी सेनाओं ने मोर्चा बाँधा हुआ था। ब्लॉग के अनुसार, यूक्रेन सैनिकों को ढोहने के लिए पश्चिमी मेकेनाइज्ड वाहनों का इस्तेमाल कर रहा है। हाल में ज़ेलेंस्की को पश्चिमी देशों से बड़ी मात्रा में टैंक और गोला-बारूद मिले हैं। इसी कारण पश्चिमी देश यह अपेक्षा कर रहे थे कि यूक्रेन जवाबी कार्यवाही शुरू करेगा। इन्हीं का इस्तेमाल कर यूक्रेनियाई सैनिक 5 जून की सुबह नोवोदोनेत्सके तक पहुँच गए। एक लोकप्रिय रूसी टेलीग्राम चैनल के अनुसार, “सीमा से खबर यह है कि लड़ाई हर पल और तेज होती जा रही हैं।” डोनेत्स्क और ज़ैपोरिज्झिया इलाके में भी सीमा पर लड़ाई तेज हो गयी है। यूक्रेन इस जवाबी कार्यवाही को ‘वसंत-ग्रीष्म सैन्य अभियान’ बता रहा है जो शायद सितम्बर या उसके बाद तक चलेगा।

यूक्रेन की सेना आगे बढ़ रही है। रूसी ब्लॉगर बता रहे हैं कि यूक्रेन ने रूस की मोर्चाबंदी की बीच से एक छोटा सा रास्ता बना लिया है। जहाँ तक रूस का सवाल है, उसका उद्देश्य शायद केवल यह है कि पिछले साल हमले के शुरुआत हफ़्तों में जितनी ज़मीन पर उसने कब्ज़ा कर लिया था, उस पर उसका कब्ज़ा बना रहे। रूसी इंजीनियरों ने इस इलाके में जिस तरह की मज़बूत मोर्चाबंदी की है, वैसी ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में दुनिया में कहीं नहीं देखी गई। सेटेलाइट से ली गयी तस्वीरों में वहां प्रथम विश्वयुद्ध की तरह की खंदकों की लम्बी सर्पीली लाइनें देखी जा सकती हैं।

जवाबी कार्यवाही अभी क्यों? पहली बात तो यह है कि यूक्रेन लम्बी और बड़ी लड़ाई के लिए ज़रूरी हथियार इकठ्ठा करने में सफल हो गया है। दूसरे, उसे लगता है कि इस कार्यवाही में यदि उसे सफलता मिलती है तो उसके लिए नाटो की सदस्यता पाना आसान हो जायेगा। परन्तु यह इतना आसान भी नहीं है। पंद्रह महीने की लम्बी लड़ाई के बाद भी रूस के पास यूक्रेन से कहीं बड़ी सेना है और उससे कहीं ज्यादा गोला-बारूद और मिसाइलें हैं। यूक्रेन की सेना उसके सामने कुछ भी नहीं है, हालाँकि ऐसी खबरें भी हैं कि पश्चिम की मदद से यूक्रेन ने हथियारों और असलाह का ख़ासा स्टॉक जमा कर लिए है। ऍफ़-16 लड़ाकू जहाज, जिनकी बड़ी चर्चा है, यूक्रेन को मिल गया है। इस बीच गर्मी का पूरा मौसम है। रूस ने जवाबी कार्यवाही का जवाब देना शुरू कर दिया है।ये पंक्तियां लिखते वक्त खबर आई है कि खेरसों के पास एक बाँध को रूस ने नष्ट कर दिया है और वहां से लोगों को निकाला गया है। यूक्रेन को उम्मीद है कि वह अपनी सीमित ताकत से भी तब तक लड़ना जारी रख सकता है जब तक कि बड़े हथियार उसे नहीं मिल जाते। युद्ध एक बार फिर जोर पकड़ रहा है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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