अब दुनिया की निगाहें यह देखने पर टिकी हैं कि नए साल में ये युद्ध क्या मोड़ लेता है। फिलहाल, यूक्रेन बहुत बड़ी मुश्किल में दिख रहा है। ऐसी खबर है कि रूस ने जब से युद्ध को इलेक्ट्रॉनिक दायरे में ले गया है, यूक्रेन की मुसीबत बढ़ती चली गई है।
यूक्रेन में रूस की विशेष सैनिक कार्रवाई पिछले साल की सबसे चर्चित अंतरराष्ट्रीय घटना रही। उसके प्रभाव लंबे समय तक दुनिया में देखने को मिलेंगे। अब दुनिया की निगाहें यह देखने पर टिकी हैं कि नए साल में ये युद्ध क्या मोड़ लेता है। फिलहाल, यूक्रेन बहुत बड़ी मुश्किल में दिख रहा है। ऐसी खबर है कि रूस ने जब से युद्ध को इलेक्ट्रॉनिक दायरे में ले गया है, यूक्रेन की मुसीबत बढ़ती चली गई है। खबर है कि इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का सहारा लेकर यूक्रेन के ड्रोन और संभवतः तोपखानों को भी बेअसर कर देने में रूस ने सफल हो रहा है। पश्चिमी प्रकाशनों में छपे विश्लेषणों से युद्ध में आए इस हालिया मोड़ की जानकारी मिली है। इनके मुताबिक रूस ने अपने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (ईडब्लू) की क्षमता से यूक्रेन के ज्यादातर ड्रोन्स को बेअसर कर दिया है। इस वर्ष फरवरी में युद्ध शुरू होने के बाद हजारों ड्रोन उसके सहयोगी देशों ने दिए। लेकिन अब तक उनमें से लगभग 90 फीसदी ड्रोन या तो रूस ने मार गिराए हैं या वे खुद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गए।
विश्लेषकों की राय है कि रूसी ईडब्लू ने खुफिया क्षेत्र में यूक्रेन की बढ़त को खत्म कर दिया है। अपनी खुफिया क्षमता के जरिए ही यूक्रेन युद्ध के आरंभिक दिनों में अपने तोपखानों के जरिए रूस को भारी नुकसान पहुंचाने में सफल रहा था। अपनी उन क्षमताओं के कारण ही यूक्रेन अपनी राजधानी कीव पर रूसी हमले को नाकाम कर पाया था। फरवरी और मार्च में यूक्रेन के तोपखानों ने अंधाधुंध गोलाबारी की, जिससे कीव पर रूसी हमला नाकाम हो गया। लेकिन अब ईडब्लू का इस्तेमाल कर रूस ने यूक्रेन के ड्रोन्स को नाकाम कर दिया है, जिससे यूक्रेन की सेना को रूसी सेना की तैनाती के बारे में खुफिया जानकारी नहीं मिल पा रही है। इस वजह से यूक्रेन अपने तोपखानों का प्रभावी इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। रूस ने हाल के महीनों में अपनी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर की क्षमता काफी बढ़ाई है। तो अनुमान लगाया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर ने यूक्रेन युद्ध की दिशा बदल दी है।