ये हकीकत अब रूस के भी सामने है कि यूक्रेन पर उसके हमले के बाद पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए गए बेहद सख्त प्रतिबंधों का उसकी अर्थव्यवस्था पर कितनी गंभीर मार पड़ रही है। मगर जिन देशों का इस संकट को पैदा करने में कोई भूमिका नहीं है, वे भी इसकी चपेट में आने लगे हैँ। russia ukraine war economy
अब ये समझ गहराती जा रही है कि यूक्रेन संकट दुनिया भर के आम लोगों को कितना महंगा पड़ेगा। ये हकीकत अब रूस के भी सामने है कि यूक्रेन पर हमले के बाद लगाए गए बेहद सख्त प्रतिबंधों का उसकी अर्थव्यवस्था पर कितनी गंभीर मार पड़ रही है। मगर जिन देशों का इस संकट को पैदा करने में कोई भूमिका नहीं है, वे भी इसकी चपेट में आने लगे हैँ। दरअसल, इस संकट के परिणाम विश्व अर्थव्यवस्था पर भी महसूस किए जा रहे हैँ। वैश्विक मंदी और वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मचने की आशंका जानकारों ने जताई है। विश्व बैंक ने आशंका जताई है कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का खराब असर दुनिया की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर पर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी कहा है कि प्रतिबंधों का वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों पर ‘गंभीर प्रभाव’ होगा। जर्मन थिंक टैंक किएल इंस्टीट्यूट ने कहा है कि कोरोना महामारी के बाद संभल रहे विश्व व्यापार के सामने अब नई समस्या आ खड़ी हुई है।
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चीन और यूरोप के बीच माल ढुलाई रूस से होकर गुजरने वाले रेल मार्ग से होती है। जब पिछले साल बंदरगाहों पर बोझ बढ़ गया था, तब इस रूट से यूरोप को बड़ी राहत मिली थी। लेकिन अब इसके जरिए कारोबार पर प्रतिबंधों का असर पड़ने की आशंका है। इससे यूरोप के लिए चीन से आयात करना महंगा हो सकता है। और यह एक हकीकत है कि चीन से बिना आयात किए आज किसी बड़ी अर्थव्यवस्था का काम नहीं चलता। एक बड़ा अंदेशा सप्लाई चेन संबंधी मुश्किलों के बढ़ने का है। यूक्रेन पर हमले के बाद से हजारों टैंकरों को रूस और यूक्रेन से बंदरगाहों की तरफ जाने से रोक दिया गया है। उन्हें काला सागर की तरफ से जाने की सलाह दी गई है। लेकिन वहां भीड़ बढ़ जाने के कारण परिवहन बेहद धीमी गति से हो रहा है। वैसे सबसे बड़ी चिंता संभावित खाद्य संकट को लेकर है। दुनिया भर में अनाज के दाम में बढ़ोतरी शुरू हो चुकी है। विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन ने पिछले हफ्ते कहा था कि मौजूदा हालत के कारण दुनिया में खाद्य सामग्रियों का अभाव हो सकता है। संगठन के मुताबिक यूक्रेन पर हमले के बाद गेहूं और जौ की कीमत में 30 फीसदी से ज्यादा वृद्धि हुई है। रेपसीड ऑयल और सूरजमुखी के तेल के दाम 60 प्रतिशत तक बढ़े हैँ।
आर्थिक बदहाली का दौर
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