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बर्लुस्कोनीः ट्रंप का इतावली पितामह!

बर्लुस्कोनीः ट्रंप का इतावली पितामह!

इटली राष्ट्रीय शोक में है। दूसरे महायुद्ध बाद सर्वाधिक लंबे समय प्रधानमंत्री रहे बर्लुस्कोनी की मृत्यु के गम में। वे 86 वर्ष के थे। एक मायने में बर्लुस्कोनी पश्चिमी सभ्यता के पहले डोनाल्ड ट्रंप। ट्रंप और बारिस जानसन उनके मानों वारिस, छोटे संस्करण! इटली की मौजूदा प्रधानमंत्री उनकी मुरीद रही है। वे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जिससे आधे इतावली उन्हे श्रद्धा से देखाते है वही विरोधी नफरत करते हुए। उनकी लीडरशीप मजबूत और निर्णायक व्यक्तित्व वाली थी। वे अरबपति थे। पैसे की ताकत से राजनीति पर कब्जा बनाया। उनका सबसे बडा मीडिया हाऊस तो एक फुटबाल क्लब के मालिक भी। सत्ता और पैसे से बर्लुस्कोनीने जितनी रंगीनियों, जैसी बेधड़की, बेशर्मी से जिंदगी जी वैसी पश्चिम में शायद ही किसी दूसरे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति ने जी हो। वे चार बार प्रधानमंत्री बने और सेक्स स्केंडलों और भ्रष्टाचार के मामलों से लगातार घिरे रहे।लेकिन उन्होंने राजनीति कभी नहीं छोड़ी। इटली की अलग पहचान बनाई। पूरी दुनिया में उनका नाम मौज-मस्ती की बुंगाबुंगा पार्टियों से हुआ।

इसलिए सिल्वियो बर्लुस्कोनी की कहानी बहुत दिलचस्प है। उन्होने एक रंगीन और भड़कीला परंपरागत इटेलियन जीवन जीया, जिससे इटली की जनता से उनकी केमेस्ट्री बनी। वे शुरूआत से राजनीतिज्ञ नहीं थे। वे एक क्रूज शिप गायक थे। उन्होंने अपना करियर वैक्यूम क्लीनर के बतौर सेल्समैन शुरू किया था। आगे चलकर उन्होंने अपना विशाल व्यावसायिक साम्राज्य खड़ा किया।इसमें प्रापर्टी, मीडिया और फुटबाल शामिल थे। बर्लुस्कोनी, जिन्हें कैवालियेरे (नाईट) कहा जाता था, का राजनीति में आना सन् 1994 में हुआ जब वे पहली बार एक आम चुनाव में जीते।

चुनाव से तीन महिने पहले ही बर्लुस्कोनी ने फोर्ज़ा इटेलिया पार्टी बनाई थी। उन्होंने अपने मीडिया संस्थानों का चतुराई से उपयोग करके लोकलुभावन मुद्दे उठाए। उस दौर में भ्रष्टाचार से देश में निराश माहौल था। यह कहना ही होगा कि किस्मत ने हमेशा उनका साथ दिया। उन्हें बुलंद मुकद्दर वाला व्यक्ति माना जाता था, जिसमें जबरदस्त ऊर्जा थी। वे एक काबिल सेल्समैन थे  जिसमें अपनी बात मनवाने की प्रतिभा थी। उनमें अनंत आत्मविश्वास था। वे राह में रोड़ा बनने वाले कानूनों को ठेंगा दिखाते थे। उन्होंने अपनी जीवनी के एक अमेरिकी लेखक से कहा था, वे लोगों को अपना बनाना और उनका नेतृत्व करना जानते थे। कहा, “मैं जानता हूं कि जनता का प्यार कैसे हासिल किया जा सकता है”।जब वे प्रधानमंत्री बने तो उससे एक साल पहले, सन् 1993 में इटली के युवाओं के बीच हुए एक जनमत संग्रह का नतीजा था कि युवा उन्हें जीसस से भी अधिक प्यार करते थे!

बर्लुस्कोनी किसी विचारधारा से बंधे हुए नहीं थे। हम उन्हें आज जनलुभावक पोपुलिस्ट नेता कह सकते हैं। वे बुद्धि और वाकपटुता से लोगों का आकर्षित करते थे, जिसमें एक ‘विचारधारा‘ शामिल थी जो जुमलेबाज़ी और लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर जोर देने से हिट थी।  वे वोटरों से शिकायत करते थे कि वे उनकी निस्वार्थता की प्रशंसा नहीं करते! वे उन्हें याद दिलाते थे कि उनके दुनियाभर में 20 से ज्यादा मकान हैं लेकिन उनकी सुख-सुविधाओं का आनंद लेने के बजाए वे दिन-रात अपने देश के अहसानफरामोश नागरिकों की सेवा कर रहे हैं! यह थीम आज की राजनीति में भी तो आम है।

बर्लुस्कोनी के कारण इटली में काफी बदलाव आए। राजनीति, खेल और संस्कृति में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए और इटली व इतावलियो की इमेज बदली। उनके प्रशंसक उन्हें चाहते थे, उन्हें पूजते थे और अभी उनकी मृत्यु का शोक मना रहे हैं। उनके मुरीद जो बरसों तक गाते थे “थैंक्स गुडनेस, देयर इज सिल्वियो” वे मानते हैं कि बर्लुस्कोनीकुदरत का करिश्मा थे, जिन्होंने इटली की राजनीति को आधुनिक बनाया, लोकतंत्र को परिपक्व किया और  सरकार पर अत्यधिक निर्भर लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था में पूंजीवादी जोश और उत्साह का संचार किया। प्रधानमंत्री जिर्योजिया मेलोनी ने अपने गठबंधन साथीबर्लुस्कोनी के बारे में वक्तव्य दिया है कि, ‘गुडबाय सिल्वियो’। उन्हें ‘‘इटली के इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक” बताया।

उनकी राजनीति और उनकी जीवनशैली की निंदा करने के बावजूद उनके आलोचक भी मानते है कि सिल्वियो बर्लुस्कोनी एक सुधारक थे। अच्छा या बुरा, जो भी था, वे अपने काम में माहिर थे।

अतिराष्ट्रवादी और शानदार व्यक्तित्व वाले बर्लुस्कोनी स्वयं को अत्यंत महान मानते थे। ऐसा लगता है कि इटली के अधिकतर लोगों की तरह वे भी यह मानते थे कि वे अमर हैं। हाल में उन्होंने अपनी ‘‘जैविक आयु” 50 वर्ष के आसपास बताई थी और उन्होंने कभी भी अपनी दक्षिणपंथी पार्टी फ्रोजा इटेलिया में अपना उत्तराधिकारी तय नहीं होने दिया।

सन् 2011 में गहरे कर्ज संकट के चलते इस्तीफा देने को बाध्य होने के कारण उनका अपना शासनकाल समाप्त हुआ। सन् 2012 में उन्हें टैक्स संबंधी धोखाधड़ी के आरोप में चार साल की सजा सुनाई गई। अपनी अधिक आयु के कारण वे जेल जाने से बच गए। बाद में उनकी सजा की अवधि घटाकर एक वर्ष की सामुदायिक सेवा कर दी गई, जो उन्होंने मिलान में एक वृद्धाश्रम में सेवा करके पूरी की।

बावजूद इस सबके बर्लुस्कोनीने अंतिम सांस तक फिर से प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना नहीं छोड़ी। सजा मिलने के कारण वे पांच साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते थे। अतः उन्होंने पिछले दरवाज़े से सत्ता हासिल करने के लिए फोर्ज़ा इटालिया का द लीग, जिसका नेतृत्व अब मात्तेयो सालवीनी करते हैं और वर्तमान प्रधानमंत्री मेलोनी द्वारा स्थापित नेशनल अलायन्स से जुड़े ब्रदर्स ऑफ़ इटली के साथ एलायंस बनाया। इस गठबंधन ने 2022 के आम चुनाव में जीत हासिल की परन्तु फोर्ज़ा इटालिया को कुल 10 प्रतिशत वोट ही मिले। नतीजे में बर्लुस्कोनी की पिछली सरकार में युवा मंत्री मेलोनी प्रधानमंत्री बनीं।यह बर्लुस्कोनी को अच्छा नहीं लगा। दोनों ने हाल में यूक्रेन में चल रहे युद्ध और बर्लुस्कोनी की रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से दोस्ती पर अपने मतभेद सार्वजनिक किये थे। पुतिन ने बर्लुस्कोनी की पिछले वर्षगाँठ पर उन्हें बेहतरीन वोदका की कई बोतलें भेजी थीं। सोमवार को रोम में स्थित रूसी दूतावास ने बर्लुस्कोनी को दूरदृष्टि वाला महान राजनेता बताया। और पुतिन ने उनसे अपनी व्यक्तिगत निकटता जाहिर करते हुए उन्हें “एक प्यारा मनुष्य और सच्चा दोस्त” कहा।

बर्लुस्कोनी भले ही मानते रहे हों कि उनकी जैविक आयु 50 साल है परन्तु उम्र के साथ उनकी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ती गईं। पिछले वसंत में उन्हें ल्युकेमिया के कारण हुए फेफड़े में इन्फेक्शन के इलाज के लिए छह हफ्ते अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। अभी वे फिर अस्पताल पहुँच गए और इस बार वहां से जीवित बाहर नहीं आये।

बेशक उनकी मृत्यु से एक युग का अंत हुआ है – उस युग का जिसने हमारे वक्त को एक अलग आकार दिया है। उनके आलोचक उन्हें इटली के राजनैतिक और सांस्कृतिक पतन के लिए दोषी ठहराते हैं और कहते हैं कि वे एक धूर्त व्यापारी थे जो अपने व्यावसायिक हितों की रक्षा के लिए राजनीति में आए। वे बिना किसी संकोच के महिलाओं के पीछे दौड़ते थे।बुंगा बुंगा पार्टियां करते थे। इन रंगीनियों में वे लीबिया के तानाशाह गद्दाफ़ी से लेकर पुतिन तक जैसे नेताओं से जुड़े हुए थे।

जो हो, चाहे आप उन्हें कपटी और लंपट कहें या एक शानदार व्यक्तित्व बताएं, यह सत्य निर्विवाद है कि योरोप में पिछले कई दशकों में उन जैसा कोई दूसरा नहीं हुआ। एक ऐसा नेता जिसने अपने देश और उसकी राजनीति पर जबरदस्त प्रभाव डाला। हो।इटली में यही बात याद रखी जाएगी। (कॉपी अमरीश हरदेनिया)

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Published by श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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