Warning: A non-numeric value encountered in /home/u346475527/domains/nayaindia.com/public_html/wp-content/themes/nayaindia2023/functions.php on line 1611
Social Media Business Model : गंभीर सवाल, अगंभीर कार्रवाई - Naya India
सर्वजन पेंशन योजना
बेबाक विचार

Social Media Business Model : गंभीर सवाल, अगंभीर कार्रवाई

ByNI Editorial,
Share
New IT Rules social Media

Social Media Business Model | सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के बिजनेस मॉडल की समीक्षा की जानी चाहिए। देखना होगा कि क्या ये हर देश में एक जैसी नीतियां लागू करते हैं या अलग-अलग मानक रखते हैं? ये गंभीर सवाल हैं। लेकिन भारत सरकार अपनी कार्रवाई की गंभीरता पर सबका भरोसा पाने में विफल रही है।

ट्विटर के खिलाफ अपनी मुहिम में भारत सरकार लगातार आगे बढ़ रही है। उसने पिछले हफ्ते भारत के सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत ट्विटर को सोशल मीडिया मध्यस्थ के तौर पर मिला संरक्षण रद्द कर दिया। यानी अब ट्विटर पर पोस्ट की गई आपत्तिजनक सामग्री के लिए यूजर के साथ ट्विटर पर भी आरोप दर्ज किए जा सकते हैं। सरकार ने 50 लाख से अधिक यूजरबेस वाली वेबसाइट्स के लिए तीन महीने के अंदर शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति का नियम बनाया है। ट्विटर ने ये नियुक्तियां नहीं की। तो सरकार ने कदम उठाने का एलान किया। अगर आदर्श स्थिति की कल्पना कर देखें, तो कोई सरकार ने सोशल मीडिया के नियमन की इच्छाशक्ति दिखाए, उसका स्वागत किया जाएगा। आखिर सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही भी तय होनी ही चाहिए। लेकिन मसला यह है कि ये नियम लागू करने के पीछे सरकार की जो मंशा है, वह संदिग्ध है। विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि ये नियम अभी तक अस्पष्ट और अपारदर्शी हैं। कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि ये असंवैधानिक भी हैं।

यह भी पढ़ें: नाकाम योजना पर अमल

गौरतलब है कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने ‘डिसइंफॉर्मेशन एंड फ्रीडम ऑफ ओपिनियन एंड एक्सप्रेशन’ नाम की एक रिपोर्ट जारी की थी। उसके मुताबिक जानबूझ कर फैलाई गई झूठी सूचना समाज में गड़बड़ियों की वजह बनती है। इसके जरिए राजनीतिक ध्रुवीकरण, मानवाधिकार हनन और सरकार में विश्वास खत्म करने जैसे गलत काम हो सकते हैं। लेकिन झूठ क्या है, आखिर इसे कम से कम भारत में आज सरकार ही परिभाषित करती है। आम अनुभव यह है कि एक तरफ के झूठ को फैलाने में खुद सत्ता पक्ष शामिल रहता है, जबकि दूसरी तरफ से दी गई कोई गलत सूचना पर सरकारी एजेंसियां तुरंत सक्रिय हो जाती हैँ। इसलिए इस आशंका में दम है कि ये नियम विरोध के स्वर दबाने और विपक्षियों को निशाना बनाने के काम आ सकते हैं। बहरहाल यह मुद्दा दुनिया भर में चर्चित है कि सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म जानबूझ कर और अनजाने में लोगों को गलत सूचनाएं फैलाने का मौका दे रहे हैं। इसलिए उनके बिजनेस मॉडल की समीक्षा की जानी चाहिए। यह भी देखना होगा कि क्या ये हर देश में एक जैसी नीतियां ( Social Media Business Model ) लागू करते हैं या अलग- अलग जगहों पर मानवाधिकारों के लिए अलग मानक रखते हैं? ये गंभीर सवाल हैं। लेकिन भारत सरकार अपनी कार्रवाई की गंभीरता पर सबका भरोसा पाने में विफल रही है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty + twenty =

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें