अभी एक दिन पहले, चीखते सायरनों की आवाज़ से दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के रहवासियों की देर रात नींद टूटी। लोगों से कहा जा रहा था कि वे सुरक्षित जगहों पर चले जाएं। अफरातफरी और अराजकता का माहौल बन गया। सरकार ने यह चेतावनी इसलिए जारी की थी क्योंकि उत्तर कोरिया में सेटेलाइट छोड़ने की तैयारी की भनक लगी थी। फिर पता चला कि उसकी कोशिश असफल हुई है। इसके बाद चेतावनी वापस ले ली गई और लोगों से कहा गया कि वे अपने रोज़मर्रा के काम शुरू कर सकते हैं। परन्तु इसके बाद भी लोगों में घबड़ाहट कम नहीं हुई। कईयों का मानना था कि सरकार ने बिना बात तमाशा खड़ा दिया।
उत्तर कोरिया ने घोषणा की थी कि वह 31 मई से 11 जून के बीच एक उपग्रह छोड़ेगा। इस लांच से दक्षिण कोरिया के लिए भले ही सीधे कोई खतरा न हो परन्तु यह पक्का है कि उत्तर कोरिया का सेटेलाइट प्रोग्राम, दक्षिण कोरिया के लिए खतरे और जोखिम का सबब है।
उत्तर कोरिया का दावा है कि सेटेलाइट छोड़ने का उसका निर्णय, 25 मई और 15 जून के बीच दक्षिण कोरिया और अमेरिका की कई लाइव-फायर ड्रिल्स (ऐसे सैन्य अभ्यास जिनमें असली गोला-बारूद का इस्तेमाल किया जाता है) का जवाब था। परन्तु सच यह है कि उत्तर कोरिया का उपग्रह कार्यक्रम लम्बे समय से चल रहा है। जानकारों का कहना है कि अभी अन्तरिक्ष में उत्तर कोरिया का ऐसा एक भी उपग्रह नहीं है जो काम कर रहा हो। सन 1998 के बाद से लेकर अब तक उत्तर कोरिया ने पांच सेटेलाइट छोड़े हैं, जिनमें से तीन लांच के तुरंत बाद नष्ट हो गए और दो किसी तरह अपनी कक्षा (ऑर्बिट) तक पहुँच सके। उत्तर कोरिया कहता है कि उसके दो लांच सफल रहे हैं – पहला 2012 में और दूसरा इसके तीन साल बाद। हालाँकि जानकारों को संदेह है कि इनमें से कोई भी सेटेलाइट धरती पर डाटा भेज रहा है।
उत्तर कोरिया ने 2016 के बाद से अन्तरिक्ष में सेटेलाइट भेजने का कोई प्रयास नहीं किया है परन्तु देश के तानाशाह शासक किम जोंग उन ने सत्ताधारी पार्टी के 2021 में आयोजित एक सम्मलेन में यह दोहराया था कि वे चाहते हैं कि उनके देश के अपने उपग्रह हों। उत्तर कोरिया ने कहा है कि पिछले साल उसने उपग्रहों को छोड़ने के साजो-सामान के कई टेस्ट किये हैं।
हॉल में जिस उपग्रह को छोड़ने की कोशिश थी वह एक तरह का जासूसी उपग्रह था। परन्तु लांच असफल रहा। उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद यान के निचले हिस्से के अलग होते समय राकेट अपनी गति खो बैठा और समुद्र में डुब गया। परन्तु सरकार ने जल्द ही एक बार फिर प्रयास करने का संकल्प दोहराया है। किम जोंग उन की बहन किम यो कोंग, जो काफी ताकतवर मानी जाती हैं, ने अमरीका पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बुधवार के असफल लांच की आलोचना कर अमेरिका एक पाखंडी गैंगस्टर की तरह व्यवहार कर रहा है। उन्होंने कहा कि बतौर एक संप्रभु देश के उत्तर कोरिया को अन्तरिक्ष में अपनी टोही सेटेलाइट स्थापित करने का पूरा हक़ है। उन्होंने यह भी कहा कि आगे भी सेटेलाइट लांच होते रहेंगे।
उत्तर कोरिया का दावा है कि उसके सेटेलाइट केवल घरेलू इस्तेमाल के लिए हैं और उनका उद्देश्य है आम लोगों को समृद्ध बनाना। परन्तु हालिया लांच के उद्देश्य सैनिक लगते है। उत्तर कोरिया दुनिया के इस इलाके में अमेरिका की गतिविधियों पर नज़र रखना चाहता है। बताया जा रहा है कि सेटेलाइट का प्रयोग देश के नागरिकों पर जासूसी करने के लिए भी किया जायेगा। उत्तर कोरिया अमरीका के पाखंड की बात तो कर रहा है परन्तु अपना स्वयं का पाखंड उसे नज़र नहीं आ रहा है।
बहरहाल, अब स्थिति यह है कि दक्षिण कोरिया, जापान और अमरीका हाई अलर्ट पर हैं और उत्तर कोरिया यह साबित करने पर आमादा है कि वह एक संप्रभु देश है। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)