बेबाक विचार

अलग तरह का श्रम सुधार

ByNI Editorial,
Share
अलग तरह का श्रम सुधार
आम तौर पर श्रम सुधारों का मतलब श्रमिकों के अधिकारों में कटौती करना होता है। श्रम अधिक से अधिक पूंजी पर निर्भर हो जाए, यह उनका मकसद होता है। लेकिन स्पेन के श्रम सुधार कानून में प्रावधान मजदूरों की सुरक्षा के हैं। यानी इसके जरिए मजदूरों को सशक्त किया गया है। spain passes labor reform स्पेन में इसे कहा श्रम सुधार ही गया है, लेकिन उसका स्वरूप कुछ अलग है। स्पेन की संसद ने इस श्रम सुधार विधेयक पास कर दिया है। आम तौर पर श्रम सुधारों का मतलब श्रमिकों के अधिकारों में कटौती करना होता है। श्रम अधिक से अधिक पूंजी पर निर्भर हो जाए, यह उनका मकसद होता है। लेकिन स्पेन के श्रम सुधार कानून में प्रावधान मजदूरों की सुरक्षा के हैं। यानी इसके जरिए मजदूरों को सशक्त किया गया है। मसलन, नए कानून के तहत अब ज्यादातर अस्थायी अनुबंध अधिकतम तीन महीने के लिए ही किए जा सकेंगे। इसके अलावा वेतन और सेवा शर्तों पर फिर से ट्रेड यूनियनें और कर्मचारी संघ सरकार या कंपनियों से मोलभाव कर सकेंगी। इस नए कानून से पिछली कंजरवेटिव सरकार की ओर से साल 2012 में उद्योगों के हित में लाए गए कुछ नियम खत्म हो जाएंगे। प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज की सोशलिस्ट सरकार ने अब श्रम कानूनों को समाजवादी रूप दिया है। उनकी गठबंधन सरकार ने ये विधेयक लाने से पहले ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संघों से चर्चा की थी। उनका समर्थन मिलने के बाद सरकार उसे संसद में ले गई, जहां विपक्षी दक्षिणपंथी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया। Read also कांग्रेस पर हमले का बड़ा मतलब गौरतलब है कि स्पेन में अस्थायी और कम अवधि के अनुबंधों की वजह से नौकरी की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। खास तौर पर युवाओं के बीच ये समस्या है। नवंबर 2021 तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 25 साल के कम उम्र के युवाओं में से 29.2 फीसदी बेरोजगार हैं। ये देश में बेरोजगारी के औसत 14.1 फीसदी से दोगुने से भी ज्यादा है। यूरोजोन के 19 देशों में ये आंकड़ा सिर्फ 7.2 फीसदी है। यह तो साफ है कि छोटी अवधि के अनुबंध असुक्षा का भाव बढ़ाते हैं। उनका मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। स्पेन की मौजूदा सरकार में पारंपरिक सोशलिस्ट पार्टी के अलावा बीते दशक में उभरी यूनिदास पोदामॉस भी शामिल है। ये पार्टी अधिक वामपंथी रुझान वाली है। उसके दबाव में गठबंधन सरकार को जन कल्याण के कई कदम उठाने पड़े हैँ। कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को अपने हाथ में ले लिया था। उसकी दुनिया भर में चर्चा हुई थी। अब उसके श्रम सुधार भी यूरोप में खासे चर्चित हैँ। इनसे एक मिसाल कायम हुई है।
Published

और पढ़ें