Spying on hindus pegasus आप दुनिया में ढूंढे भी तो ऐसे किसी प्रजातंत्र को नहीं खोज पाएंगे, जहां बहुसंख्यक आबादी इतनी भयाकुल और डरी हुई बना दी गई है, जैसे भारत के हिंदुओं को बनाया गया है। भारत का हर समझदार, मायने रखने वाला भारतीय आज इस भय से जीता हुआ है कि फोन बदलते रहो। फोन पर बात न करो और करो तो लैंडलाइन, मोबाइल कॉल नहीं, बल्कि सिग्नल से करो या टेलीग्राम से करो। भारत के अंबानी हो या केंद्र सरकार के मंत्री या पत्रकार, नेता, अफसर सब उन तरीकों से बात करते मिलेंगे, जिससे भय प्रकट होता है।
मैं कई बार और बार-बार सोचता हूं कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह तो कांग्रेस सरकारों की जासूसी, पुलिस ज्यादतियों के अनुभव लिए हुए हैं। इसी ‘नया इंडिया’ में और मेरे ‘गपशप’ कॉलम में इन दोनों नेताओं को फंसाने की कांग्रेसी मूर्खताओं की मैंने किस्सागोई लिखी हुई है। लेकिन कांग्रेस के वक्त की आईबी, ईडी और सीबीआई का दुरूपयोग और आज के दुरूपयोग का फर्क जमीन-आसमान का है। भारत सरकार की दस एजेंसियां पहले ही भारतीय नागरिकों की जासूसी करती आई हैं लेकिन अब यह नौबत क्यों कि इजराइली कंपनी को ठेका दे कर भारतीयों की जासूसी कराएं। क्या इसलिए नहीं कि भारत की अधिकृत जासूसी एजेंसियों ओवरलोड होंगी तो विदेशी कंपनी को ठेके की जरूरत बनी!
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इससे कौन भयाकुल हो रहा है, डरपोक बन रहा है? तो जवाब है हिंदू। इजराइली कंपनी को दिए ठेके की लिस्ट के नामों पर गौर करें। मुसलमान नाम गिने-चुने मिलेंगे। जबकि सेठ अंबानी, सीबीआई के डायरेक्टर लेवल का अफसर, पत्रकार, नेता सभी हिंदू। ऐसा कहीं दुनिया में नहीं है। दुनिया में कोई कल्पना नहीं कर सकता कि इजराइल अपने यहूदियों की ऐसी जासूसी करेगा, उन्हें इतना डराएगा कि लोगों का जीवन ही भयाकुल हो जाए। अमेरिकी जासूसी एजेंसियों की औकात नहीं जो अमेरिकियों की ऐसी जासूसी कराएं या लोगों को आजाद, निर्भीक बनाने के बजाय उनमें डरे रहने के संस्कार डालें।
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समझा जा सकता है कि कांग्रेस राज में, बतौर गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी झूठे नैरेटिव और चिंताओं में डरे रहे हैं। लेकिन उससे सबक क्या यह नहीं होना चाहिए था कि मैं प्रधानमंत्री बना तो ऐसे सिस्टम को खत्म करूंगा। सबसे बड़ी बात जब हिंदू पूजते हुए हैं, सत्ता ठोस है तब हिंदुओं को ऐसे डराए रखना क्यों? क्या जो भी विरोधी हिंदू हैं वे सब देशद्रोही और आंतकी हैं? तो इसका मतलब हुआ कि मुसलमानों से खतरा नहीं, बल्कि हिंदुओं से असुरक्षा है। तभी कोई माने या न माने अपना मानना है कि इक्कीसवीं सदी के पृथ्वीराज चौहान उर्फ नरेंद्र मोदी हिंदुओं को इतना भयाकुल और बिखेर दे रहे हैं कि विकास, एकजुटता की संभावनाएं पूरी तरह खत्म होती जा रही हैं। सोचें, नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने पिछले सात वर्षों में हिंदुओं का डराया या मुसलमानों को? हिंदुओं पर इनकम टैक्स छापे ज्यादा मारे और हिंदुओं की आजादी अधिक खत्म की या उन मुसलमानों की, जिनसे बचाने के लिए हिंदुओं के बीच यह नैरेटिव बनाया था सोचो, हिंदुओं सोचो, तुम बच नहीं पाओगे! क्या भयाकुलता से हिंदू बच पाएंगे? देश में कोई भी सर्वे कर लें, हर शहर का नामी एलिट हिंदू वर्ग मोदी राज की भयाकुल बनाने वाली प्रवृत्तियों का ऐसा मारा सर्वत्र है कि गुलामी के पुराने हिंदू डीएनए फिर गहरा गए हैं।
आप नहीं मानते। मत मानिए। आगे दस-बीस साल बाद जब सभ्यतागत संघर्ष के सिनेरियो बनेंगे तब तय मानें कि भयाकुल कौम रोती-भागती मिलेगी।
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