श्रीलंका में गोतबाया राजपक्ष के राष्ट्रपति बनने पर भारत को चिंता होना स्वाभाविक है, क्योंकि उनके भाई महिंद राजपक्ष अब से पांच साल पहले दस साल तक जब श्रीलंका के राष्ट्रपति थे, तब चीन की तरफ उनका झुकाव जरुरत से ज्यादा रहा था। उन्होंने चीन से इतना ज्यादा कर्ज ले लिया था कि उन्हें हबनतोता का बंदरगाह 99 वर्षों के लिए चीन के हवाले करना पड़ गया था। चीन के युद्धपोत अक्सर श्रीलंका के बंदरगाहों पर टिके हुए दिखाई पड़ने लगे थे। चीन-श्रीलंका व्यापार में भी असाधारण तेजी आ गई थी। चीनी पर्यटकों की संख्या में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो गई थी। ऐसा लगने लगा था कि श्रीलंका मानो भारत का नहीं, चीन का पड़ौसी देश है। अब वैसा माहौल बने रहने का कोई कारण नहीं है।
अब गोतबाया ने सजित प्रेमदास को हराया तो श्रीलंका के अल्पसंख्यकों में काफी डर फैल गया है और यह माना जा रहा है कि गोतबाया भारत के लिए भी कठिनाइयां पैदा करेंगे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गोतबाया राजपक्ष के बीच जो आदान-प्रदान हुआ है, उससे आशा बंधती है कि दोनों राष्ट्रों के रिश्तों में कोई गिरावट नहीं आएगी। ऐसा माना जा रहा है कि यदि सजित प्रेमदास जीत जाते तो हमारा तमिलनाडु भी खुश हो जाता और मुसलमान भी।
अब से 36 साल पहले (1983) जब मैं अपने व्याख्यानों और अनुसंधानों के लिए एक महिने श्रीलंका में रहा था तो सजित के पिता प्रधानमंत्री प्रेमदासजी और मेरा काफी घनिष्ट संपर्क हो गया था। वे भारत, इंदिराजी और श्रीलंका की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती श्रीमाओ भंडारनायक के लिए अपशब्दों का प्रयोग करने से भी नहीं चूकते थे। वे तमिलद्रोही थे लेकिन मैं आशा करता हूं कि गोतबाया, जैसा कि उन्होंने वादा किया है, वे तमिलों और मुसलमानों के साथ कोई अन्याय नहीं करेंगे।
उनकी जीत भी इसीलिए हुई है कि उत्तर और पूर्व में बसे अल्पसंख्यकों के अलावा शेष श्रीलंका के सिंहलों ने उन्हें प्रचंड बहुमत से जिताया है। श्रीलंका के 70 प्रतिशत सिंहलों ने गोतबाया को जिताकर यह बता दिया है कि पिछले साल ईस्टर पर चर्च में हुए हत्याकांड जैसी आतंकी घटनाएं अब नहीं होंगी।
गोतबाया कट्टर बौद्ध हैं और शाकाहारी हैं। राजपक्ष परिवार से मोदी का संपर्क बना हुआ है। महिंद राजपक्ष उनसे दो बार मिल चुके हैं। भारत और श्रीलंका के संबंध इतने गहरे हैं कि कुछ तात्कालिक कारण उन्हें सदा के लिए खराब नहीं कर सकते। हमें गोतबाया राजपक्ष से डरने की जरुरत नहीं है। बल्कि मोदी को चाहिए कि वे उन्हें उनकी पहली विदेश-यात्रा के लिए भारत ही बुलाएं।
Dr. Vaidik is a well-known Scholar, Political Analyst, Orator and a Columnist on national and international affairs.