बेबाक विचार

भगवान का नाम ले कर फिर शुरू कॉलम

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भगवान का नाम ले कर फिर शुरू कॉलम
भगवान से यही प्रार्थना है कि मुझे लिखने की ताकत मिली रहे। क्योंकि लिखना तो मेरे लिए एक लत की तरह है। खैर भगवान का नाम लेकर अपना कॉलम लिखना शुरू किया है।  सच कहूं तो इतने दिनों मैंने खुद को कभी पहले जितना बेबस नहीं पाया था। भगवान से प्रार्थना है कि वह मुझे कॉलम लिखने की शक्ति दे। मुझे फोन पर लंबी बात करने से रोक दिया गया है। मैंने कभी सपने में भी इस बात की कल्पना नहीं की थी कि उम्र बढ़ने के साथ मुझे तरह-तरह की शारीरिक दिक्कते झेलनी पड़ेगी। पिछले साल अचानक हाथ-पैर कांपने शुरू हो गए थे व एक माह पहले अचनाक सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी। शाम को टहलते समय तबीयत और बिगड गई। मेरी बेटी बंगलौर से आई हुई थी व उसे शनिवार को वापस जाना था। मैंने उससे कहा कि मैं खुद को दिखाने के लिए गुड़गांव स्थित मेदांता या किसी दूसरे अस्पताल में नहीं जाना चाहता हूं। इसकी दो वजह है। पहली वजह यह है कि गुड़गांव जाने में समय बहुत लगता है व स्पेशलिस्ट को दिखाने के लिए घंटो इंतजार करना पड़ता है। फिर अगर उन्होंने भर्ती करवा दिया तो घर से इतनी दूर जाने-जाने की समस्या अलग।

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बेटी ने पास में धर्मशिला अस्पताल की तलाश की व मुझे एक दिल के विशेषज्ञ डाक्टर को दिखाने के लिए समय लिया। जब मैं उन्हें दिखाने के लिए पहुंचा तो मेरी सांस फूलने लगी व डा साहब ने तुरंत आक्सीमीटर लगाकर मेरी आक्सीजन मापी। उन्होंने बताया कि आक्सीमीटर के मुताबिक मेरी 84-85 रेट है मतलब शरीर को मिलने वाली आक्सीजन पर्याप्त नहीं है। उन्होंने मुझे तुरंत आईसीयू में भर्ती होने की सलाह देते हुए व्हीलचेयर मंगवा दी व मुझे आक्सीजन देते हुए आईसीयू में भर्ती कर दिया और मेरा ईलाज शुरू हो गया। मैं एक दिन आईसीयू में व तीन दिन क्रिटिकल केयर यूनिट सीसीयू में रहा। एक दिन और प्राइवेट कमरे में रखने के बाद डाक्टर साहब ने मेरी छुट्टी कर दी। सांस न आने पर कैसी गजब की तकलीफ होती है इसका अंदाजा उसी व्यक्ति को होता है जोकि इसके अनुभव से गुजरा हो। खैर में घर आ गया व डाक्टर साहब की सलाह पर दवाएं लेने लगा। धर्मशिला अस्पताल मेरे घर के पास है और वहां इतने अच्छे डाक्टर व मेडिकल सेवाएं मिल जाएगी, इसकी भी मैंने सपने में कल्पना नहीं की थी। घर पर लेटे-लेटे पक गया और मेंने नवरात्रि के दौरान पुनः लिखने की कोशिश की। भगवान ने मेरी सुन ली और मेरा लड़खड़ाते हुए हाथों से लिखना शुरू हो गया।   अब भगवान से यही प्रार्थना है कि मुझे लिखने की ताकत मिली रहे। क्योंकि लिखना तो मेरे लिए एक लत की तरह है। खैर भगवान का नाम लेकर अपना कॉलम लिखना शुरू किया है।  सच कहूं तो इतने दिनों मैंने खुद को कभी पहले जितना बेबस नहीं पाया था। भगवान से प्रार्थना है कि वह मुझे कॉलम लिखने की शक्ति दे। मुझे फोन पर लंबी बात करने से रोक दिया गया है। डाक्टर ने पूरे दिन में एक लीटर पानी पीने की सलाह दी है। यह समय कैसे कटेगा, भगवान ही जानता है। अतः लंबे अरसे के बाद कॉलम लिखना शुरू कर दिया।

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इस बीच अनेक पाठको ने भी कॉलम न लिखने की वजह जाननी चाही थी। यह सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा कि कुछ लोगों को मेरे कॉलम का इंतजार रहता है। अब डाक्टर की सलाह को मानते हुए मैंने बिस्तर से धीरे-धीर उठकर खड़े होना और रात को सहारा लेकर बाथरूम तक जाना शुरू कर दिया है। आगे भगवान की इच्छा। करीब 8-10 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान मुझे बहुत अजीब-सा अनुभव हुआ। लोग अस्पताल जाने पर कितना गंदा बरताव कर सकते हैं मुझे इसका भी अनुभव हुआ। अस्पताल में मैं बिना कुल्ला किए खाना व दवा खाने की बात से परेशान था। डाक्टर ने मुझे समझाया कि आपका दिल पूरी तरह से काम नहीं कर रहा है अगर आपने ज्यादा दौड़-भाग की तो सांस लेने की समस्या बढ़ जाएगी। मैंने किसी तरह से वह समय काटा और घर पहुंच कर पहले की तरह सामान्य जिदंगी बिताने की कोशिश करने लगा। नवरात्रि के शुरू हो जाने से हर साल की तरह पूजा भी कर लरहा हूं। अब मैं 64 साल का हो गया हूं व मेरी उम्र इतनी ज्यादा भी नहीं है कि मुझे अपनी उम्र याद करनी पड़े। पर शायद भगवान को यही मंजूर था। जो हो अब उसका नाम लेकर कॉलम उठाई है व उससे गुजारिश है कि वह मुझे लिखने की हिम्मत दे।

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कल मैं अस्पताल यात्रा के अनुभवो को लिखने की कोशिश करूंगा। अब जब शारीरिक दिक्कते व कमजोरी का बोध हुआ तो याद आया कि मुझे बहुत से वे काम पहले ही कर लेने चाहिए थे जिन्हें मैं टालता आया था। क्योंकि पता नहीं कि भगवान कब ऐसी स्थिति कर दे कि हालात चलने फिरने के लायक न रहे। बेटे की भी याद आने लगी है जोकि कनाडा में है। पिछले तीन वर्षों से पहले कोविड के कारण व बाद में छुट्टी न मिलने के कारण वह हमसे मिलने भारत नहीं आ पाया। कनाडा सरकार ने मुझे 10 साल का वीजा दिया था मगर मेरा पासपोर्ट ही इस साल खत्म हो गया। अब नए सिरे से पुनः वीजा हासिल करने की भागदौड् शुरू करनी पड़ेगी। मुझे 19 नवंबर को पुनः दूतावास जाना है। ईश्वर करे कि तब तक मैं स्वस्थ रहूं।  
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