बेबाक विचार

स्वर्ण में लौटा भरोसा

ByNI Editorial,
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स्वर्ण में लौटा भरोसा
अभी दुनिया में दिख रही एक परिघटना का दूरगामी नतीजा होगा। इस परिघटना का सीधा संबंध 1970 के दशक में गोल्ड स्टैंडर्ड खत्म करने के अमेरिका के फैसले के बाद बनी वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के लिए खड़ी हो रही चुनौती से है। दुनिया में इस समय तेजी से बढ़ रही इस परिघटना को सबको ध्यान में रखना चाहिए। इसका दूरगामी नतीजा होगा। इस परिघटना का सीधा संबंध 1970 के दशक में गोल्ड स्टैंडर्ड खत्म करने के अमेरिका के फैसले के बाद बनी वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के लिए खड़ी हो रही चुनौती से है। परिघटना यह है कि दुनिया भर के सेंट्रल बैंक बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैँ। उन्होंने इस साल सोने की रिकॉर्ड खरीदारी की है। चूंकि यह पूरा ब्योरा सामने नहीं है कि किसने कितनी मात्रा में खरीदारी की, इसलिए विशेषज्ञों ने कयास लगा है कि संभवतः चीन ने सबसे बड़ी खरीदारी की है। चीन के सेंट्रल बैंक- पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अपने भंडार में मौजूद सोने के बारे में आखिरी बार जानकारी सितंबर 2019 में थी। इसलिए चीन की खरीदारियों की ताजा ठोस जानकारी सामने नहीं है। स्वर्ण बाजार की संस्था वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक इस वर्ष जुलाई से सितंबर तक सेंट्रल बैंकों ने 399.3 टन का सोना खरीदा। इसके पहले वाली तिमाही यानी अप्रैल से मई के बीच इन बैंकों ने 186 टन सोना खरीदा था। जनवरी से मार्च के बीच 87.7 टन सोना खरीदा गया था। 1967 के बाद सेंट्रल बैंकों ने सोने की इतनी बड़ी मात्रा में कभी खरीदारी नहीं की। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक टर्की ने 31.2 टन, उज्बेकिस्तान ने 26.1 टन, और भारत ने 17.5 टन सोना खरीदा है। तो सवाल यह पूछा जा रहा है कि बाकी 300 टन सोना किस देश के सेंट्रल बैंक ने खरीदा? यहीं पर निगाहें चीन पर टिकी हैं। अनुमान यह है कि इस वर्ष फरवरी में रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगाने के बाद बहुत से देशों ने अमेरिकी मुद्रा डॉलर पर अपनी निर्भरता घटाने के लिए सोने की खरीदारी बढ़ा दी। इसका प्रमुख कारण अमेरिका अपने यहां जमा रूस के 300 बिलियन डॉलर को जब्त करने लेने का फैसला था। इससे कई देशों में यह डर पैदा हुआ कि कभी अमेरिका ऐसा कदम उनके खिलाफ भी उठा सकता है। अगर सोने की खरीदारी इसलिए की जा रही है, तो बेशक यह एक बड़े बदलाव का संकेत है।
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