Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

की फर्क पैंदा!

भारत में फेसबुक के सबसे ज्यादा यूजर हैं। कोई 42 करोड़ लोग भारत में फेसबुक इस्तेमाल करते हैं। ट्विटर, गूगल और यूट्यूब का इस्तेमाल करने वाले भी करोड़ों में हैं। हम इस बात से खुश हैं कि भारतीय मूल का फलां फलां आदमी अमेरिका की फलां फलां कंपनी का सीईओ है। लेकिन भारत में भी कुछ ऐसा बने, इसकी परवाह कभी नहीं हुई। चीन ने अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बना लिया लेकिन कथित तौर पर दुनिया की सारी टेक्नोलॉजी कंपनियां चलाने वाले भारतीयों के देश में ऐसा नही हुआ। एकाध आधे अधूरे प्रयास हुए भी तो उनको यूजर नहीं मिला। सिर्फ बड़ी आबादी के दम पर सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर भारत में हो जाएंगे, कंप्यूटर यूजर भी होंगे, मोबाइल यूजर भी हो जाएंगे लेकिन इनमें अपना क्या है?

एक जमाने में भारत में मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली आधा दर्जन कंपनियां थीं। माइक्रोमैक्स से लेकर लावा तक कंपनियों की धूम थी। आज एक भी नहीं है। फिर भी क्या फर्क पड़ता है! हमने छह की जगह 23 आईआईटी बना दिए लेकिन उन आईआईटीज ने भारत के लिए क्या बना दिया? हमने छह की जगह 16 आईआईएम बना दिए पर इन आईआईएम ने देश के लिए क्या बना दिया? बावजूद इसके किसी को परवाह नहीं है। विदेश से तकनीक लाकर देश में मोबाइल बना रहे हैं, मेट्रो बना रहे हैं, लड़ाकू और कार्गो विमान बना रहे हैं, विदेशी उत्पादों की असेंबलिंग और पैकेजिंग के यूनिट खोल रहे हैं लेकिन साथ ही बताते हैं कि दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी तक्षशिला और नालंदा में बनी थी।

फातेह वास्ती का एक शेर है- किस किस का जिक्र कीजिए, किस किस को रोइए। दिन रात लूटमार है मजहब के नाम पर। यह एक काम है, जो भारत के लोग फिलहाल बहुत शिद्दत और विशेषज्ञता से कर रहे हैं। मजहब के नाम पर बंटवारा और लूटमार ये फिलहाल सबसे पसंदीदा खेल है, और निश्चित ही इसमें विश्व चैंपियन बनने की क्षमता झलती हुई है।

Exit mobile version