राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी संस्थाएं झूठीं

ऐसा नहीं है कि भारत सरकार की नजर में सिर्फ यूरोप की संस्थाएं, गैर-सरकारी संगठन या यूरोपीय देशों के अखबार व पत्रिकाएं झूठ बोल कर भारत को बदनाम कर रहे हैं, भारत सरकार की नजर में संयुक्त राष्ट्र संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका भी झूठे हैं। यूएन की संस्थाएं भारत को बदनाम कर रही हैं तो अमेरिकी कांग्रेस की कमेटी भी भारत को बदनाम करने में लगी है। संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिकी कांग्रेस की कमेटी ने भारत में मानवाधिकारों की स्थिति से लेकर धार्मिक समानता और खुशहाली के सूचकांक पेश किए हुए है। कहने की जरूरत नहीं है कि इनमें भी भारत की रैंकिंग बहुत खराब है। तभी इनका सूचकांक जारी होते ही भारत सरकार के मंत्रालय और सत्तारूढ़ दल के नेता इनको खारिज करने में लग जाते हैं।

मिसाल के तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था यूएनडीपी हर साल मानवाधिकारों की रिपोर्ट तैयार करती है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक मानवाधिकारों की स्थिति में भारत 191 देशों की सूची में 132वें स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था यूएनडीपी की ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में 189 देशों की सूची में 131वें स्थान पर भारत था। इसके बाद 2021-22 की साझा रिपोर्ट आई, जिसमें भारत 132वें स्थान पर पहुंच गया। अगर दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत से नीचे नेपाल, म्यांमार और पाकिस्तान हैं बाकी बांग्लादेश, चीन, भूटान, श्रीलंका आदि मानवाधिकार मामले में भारत से ऊपर हैं।

इसी तरह हर साल अमेरिकी कांग्रेस की संस्था धार्मिक समानता पर रिपोर्ट तैयार करती है। यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम यानी यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में भारत को खास तौर से चिंता वाली श्रेणी में रखा है। इसे कंट्री ऑफ पर्टिकुलर कन्सर्न यानी सीपीसी श्रेणी में रखा है। भारत के अल्पसंख्यकों, जिसमें मुस्लिम, सिख सब शामिल हैं उनकी स्थिति के आधार पर रिपोर्ट तैयार हुई है। अमेरिका के साथ भारत की दोस्ती के तमाम दावों के बावजूद भारत देश  कंट्री ऑफ पर्टिकुलर कन्सर्न की श्रेणी में है। इस श्रेणी में भारत के साथ अफगानिस्तान, चीन, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब और कुछ अन्य इसी तरह के देशों को रखा गया है। इससे एक लोकतांत्रिक देश के तौर पर भारत की स्थिति जाहिर होती है। लेकिन हर बार होता क्या है>धार्मिक समानता की रिपोर्ट आने पर मोदी सरकार इसे खारिज कर देती है।

संयुक्त राष्ट्र संघ हर साल खुशहाली रिपोर्ट भी तैयार करता है। इसमें लोगों के पोषण, स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा, आजादी, खरीद करने की क्षमता आदि के कई पैमाने जांचे जाते हैं। औप पता है संयुक्त राष्ट्र संघ की वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट में दुनिया के 146 देशों में से भारत किस स्थान पर है? 136वें स्थान पर। यानी जो देश इस सर्वे में शामिल किए गए उनमें से सिर्फ 10 देश ही भारत से नीचे हैं।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें