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उत्तराखंड में खतरनाक संकेत

Uttarakhand

सवाल पोस्टर लगाने वाले व्यक्तियों की पहचान और उन पर ऐसी कार्रवाई का है, जिससे समाज में इस तरह के विभेद पैदा करने वाले तत्वों को सख्त संदेश जा सके। अपराध कोई व्यक्ति करता है। इसके लिए किसी पूरे समुदाय को निशाना बनाना तार्किक नहीं है।

खबरों के मुताबिक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला में नाबालिग लड़की को अगवा करने के प्रयास के बाद तनाव का माहौल बना हुआ है। एक संगठन की तरफ से ऐसे पोस्टर लगाए हैं, जिनमें अल्पसंख्यकों से अपनी दुकानों को खाली करने को कहा गया है। खबर है कि ये पोस्टर पुरोला में लगाए गए हैं, जहां के मुख्य बाजार में करीब 700  दुकानें हैं, जिनमें 40 दुकानें मुसलमानों की हैं। उत्तरकाशी जिले में स्थित इस कस्बे में ‘देवभूमि रक्षा अभियान’ नाम के संगठन की तरफ से भड़काऊ पोस्टर चिपकाए गए हैं। जाहिर है, पोस्टर लगाए जाने के बाद से अल्पसंख्यक समुदाय में डर पैदा हुआ है और वहां के व्यापारियों ने पुलिस और प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। पुलिस को बेशक इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। चूंकि यह खबर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो चुकी है, इस बारे में राज्य सरकार को भी अवश्य सूचना मिली होगी।

बेहतर यह होता कि राज्य सरकार इस मामले में फुर्ती दिखाती, आशंकित समुदाय को आश्वस्त करती और पोस्टर लगाने वाले संगठन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की शुरूआत कर दी जाती। लेकिन आज के राजनीतिक माहौल में ऐसी साधारण अपेक्षाएं भी कई बार बेमतलब लगने लगती हैँ। अब तक मिली खबरों के मुताबिक पुलिस ने स्थानीय व्यापार मंडल और स्थानीय लोगों के साथ भी बैठक की है और उनसे कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है। साथ ही पोस्टरों को हटा दिया गया है। यह स्वागतयोग्य बात है। यहां यह गौरतलब है कि अपराध कोई व्यक्ति करता है। इसके लिए किसी पूरे समुदाय को निशाना बनाना ना तो तार्किक है और ना ही इसकी किसी सभ्य समाज इजाजत होनी चाहिए। मौजूदा घटना बीते दिनों हुई एक आपराधिक घटना से जुड़ी बताई गई है। बीते 26  मई को दो लोगों ने इस इलाके से एक नाबालिग को अगवा करने की कोशिश की थी। स्थानीय लोगों ने लड़की को अगवा से होने बचा लिया और पुलिस ने दोनों युवकों को गिरफ्तार भी कर लिया था। अब पुलिस का फर्ज है कि दूसरे अपराध के मामले में भी वह इतनी ही चुस्ती दिखाए।

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