बेबाक विचार

जानवर से कम नहीं इंसान

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जानवर से कम नहीं इंसान
जब केरल के मलप्पुरम में एक गर्भवती हथिनी को अन्नास में पटाखे रखकर खिलाकर उसे बुरी तरह घायल कर देने की खबर पढ़ी तो दिल कांप गया। बाद में कुछ न खा पाने के कारण इस घायल हथिनी व उसके बच्चे की मौत हो गई। यह सब पढ़कर लगा ही था कि क्यान इंसान इतना जालिम हो सकता है कि तभी एक और खबर आ गई। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में एक गर्भवती गाय के साथ अमानवीय घटना घटी। कुछ शरारती तत्वों ने गाय को खाने के सामान के साथ विस्फोटक प्रदार्थ खिला दिए जिससे उसका जबड़ा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। अब गाय का मालिक उस घायल गाय की वीडियो बनाकर सरकार से इस मामले में इंसाफ मांग रहा है। दोनों ही जगहों पर पुलिस द्वारा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए जा चुके हैं। अपना मानना है कि पूरी दुनिया में इंसान हमेशा से बहुत क्रूर रहा है। मैंने अपने जीवन में भैंसा गाड़ी के मालिको को झूलसती गरमी में माल भरा ठेला खींच रहे भैंसो को चढ़ाई पर बुरी तरह से पीटते हुए देखा है। कानपुर में तो अक्सर ही तांगें वाले बहुत बुरी तरह से घोड़ो को मारा करते थे। कुछ साल पहले ही एक नेता द्वारा सवारी घोड़े की टांग काट देने की खबर आई थी। कई बार तो लगता है कि हर इंसान के अंदर क्रूरता छिपी रहती है। सिर्फ क्रूरता के पैमाने पर उसका स्थान अलग-अलग होता है। यही क्रूरता थी जिसकी वजह से हजारों साल पहले ईसा मसीह के हाथ व पैरो में कीले ठोंक कर सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया गया था व अफगानिस्तान व आईएस के प्रभाव वाले इलाको में खुलेआम लोगों को फांसी पर चढ़ाने, उन्हें कोड़े मारते या उनको गोली या चाकू द्वारा रेत दिए जाने के वीडियो सार्वजनिक होते रहें। कई बार तो मुझे लगता है कि क्रूरता मानों मानव का स्वभाविक गुण है। उसने तो इस मामले में भगवान तक को नहीं बख्शा है। अगर आप प्रजापिता ब्रह्मकुमारियों के आश्रम में जाएं तो आपको तरह-तरह के चित्र देखने को मिलेंगे। हाथ से बनाए इन चित्रों में दिखाया गया है कि धरती पर किए गए पाप-पुण्यों की मरने पर क्या सजा मिलती है। जैसे कि एक चित्र में कुछ खास तरह का पाप करने वालो को उबलते तेल के कड़ाई से मरने के बाद नरक में तैरते हुए दिखाया गया है। मतलब कि आदतन शाकाहारी व सबके सुख की बात करने वाला यह संगठन भी ईश्वर द्वारा इतनी ज्यादा क्रूरता प्रदर्शित किए जाने की बात कर सकता है। आदमी द्वारा जानवरों को बुरी तरह से मारना पीटना। उन्हें भरपेट खाना पानी न देना, कुत्तो व मुरगों की आपस में जान लेना, लड़ाई करवाना इसके आम उदाहरण है। कुछ समय पूर्व गुड़गांव के एक घुड़साल में बंधे सैकड़ों घोड़ों को महीनो से खाना-पानी न दिए जाने के मामले प्रकाश में आए थे। कुछ घोड़े तो बेहद कमजोर होकर मर तक गए थे। फिर एक मुहल्ले में किसी द्वारा कुत्तों की हत्या कर देने का मामला प्रकाश में आया। इस संबंध में किया गया शोध बताता है कि जानवरो को प्रताडि़त करने वाला यह अवगुण लोगों में बचपन से ही शुरू हो जाता है। कई हत्यारों पर शोध करने से पता चला कि वे लोग अपने बचपन में ही जानवरो को सताया करते थे। उन्हें भूखा रखकर उनके साथ मारपीट करते थे। सेक्स संबंधी अपराध करने वाले तोजानवरों के साथ क्रूरता बरतने का इतिहास रखते हैं। कुछ लोग तो अपने बचपन में कुत्तो व बिल्लियों के बच्चे को चाकू से गोदने के बाद उन्हें रस्सी से बांध कर फांसी पर लटका चुके थे उनके दर्द के कारण चिल्लाने की आवाज सुनकर उन्हें बहुत खुशी मिलती थी। आमतौर पर परिवार, समाज व स्कूलों के बच्चो की इन आदतो की अनदेखी की जाती है। जिसकी आगे चलकर बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। जब मैं बच्चा था तो एक ऐसे लड़के को जानता था जोकि टडेपोल, मेढ़क के बच्चे व कछुओं को दियासलाई की खाली डब्बी में बंद करके उन्हें धूप में लाकर लेंस के जरिए जलाता था व उनकी पीड़ा देखकर बहुत खुश होता था। हिटलर ने तो इस मामले में यहूदियो तक को नहीं बख्शा था व उनके शरीर से तेल निकाल कर उससे साबुन तक बनाने की कोशिश की थी। हमारी क्रूरता सिर्फ जानवरो तक ही सीमित नहीं है। हमें किसी भी जीवित चीज को सजा देने में खुशी मिलती है। मैंने पाया कि मेरी सोसायटी के कुछ युवा हरे भरे पेड़ो को तोड़ देते हैं। पौधे उखाड़ देते है हालांकि वे उनके किसी काम नहीं आते है मगर उनकी इस क्रूरता पर उनके परिवार के लोगों का ध्यान नहीं जाता है। कई बार मुझे लगता है कि अगर उनकी यह कूरता जारी रही तो एक दिन वे जानवरों से गए गुजरे न घोषित कर दिए जाए। यही कारण है कि आमतौर पर शाकाहारी माने जाने वाले हिंदू समाज में दहेज न लाने के कारण नई नवेली बहुओं को जला कर मार दिए जाने के मामले देखने को मिलते रहते हैं। क्रूरता तो मानव का मानों स्वाभाविक अवगुण बन गई है।
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