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इमरान और सेना में शुरू तनातनी?

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इमरान और सेना में शुरू तनातनी?
दुनिया भर के अखबारों में इमरान खान सरकार का तख्ता पलटने की आशंका की खबरें आ रही है।.. इमरान खान ने न चाहते हुए भी नए आईएसआई अध्यक्ष के नाम की घोषणा इसलिए की क्योंकि उन्हें लगने लगा कि ऐसा न करने से सेना नाराज नहीं हो जाए। पहले हमीद को उनका आदमी माना जाता था। इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने में उनकी अहम भूमिका रही क्योंकि वे उनको दुश्मनों को निपटाने में माहिर है। Pakistan PM Imran Khan पाकिस्तान में एक पुरानी कहावत है कि इस देश को तीन चलाते हैं। का तात्पर्य है अल्लाह, आर्मी व अमरीका। हालांकि एबटाबाद में आतंकवादी बिन लादेन के छिपने की जगह पर हमला कर उसे मार गिराने के बाद अमरीका के पाकिस्तान से संबंध खराब हो गए हैं। मगर अल्लाह व आर्मी की अहमियत बदस्तूर जारी है। वैसे भी सेना की भूमिका सरकार के बनाने व गिराने में रहती आयी है। पाकिस्तान के पतन के बाद से ही यह सिलसिला चला हुआ है। वहां की हर सरकार को सेना के सामने घुटने टेकने होते हैं। उस पर तख्ता पलटे जाने का खतरा मंडराता रहता है। पाकिस्तान का इतिहास व आगे भविष्य ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा होगा।  इसमें सेना की जासूसी एजेंसी आईएसआई की अहम भूमिका रही है। हर सरकार और उसका प्रधानमंत्री यह चाहता रहा हैं कि आईएसआई का प्रमुख उसका अपना आदमी बने ताकि उसकी सत्ता बनी रहे। यह तथ्य सर्वविदित है कि मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता में लाने में आईएसआई व सेना का बहुत अहम किरदार रहा है। पिछले दिनों आईएसआई का प्रमुख किसे नियुक्त किया जाए इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री इमरान खान व थल सेना अध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा की करीब तीन हफ्तों से तनातनी चली। अंतत: लेफ्टीनेट जनरल नदीम अंजुम को आईएसआई चीफ नियुक्त कर बाजवा ने बाजी मार ली है। वैसे तो इमरान खान की पसंद कोई और था लेकिन उस नाम पर बाजवा सहमत नहीं हो रहे थे। जो घोषणा सरकार को करनी थी उसकी घोषणा 6 अक्टूबर को सेना ने करते हुए कहा  कि ले. जनरल नदीम अंजुम आईएसआई के मौजूदा प्रमुख ले. जनरल फैज हमीद की जगह लेंगे मगर तब प्रधानमंत्री दफ्तर ने सेना के इस ऐलान पर यह कहते हुए जवाब दिया कि इस नियुक्ति के संबंध में चुनी हुई सरकार के साथ आवश्यक विचार विमर्श नहीं हुआहै। इसके बाद से ही दोनों ओर से तनातनी चलती रही। फिर बाजवा ने बीच का रास्ता निकालते हुए प्रधानमंत्री से मुलाकात की। बताते है बाजवा अपने साथ आधा दर्जन अफसरों के नामों की सूची ले कर गए व इनमें से नदीम अहमद अंजुम को अंततः इमरान खान ने हालात की नाजुकता को भांपते हुए उन पर स्वीकृति की मोहर लगा दी।

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Pakistan PM Imran Khan Pakistan PM Imran Khan नए आईएसआई प्रमुख 20 नवंबर को अपने पद की शपथ लेंगे। तनातनी के चलते काफी दिनों से इन अटकलों का बाजार गर्म रहा कि प्रधानमंत्री व सेना प्रमुख के संबंध अच्छे नहीं है। सरकार चाहती है कि इस पद पर नियुक्ति करते समय सेना सही प्रक्रिया का पालन करें। यहां यह बताना जरुरी हो जाता है कि अक्टूबर में ही बाजवा ने सेना के बड़े अफसरों में काफी बदलाव किया था। उन्होंने तत्कालीन आईएसआई प्रमुख ले. जनरल फैज अहमद को कराची कार्प्स कमांडर नियुक्त किया व नदीम अंजुम को आईएसआई का प्रमुख बनाने का फैसला किया। मगर वह तत्कालीन फैसला था। तत्कालीन फैसलों पर सरकार ने सहमति देते हुए ऐलान नहीं किया। अंततः दोबारा नाम भेजे जाने पर सरकार ने नदीम अहमद अंजुम को 20 नवंबर से कार्यभार संभालाने की सूचना जारी की। मजेदार बात है कि सेना प्रमुख ने जिन उम्मीदवारों की सूची भेजी थी प्रधानमंत्री ने उन सात उम्मीदवारों का बकायदा इंटरव्यू लिया। असल में यह एक ऐसा पद है जिस पर प्रधानमंत्री से लेकर सेना अध्यक्ष तक सभी अपने मोहरे बैठाना चाहते है। इन्हीं कारणों से दुनिया भर के अखबारों में इमरान खान सरकार का तख्ता पलटने की आशंका की खबरें आ रही है। यह याद दिलाना जरुरी हो जाता है कि पाकिस्तानी सेना के तीन जनरल अगले साल रिटायर होने वाले हैं। इसीलिए आईएसआईएस प्रमुख ले. जनरल फैज हमीद की वहां से छुट्टी कर दी गईं । वे ढाई साल इस पद पर रहें। मौजूदा सेनाध्यक्ष बाजवा अगले साल रिटायर होने वाले हैं। आईएसआई प्रमुख को सेनाध्यक्ष बनाने के लिए उसका कार्प्स  कमांडर बनना जरुरी होता है। इमरान खान ने न चाहते हुए भी नए आईएसआई अध्यक्ष के नाम की घोषणा इसलिए की क्योंकि उन्हें लगने लगा कि ऐसा न करने से सेना नाराज नहीं हो जाए। पहले हमीद को उनका आदमी माना जाता था। इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने में उनकी अहम भूमिका रही क्योंकि वे उनको दुश्मनों को निपटाने में माहिर है। हाल में अपनी अफगानिस्तान यात्रा के दौरान हमीद काफी विवादास्पद हो गए थे। बताते हैं कि हमीद सत्तारुढ़ दलों के कुछ नेताओं के काफी करीब आने लगे थे। यह बात इमरान खान को पसंद नहीं थी। इमरान खान को आशंका थी कि आईएसआई प्रमुख पद पर उनका अपना आदमी नहीं बैठा तो उनके लिए अपनी मनचाही कर पाना मुश्किल हो जाएगा। इमरान खान अपने पसंद के ले. जनरल आसिफ गफ्फूर को इस पद पर लाना चाहते थे। वे सोशल मीडिया पर इमरान खान की नीतियों का प्रचार करते रहे हैं। यह माना जा रहा है कि अपने मन का आईएसआई प्रमुख बनवाकर बाजवा ने अगले साल 22 नवंबर को समाप्त हो रहे अपने कार्यकाल बढ़ाया जाना सुनिश्चित कर लिया है। वह 29 नवंबर 2016 को पाक सेना के सेनाध्यक्ष बने थे। ले. जनरल हमीद को तालिबान के आतंरिक गृहमंत्री जाने माने कुख्यात आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी का समर्थक माना जाता है। नदीम अंजुम खुराफते करने में माहिर है। कराची के पुलिस आईजी का सेना ने जो अपहरण किया था उसमें उसकी अहम भूमिका थी। वह बलूचिस्तान में काफी समय तक रह चुका है। आपरेशन जर्ब ए अजब के दौरान वह वजीरिस्तान में सेना की एक टुकड़ी का प्रमुख था यहां यह बताना जरुरी हो जाता है कि 1947 में पाकिस्तान में दो मुख्य गुप्तचर एजेंसियां थी, इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) और मिलिट्री इंटेलीजेंस (एमआई), पर 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी मिलिट्री इंटेलीजेंस (एमआई) सेना के तीन अंगों नेवी, आर्मी और एयरफोर्स के बीच सूचनाओं और व्यवस्थाओं के आदान-प्रदान में एकदम विफल रही। इस असफलता से एक नई एजेंसी की जरूरत महसूस हुई। नतीजतन 1948 में आईएसआई का गठन किया गया। इस एजेंसी को 1980 से तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खिया बटोरने में मदद मिली जब उसने अफगान मुजाहिदीन का समर्थन करना शुरु कर दिया। तब सोवियत संघ-अफगान के बीच टकराव चल रहा था। जो हो , हाल ही में जिस तरह से तालिबान ने अफगानिस्तान में कब्जा किया उसे पूरी तरह पूरी तरह से पाकिस्तान आर्मी का समर्थन व सहयोग हासिल था। देखना यह है कि मौजूदा आईएसआई भारत के खिलाफ कैसा व क्या हाथकंडा अपनाते हैं। Pakistan PM Imran Khan
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