रिपोर्टर डायरी

संपत्ति विवाद और जयपुर घराना

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संपत्ति विवाद और जयपुर घराना
अदालत ने 15,000 करोड़ रू की संपत्ति का मालिक जिन दो लोगों को ठहराया उनका भारत से कुछ लेना देना नहीं है। वे लोग यहां के नागरिक भी नहीं हैं और थाईलेंड में रहते हैं। जयपुर की महारानी गायत्री देवी के परपौत को जयपुर स्थित जयमहल होटल का मालिक करार दिया वही सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर के शाही होटल रामबाग पैलेस के विवाद का भी निस्तारण कर दिया है। Property Disputes Jaipur Gharana पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने ढाई दशक पुराने जयपुर राज परिवार में चले आ रहे संपत्ति संबंधी विवाद को हल किया। मजेदार बात है कि अदालत ने 15,000 करोड़ रू की संपत्ति का मालिक जिन दो लोगों को ठहराया उनका भारत से कुछ लेना देना नहीं है। वे लोग यहां के नागरिक भी नहीं हैं और थाईलेंड में रहते हैं। जयपुर की महारानी गायत्री देवी के परपौत को जयपुर स्थित जयमहल होटल का मालिक करार दिया वही सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर के शाही होटल रामबाग पैलेस के विवाद का भी निस्तारण कर दिया है। जयपुर के राजपरिवार की संपत्ति का मामला 1997 में जगत सिंह के निधन के बाद शुरु हुआ था। संपत्ति जयपुर के पूर्व महाराज मानसिंह की थी जिसे उन्होंने अपने बेटे जगत सिंह को दिया था। जगत सिंह महाराजा मानसिंह व गायत्री देवी के इकलौते पुत्र थे। मगर 1997 में जगत सिंह के निधन के बाद यह मामला अदालत में पहुंचा। जगत सिंह की शादी थाईलैंड के शाही परिवार में जन्मी प्रियनन्दना से हुई। मगर शादी के कुछ समय के बाद दोनों के संबंध काफी खराब हो गए। उनका तलाक हो गया। जगत सिंह और प्रियनन्दना के अलगाव के बाद उनकी संतान देवराज और लालित्या भी प्रियनन्दना के साथ थाईलैंड में रहने लगे थे। प्रियनन्दना के अपने पीहर थाईलैंड में रहने के दौरान जयमहल पैलेस को महाराज मानसिंह की दूसरी पत्नी के पुत्र पृथ्वीराज सिंह के पुत्र विजित सिंह ने अपने अधिकार क्षे में लिया। इसके बाद प्रियनन्दना ने अपनी संतान को इस संपत्ति में हक दिलाने के लिए अदालत की शरण ली। उससे सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस कोरियन जोसेफ की मध्यस्थता से समझौता संपन्न हुआ है। रॉयल प्रॉपर्टी विवाद के सुप्रीम समझौते के अनुसार जयपुर राजघराने के पूर्व महाराज मानसिंह और पूर्व महारानी गायत्री देवी के पौत्र देवराज और पौत्री लालित्या को स्वर्गीय जगत सिंह का उत्तराधिकारी माना गया है। Read also कांग्रेस के सीएम दावेदार कौन? समझौते के तहत जयमहल पैलेस का पूरा अधिकार देवराज और पौत्री लालित्या को मिला है। जयमहल पैलेस जयपुर के बीच शहर में स्थित एक पांच सितारा होटल है जो टाटा समूह द्वारा एक पांच सितारा होटल के रुप में चलाया जाता है। वहीं विजित सिंह से सारा नियंत्रण वापस ले लिया गया है। उन्हें इस होटल के कुछ शेयर दिए गए हैं। संयोग से दोनों ही महल टाटा समूह द्वारा पांच सितारा होटल के रुप में चलाए जाते हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित शहर के बीचों बीच मान सागर झील के अंदर 1699 में महल बना था। 18 वीं सदी में आमेर के राजा जयसिंह के महल व झील का विस्तार किया। इसे राजस्थान की राजपूत शैली में बनाया गया है। इसके पूर्वी हिस्से में मानसागर जलाशय है जिसके किनारे नाहरगढ़ शेर पर्यावरण. लाल बालू व पत्थर से बने हैं। इस महल में पांच मंजिले है जिसमें से चार मंजिले झील में डूबी रहती है। हालांकि पानी में डूबे रहने के कारण उसमें सीलन आ रही है व उसका पलस्तर भी उखड़ने लगा है। कई बार राजस्थान सरकार उसकी मरम्मत करवा चुकी है जब 2009 में इसकी मरम्मत की गई तो महल के मूल पलस्तर को उखाड़ना पड़ा। पलस्तर ठीक से न लगने पर चूने, बालू व सुरखी से तैयार पलस्तर किया गया तो उसमें गुड़ व गुगल और मैथी का पावडर भी मिलाया गया। इससे साबित होता है कि इस महल का निर्माण झील के तल पर किया गया। इस पर अनेक छतरियों भी बन है। जहां कभी जयपुर के शासकों का अंतिम संस्कार किया गया उनमें प्रतापसिंह, माधोसिंह, जयसिंह की छतरियां शामिल हैं। जयसिंह की छतरी संगमरमर से तैयार की गई हैं। राजस्थान, पार्षद निगम ने इसकी मरम्मत करने के साथ साथ इसके आसपास के 100 एकड़ इलाके को 99 सालों के लिए लीज पर लिया है। इस समय नवरतन कोठारी झील व महल की देख रेख कर रहे हैं जो कि इसके आसपास कुछ और पांच सितारा होटल बनाना चाहते हैं। अधिक पैसे खर्च् होने के कारण सरकार व निजी संस्थान मिल जुलकर काम कर रहे हैं। हालांकि इस परियोजना के कारण जयपुर में सीवेज के लिए समस्या पैदा हो गई हैं। झील से बड़ी तादाद में गाद निकालनी पड़ रही है झील के पानी को स्वच्छ रखने के लिए पर्याप्त आक्सीजन का प्रबंध करना पड़ रहा है। Property Disputes Jaipur Gharana यह महल 5 मई 1956 को तत्कालीन महाराज सवाई मानसिंह ने अपने छोटे बेटे  के नाम पर कर दिया था। जगत सिंह ने अपने जीवनकाल में ही यह संपत्ति टाटा समूह को होटल चलाने के लिए दी थी।  यहां यह याद दिलाना जरुरी हो जाता है कि तलाक के बाद जगतसिंह लंदन में रहने लगे। उनकी अनुपस्थिति में पृथ्वीराज सिंह उनकी संपत्ति की देखभाल करते थे। मगर 1997 में जगतसिंह की मौत के बाद पृथ्वीसिंह ने पूरी संपत्ति अपने नियंत्रण में ले ली। उन्होंने देवराज सिंह व लालित्या को भी संपत्ति से बेदखल कर दिया व एक उत्तराधिकार संबंधी पत्र दिखा कर उन्हें होटल चलाने वाली कंपनी को किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लेने दिया। उन्होंने अपने बेटे विनीत सिंह की पत्नी मीनाक्षी को होटल में निदेशक बना दिया। महारानी गायत्री देवी कूच विहार की राजकुमारी थी। गायत्री देवी की शादी जयपुर के राजा मानसिंह द्वितीय से हुई थी।  उन्हें जयपुर में राजमाता के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद वे स्वतंत्र पार्टी में शामिल हुई। वे बहुत सुंदर थी।  इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी में महारानी गायत्री देवी को 5 महीने तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा। गायत्री देवी ने अपना पहला चुनाव स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर जीता था। उनकी जीत गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई थी। उन्हें तब 2.46 लाख मत में से 1.93 लाख मत मिले थे।
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