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पराग अग्रवालः क्यों देशी अमेरिका में सुपरहिट होते?

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पराग अग्रवालः क्यों देशी अमेरिका में सुपरहिट होते?
टिवटर कंपनी के संस्थापकों में एक जैक डोर्सी उन्हें बहुत पसंद करते हैं। पराग ऐसे समय इस कंपनी की कमान संभाल रहे हैं जब टिवटर को तरह-तरह की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। ....आप किस पद तक पहुंचेगे यह आपकी तकदीर तय करती है। इसलिए अक्सर किसी गीत के यह बोल बहुत अच्छे लगते है कि जो मिल गया उसे मुकद्दर समझ लिया क्या रेखाओं का खेल है, मुकद्दर रेखाओं से तुम मात खा रहे हो। यह बात मेरी समझ में आज तक नहीं आयी कि जहां एक ओर भारत के अंदर हम सब देशी कुछ खास करके नहीं दिखा पाते हैं वहीं वे दुनिया खासतौर से अमेरिका जैसे देशों की अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की बागडोर कैसे संभालने में कामयाब हो जाते हैं? पिछले दिनों भारत के पराग अग्रवाल द्वारा टिवटर कंपनी को संभालना इसका नवीनतम उदाहरण है। हालांकि इस से पहले भी दर्जन भर भारतीय मूल के लोग दुनिया की जानी मानी कंपनियों के सीईओ बन चुके थे। इनमें सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कंपनी एडोब के सीईओ शांतनु नारायण, आईबीएम के सीईओ अरविंद कृष्णा, माइक्रोन टेक्नालॉजी के संजय मेहरोत्रा, पालो आल्टो नेटवर्क्स के निकेश अरोड़ावीएमवेयर के सीईओ रघु रघुराम, अरिस्ता नेटवर्क की जयश्री उल्लाल, नेट एप के जार्ज कुरियन, फ्लेक्स रेवती अद्वैती, वीमियो की अंजलि सूद आदि शामिल है।   भारत में पले बढ़े पराग अग्रवाल ने आईआईटी से इंजीनियरिग की थी। यहां से निकलने के बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से कंम्प्यूटर साइंस में डाक्टरेट की। उन्होंने महज 10 साल बाद टिवटर में साफ्टवेयर इंजीनियर के रुप में नौकरी शुरु की। इसके पहले वह माइक्रोसाफ्ट, याहू और एटीएंडटी लैब्स में अनुसंधानकर्ता के रुप में नौकरी कर चुके थे। टिवटर में रहते हुए वह 2017 से चीफ टेक्नालाजी अफसर थे उसके बाद इस कंपनी के शेयरों में काफी उछाल आया। टिवटर कंपनी के संस्थापकों में एक जैक डोर्सी उन्हें बहुत पसंद करते हैं। पराग ऐसे समय इस कंपनी की कमान संभाल रहे हैं जब टिवटर को तरह-तरह की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। उस पर एक बड़ा आरोप यह लग रहा है कि यह कंपनी दबंग सरकार के दबाव में ही काम करती है। पराग ने मुंबई के एटामिक इंजीनियरिंग सेंट्रल स्कूल से अपनी शिक्षा शुरु की व उन्होंने टर्की में आयोजित अंतराष्ट्रीय भौतिक ओलंपियाड में स्वर्ण पदक भी जीता। उनकी मां एक अवकाश प्राप्त स्कूल शिक्षिका व पिता एटामिक एनर्जी विभाग में वरिष्ठ पद से रिटायर हुए हैं। उन्होंने आर्टीफिशियल इंटलीजेंस के इस्तेमाल से टिवटर को दुनिया में विशेष स्थान दिलाया। उनकी पत्नी विनीता स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में बायोफिजिक्स में स्नातक है। विनीता अग्रवाल स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन में फिजीशियन और असिस्टेंट क्लिनिकल प्रोफेसर के तौर पर काम कर रही हैं। टिवटर कंपनी का भारत में सरकार के साथ टकराव हुआ था व इस विषय के चलते रविशंकर प्रसाद की केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी हो गई। जैक डोर्सी ने पराग को सीईओ बनाने का फैसला तब लिया जब कि उन्हें प्रबंधक बोर्ड से हटाने की चर्चा शुरु हो गई। उनका कहना था कि पराग इस कंपनी को बहुत अच्छी तरह से गहराई से समझते हैं। पराग अपने बारे में कम ही बात करते हैं। उनका एक बेटा अंश है। उनका कहना था कि उनके यह पद संभालने के बाद तमाम विवाद पैदा हो सकते हैं जिनका हमें मिल जुल कर सामना करना होगा। वही डोर्सी का कहना है कि कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए गए तमाम फैसलों में पराग शामिल है। वह पूरा दिल लगाकर अपनी आत्मा की आवाज पर काम करते हैं। इन दिनों वे प्रोजेक्ट ब्लू स्काई पर काम कर रहे हैं जो कि सोशल मीडिया के लिए बनाया जा रहा है। वह बहुत गर्व से बताते है कि जिस पराग ने इस कंपनी में कभी इंजीनियर के रुप में नौकरी शुरु की थी वही अब इसका नेतृत्व करने जा रहे हैं। Read also दिल्ली की रैली जयपुर कैसे पहुंची? डोर्सी के पद छोड़ने व पराग द्वारा कंपनी की डोर संभालने के कारण टिवटर कंपनी के शेयर में 10 फीसदी बढ़ोत्तरी हो गई है। उनका कहना है कि अब हमें नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। हमारा लक्ष्य आने वाले समय में टिवटर का मुनाफा बढ़ा कर दुगुना करना है। यहां यह याद दिला दे कि डोर्सी टिवटर की डिजीटल पेमेंट कंपनी स्कावायर के प्रमुख हैं। पिछले साल उनकी प्रतियोगी कंपनी इलियाद मैंनेजमेंट ने उनकी माइक्रोब्लागिंग कंपनी की छुट्टी करवाने के लिए एक अभियान सा छेड़ दिया है। जब वे 2018 में भारत आए तो एक महिला ने हाथ में बोर्ड लेकर उनका विरोध किया था। जिस पर लिखा था कंपनी में ब्राम्हणवादी नेतृत्व को समाप्त किया जाए। विरोध करने वालों का आरोप था कि कंपनी की कुछ गतिविधियां जातिगत आधार पर लोगों के बीच नफरत फैलाती है। डोर्सी को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा था क्योंकि टिवटर ने उनका एकाउंट ब्लाक कर दिया था। उन्होंने 2006 में कुछ विवादों के कारण कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने यह पद पुनः संभाल लिया था। उन्होंने 2005 में इस कंपनी की स्थापना की थी। महज 37 साल में इतने ऊंचे पद पर पहुंचे इस युवक का जन्म 21 मई 1984 को हुआ। वह मूलतः अजमेर (राजस्थान) में पैदा हुआ व जानी मानी गायिका श्रेया घोषाल उसके साथ पढ़ी है व आईआईटी के लिए देने वाली जेईई परीक्षा में उसे 77 वां स्थान हासिल हुआ था। वे मां बाप और दादा दादी अजमेर के धान मंडी क्षेत्र में एक किराए के मकान में रहते थे। नौकरी के सिलसिले में पराग फिर मुंबई चल गया। पराग के दादाजी मुनीम का काम करते थे। उनके पूरे परिवार ने जीवन में काफी संघर्ष किया। अब पराग का वेतन 10 लाख डालर होगा इसके अलावा उन्हें 25 लाख डाॅलर के शेयर भी मिले। पराग अग्रवाल दुनिया की 500 बड़ी जानी मानी कंपनियों में सबसे कम उम्र के सीईओ हैं। उनकी व मार्क जुकरबर्ग की उम्र लगभग बराबर है हालांकि इतने बड़े पद पह पहुंचने के बाद पराग को सुंदर पिचई, सत्य नाडेला की तरह नहीं जाना जाता है। उन्होंने कर्मचारियों को भेजी अपनी ईमेल में लिखा है कि आप में से कुछ मुझे जानते हैं व कुछ को मैं जानता हूं। अब हम सब मिलकर तमाम सवालों के जवाब साझा करेंगे। अब हमारे बीचे सीधे बातचीत होगी। आमतौर पर काफी चुपचाप रहते हैं। संयोग से टिवटर के दो सबसे शक्तिशाली लोगों में से दो भारतीय शामिल है। इनके नाम पराग अग्रवाल व विजय है। कंपनी के निदेशक पराग को टिवटर के प्रबंधक बोर्ड में निदेशक भी निुयक्त किया जा रहा है।  पराग अग्रवाल के जीवन में हो चुकी एक घटना आजकल काफी चर्चा में है। उनके एक साथी के मुताबिक जब वे आईआईटी की जेईई परीक्षा दे रहे थे तो उन्होंने परीक्षा का काम देख रही महिला से सवाल लिखने के लिए अतिरिक्त कापी मांगी मगर उस महिला ने उन्हें यह कहते हुए आंसर शीट देने से मना कर दिया कि ऐसा नहीं हो सकता है। इस पर उन्होंने सभी निर्देशों को पढ़ा जिसमें लिखा था कि सभी अतिरिक्त सप्लीमेंट को सही तरह से बांधे इस पर उन्होंने परीक्षा लेने वाली महिला से कहा कि यह लिखा होना यह साबित करता है कि सप्लीमेंट लेकर बांध सकते हैं। आपको यह निर्देश देने की जरुरत ही नहीं होती। उनके मुताबिक इस वाद विवाद में उन्होंने काफी समय बरबाद कर दिया जिसका उन्हें बहुत दुख हुआ। वैसे भी बारहवीं की परीक्षा में प्रदेश में 10 वां स्थान हासिल कर चुके थे। मैं अक्सर ही इस कालम में तकदीर का जिक्र करता आया हूं। मेरा मानना है कि इंसान चाहे कितनी भी मेहनत क्यों न कर ले उसे जो कुछ मिलता है उसमें तकदीर की बहुत बड़ी भूमिका होती है। हम सब जानते हैं कि आईआईटी की भर्ती परीक्षा में पराग का 77 वां स्थान आया था इसका सीधा अर्थ यह है कि परीक्षा में 76 लोगों के उससे ज्यादा अंक हासिल किए थे। इनमें से कितने लोग किस कंपनी में किन ओहदों पर पहुंचे। हम यह नहीं जानते। निःसंदेह वे लोग उससे पढ़ने में कहीं अच्छे होंगे। इस तरह मैंने आज तक नहीं पढ़ा कि कभी हमने किसी नौसेना या वायुसेना या थल सेना की एनडीए की परीक्षा में टॉप किया हो फिर भी वे सर्वोच्च पद पर पहुंचे। इसका सीधा मतलब यही है कि उनकी किस्मत अपने बाकी साथियों की तुलना में कहीं ज्यादा अच्छी होती है। ऐसे ही कितने आईएएस परीक्षा पास करने वाले अभ्यार्थियों में कितने किसी मंत्रालय में या कैबिनेट सचिव बने। आप किस पद तक पहुंचेगे यह आपकी तकदीर तय करती है। इसलिए अक्सर किसी गीत के यह बोल बहुत अच्छे लगते है कि जो मिल गया उसे मुकद्दर समझ लिया क्या रेखाओं का खेल है, मुकद्दर रेखाओं से तुम मात खा रहे हो।
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