बेबाक विचार

सरकार को किससे डर?

ByNI Editorial,
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सरकार को किससे डर?
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार महंगाई- बेरोजगारी और चुनावी वादों को ना निभाने के अपने रिकॉर्ड से डरती है। राहुल गांधी की बात की पुष्टि शाम होते-होते खुद भाजपा नेताओं ने कर दी। बीते शुक्रवार को कांग्रेस ने महंगाई और बेरोजगारी के सवाल पर विरोध जताया। लेकिन उससे पहले सरकार ने इस पर जो सख्त प्रतिक्रिया दिखाई, वह हैरत में डालने वाली थी। आखिर सरकार को कांग्रेस से क्या डर है, जिसका वैसे ही मनोबल गिरा हुआ है? इसीलिए दिल्ली में विरोध प्रदर्शन शुरू करने से पहले राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में जो एक बात कही, उसने ध्यान खींचा। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को डर देश के सच से है। बढ़ती महंगाई- बेरोजगारी और चुनावी वादों को ना निभाने के अपने रिकॉर्ड से वह डरती है। राहुल गांधी की बात की पुष्टि शाम होते-होते खुद भाजपा नेताओं ने कर दी। कमान गृह मंत्री अमित शाह ने संभाली। उन्होंने कांग्रेस नेताओं के काली पट्टी लगाने को मुद्दा बनाया और उसे अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की निशानी बताया। शाह ने कहा कि कांग्रेस ने इसीलिए विरोध जताने का वह दिन- पांच अगस्त- चुना, जिस रोज अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास हुआ था। चूंकि वह खुल कर मंदिर का विरोध नहीं कर सकती थी, इसलिए महंगाई- बेरोजगारी के बहाने उसके नेताओं ने काली पट्टी पहनी। तो बात साफ है। वर्तमान सरकार नहीं चाहती कि चर्चा कहीं से भी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े असल मुद्दों की तरफ पहुंचे। बात अगर जाति-धर्म या भावनात्मक मुद्दों पर केंद्रित रहे, तो फिर कथानक के सूत्र भाजपा के हाथ में बने रहते हैँ। इसीलिए वह लगातार ऐसे मुद्दे उछालती रहती है। उसकी विरोधी जमातें उस पर प्रतिक्रिया में अपनी ताकत लगाए रखती हैं, लेकिन असल में उससे मकसद भाजपा का सधता है। मगर ये बात बदल जाएगी, अगर चर्चा में वे सवाल आ जाएं, जहां सरकार के पास पेश करने के लिए झूठे नैरेटिव के अलावा कुछ और नहीं है। इसीलिए सरकार लगातार आंकड़ों पर परदा डालती है या अगर कोई विदेशी एजेंसी कोई रिपोर्ट जारी करती है, तो उस पर उग्र प्रतिक्रिया दिखाती है। सरकार को संभवतः यह चिंता भी है कि राहुल गांधी और कांग्रेस कहीं सचमुच अगले दो अक्टूबर से असल सवालों को लेकर देशव्यापी पदयात्रा पर ना निकल जाएं। ऐसे में गांधी की ये आशंका सही है कि वे और कांग्रेस पर हमले अभी तेज होंगे।
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