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तीसरी लहर की हकीकत क्या है?

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तीसरी लहर की हकीकत क्या है?
Corona virus third wave स्पष्टता इसलिए जरूरी है क्योंकि इस समय देश सामान्य होने की ओर बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा संकेत यह है कि स्कूल-कॉलेज खुलने लगे हैं। ऐसा न हो कि तीसरी लहर की आशंका से यह प्रक्रिया रूक जाए। इसी तरह अगले चार महीने त्योहारों का सीजन होता है, जिससे देश की आर्थिकी पर बड़ा असर होता है। सो, तीसरी लहर की कोई भी भविष्यवाणी इसे भी ध्यान में रख कर की जानी चाहिए। भारत में कोरोना की तीसरी लहर आएगी या नहीं आएगी? आएगी तो कब आएगी और उसका कितना असर होगा? तीसरी लहर पूरे देश में फैलेगी या कुछ चुनिंदा राज्यों में ही असर दिखाएगी? अभी केरल को छोड़ कर देश के बाकी हिस्सों में कोरोना का संक्रमण काफी हद तक काबू में आ गया है। सो, केरल में यह स्थिति कब तक रहेगी और वहां तीसरी लहर की क्या संभावना है? ऐसे अनगिनत सवाल हैं, जिनका स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा है। सरकार की एजेंसियां कुछ और दावे कर रही हैं तो स्वतंत्र रूप से अध्ययन करने वाली एजेंसियों का दावा अलग है। ऊपर से विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्लुएचओ का अध्ययन अलग तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है। नीति आयोग कह रहा है कि तीसरी लहर ज्यादा बड़ी होगी तो डब्लुएचओ का कहना है कि भारत में तीसरी लहर की संभावना कम है। इस बारे में स्पष्टता इसलिए जरूरी है क्योंकि इस समय देश सामान्य होने की ओर बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा संकेत यह है कि स्कूल-कॉलेज खुलने लगे हैं। ऐसा न हो कि तीसरी लहर की आशंका से यह प्रक्रिया रूक जाए। इसी तरह अगले चार महीने त्योहारों का सीजन होता है, जिससे देश की आर्थिकी पर बड़ा असर होता है। सो, तीसरी लहर की कोई भी भविष्यवाणी इसे भी ध्यान में रख कर की जानी चाहिए। corona बहरहाल, नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल की भविष्यवाणी सबसे चिंताजनक है। डॉक्टर पॉल वैसे तो अपनी विश्सनीयता पिछले साल ही गंवा चुके हैं, जब उन्होंने कहा था कि मई 2020 तक भारत कोरोना से मुक्त हो जाएगा। हालांकि उस ऐतिहासिक गलती के बावजूद उनको नीति आयोग में सदस्य स्वास्थ्य बनाए रखा गया है और वे कोरोना पर भारत की टास्क फोर्स का भी नेतृत्व कर रहे हैं इसलिए उनकी बात को हलके में नहीं लिया जा सकता है। उन्होंने भारत सरकार को बताया है कि तीसरी लहर के पीक के समय एक दिन में पांच लाख केस आ सकते हैं। ध्यान रहे कोरोना की दूसरी लहर की पीक के समय एक दिन में सबसे ज्यादा चार लाख 12 हजार केस आए थे। अब नीति आयोग का कहना है कि पांच लाख केस एक दिन में आ सकते हैं। Read also  इस्लाम का सत्य और चीन की बर्बरता! इससे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि नीति आयोग ने इस बार अंदेशा जताया है कि तीसरी लहर में 23 फीसदी संक्रमितों को अस्पताल में भरती कराने की जरूरत पड़ सकती है। पिछले साल सितंबर में नीति आयोग ने कहा था कि दूसरी लहर में कुल 20 फीसदी संक्रमितों को अस्पताल में भरती कराने की जरूरत होगी। दूसरी लहर में एक जून 2021 को जब 18 लाख एक्टिव केस थे तब 21.74 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भरती कराना पड़ा था। इनमें से 2.2 फीसदी आईसीयू में भरती थे। अब अगर तीसरी लहर में 23 फीसदी संक्रमितों को अस्पताल में भरती कराए जाने का अनुमान है तो इसका मतलब है कि सरकारों को ज्यादा बेड्स और आईसीयू बेड्स का इंतजाम करना होगा। इस आधार पर डॉक्टर पॉल ने सरकार से दो लाख आईसीयू बेड्स का बंदोबस्त करने को कहा है। एक दूसरी रिपोर्ट गृह मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजेमेंट, एनआईडीएम ने तैयार की है। यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई है, जिसमें कहा गया है कि भारत में वैक्सीनेशन बहुत कम हुआ है और अगर यही स्थिति रही तो तीसरी लहर में भारत में छह लाख तक केस रोज आ सकते हैं। 23 अगस्त को बनाई गई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में साढ़े 10 फीसदी लोगों को दोनों टीके लगे हैं, जो कि बहुत कम है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सरकार एक करोड़ वैक्सीन हर दिन लगाने का लक्ष्य हासिल करती है तो तीसरी लहर के दौरान दूसरी लहर की पीक के मुकाबले 25 फीसदी केस देखने को मिलेंगे। इसमें तीसरी लहर सितंबर से शुरू होने और अक्टूबर में पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इसके बाद एक तीसरी रिपोर्ट आईआईटी कानपुर ने तैयार की है, जिसमें तीन संभावनाओं के बारे में बताया गया है। एक संभावना यह है कि अगर कोरोना को लेकर लगाई गई सारी पाबंदियां हटा ली गईं तो अक्टूबर के अंत तक तीसरी लहर का पीक आएगा और तब हर दिन मिलने वाले केसेज की संख्या सवा तीन लाख के करीब होगी यानी दूसरी लहर के पीक के मुकाबले कम। दूसरी संभावना यह है कि अगर वायरस का कोई नया वैरिएंट आ जाता है और देश में पाबंदियां नहीं लगी रहती हैं तो तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक हो सकती है और पीक के समय दूसरी लहर से ज्यादा केस आएंगे। तीसरी संभावना यह है कि वायरस का संक्रमण रोकने के मौजूदा उपाय लागू रहते हैं और पीक अक्टूबर के अंत तक टलता है तो हालात कम बिगड़ेंगे। तब बहुत खराब स्थिति में हर दिन दो लाख तक केस आ सकते हैं। नीति आयोग, नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट और आईआईटी कानपुर तीनों के आंकड़ों में भिन्नता है पर एक बात कॉमन है कि सितंबर-अक्टूबर में तीसरी लहर आएगी। ये तीनों संस्थाएं तीसरी लहर की संभावना को पक्का मान रही हैं। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का ऐसा नहीं मानना है। डब्लुएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण ‘एंडेमिक स्टेज’ में जा सकता है। ‘एंडेमिक स्टेज’ का मतलब है सीमित या स्थिर होने या समाप्त होने के चरण में जाना। उनका कहना है कि भारत में अब संक्रमण बहुत ज्यादा फैलने की संभावना कम है। उन्होंने यह भी कहा कि तीसरी लहर के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। अगर तीसरी लहर आती भी है तो वह कुछ खास इलाके तक सीमित रह सकती है। सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि वायरस अब कमजोर हो गया है और लोग इसके साथ रहना सीख रहे हैं यानी उनमें इम्युनिटी विकसित हो रही है। वैसे भी भारत में लोगों से लेकर खान-पान और पारिस्थितिकी तक की इतनी भिन्नता है कि वायरस एक जैसा असर नहीं डाल सकता है। भारत में तीसरी लहर और कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति के बारे में सौम्या स्वामीनाथन का आकलन बहुत राहत वाली बात है। लेकिन सवाल है कि भारत की एजेंसियों और डब्लुएचओ के आकलन के बीच इतना फर्क क्यों है? क्या नीति आयोग, एनआईडीएम या आईआईटी कानपुर वह तस्वीर नहीं देख पा रहे हैं, जो डब्लुएचओ को दिख रही है? आखिर भारत में 55 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज लग चुकी है और राष्ट्रीय स्तर पर हुए सीरो सर्वेक्षण के मुताबिक 67 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली है यानी देश की 67 फीसदी आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी है। ऐसे में अगर कोई नया वैरिएंट नहीं आता है तो पुराने वैरिएंट से कोई बहुत बड़ी लहर कैसे आ सकती है? इन्हीं एजेंसियों का कहना है कि वैक्सीन पुराने सारे वैरिएंट पर बहुत असरदार हैं और पुराने वैरिएंट्स से ही देश की ज्यादातर आबादी संक्रमित हुई है। फिर उन्हीं वैरिएंट से कैसे बहुत बड़ी आबादी संक्रमित हो सकती है? बहरहाल, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है और न इस बात से इनकार किया जा सकता है कि वायरस का नया वैरिएंट आ सकता है। इसलिए लोगों को सावधान करना और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है लेकिन यह ठीक नहीं है कि एक समय सीमा देकर लोगों को डराया जाए! सोचें, कैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स दिल्ली के निदेशक ने जून के मध्य में कहा था कि छह से आठ हफ्ते में तीसरी लहर आएगी। उनकी दी गई समय सीमा कब की बीत चुकी है और केरल को छोड़ कर लगभग हर राज्य में ज्यादाकर पाबंदियां हटा देने के बावजूद कोरोना नियंत्रण में है। इसलिए जब तक ठोस जानकारी न हो तब तक इस तरह का अनुमान लगाते रहना ठीक नहीं है कि तीसरी लहर सितंबर में आएगी और अक्टूबर में पीक पर पहुंचेगी!
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