बेबाक विचार

मीडिया की क्या जिम्मेदारी?

ByNI Editorial,
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मीडिया की क्या जिम्मेदारी?
अगर देश में दूसरे टीवी चैनलों और अखबारों का सुर देखें, तो वह भी अपने दर्शकों/ पाठकों को रोज यही बताते हैं। कभी-कभार किसी मुद्दे पर पिन भी चुभा देते हैं। तो गौतम अडानी की सोच के मुताबिक वे अपनी जिम्मेदारी ही निभा रहे हैं। देश के एक मशहूर टीवी चैनल समूह की खरीदारी लगभग पूरी कर लेने के बाद अब उद्योगपति गौतम अडानी जब कभी मीडिया की भूमिका के बारे में बात करेंगे, तो बेशक लोग उस पर ध्यान देंगे। जिस समूह- यानी एनडीटीवी- को उन्होंने खरीदा है, वह सचमुच आम अपेक्षाओं के मुताबिक मीडिया की भूमिका निभाता रहा है, इस बारे में उचित ही लोगों में अलग-अलग राय हो सकती है। बहरहाल, अब मुद्दा यह नहीं है कि पुराने प्रबंधन के तहत ये समूह क्या करता था। अब नजरें इस पर टिकी हैं कि अडानी के स्वामित्व में आने के बाद यह अपनी ‘जिम्मेदारियों’ को कैसे निभाएगा। इस बारे में अडानी ने जो कहा है, उससे बेशक एक साफ संकेत मिल गया है। एक ब्रिटिश अखबार को दिए इंटरव्यू में अडानी ने कहा कि मीडिया में उनका आना कारोबारी मौके के बजाय एक "जिम्मेदारी" है। मौजूदा समय में भारत को एक वैश्विक समाचार संगठन की जरूरत है जो अल-जजीरा जैसा हो और जो जरूरत पड़ने पर सरकार का समर्थन करे। उन्होंने कहा- "स्वतंत्रता का मतलब है कि जब सरकार कुछ गलत करे, तो आप उसे गलत कहें। लेकिन इसके साथ ही आप में यह हिम्मत भी होनी चाहिए कि जब सरकार हर दिन सही काम कर रही हो तो आपको उसे भी बताना चाहिए।" गौतम अडानी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी हैं। करीब 134 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ उनके कारोबारी हितों में ऑस्ट्रेलिया की कोयले की खदानों से लेकर भारत के व्यस्ततम बंदरगाह तक शामिल हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निकटता के लिए भी जाना जाता है। अक्सर वह प्रधानमंत्री की नीतियों का सार्वजनिक रूप से समर्थन करते नजर आते हैं। जाहिर है, वे मानते हैं कि मौजूदा सरकार लगभग हर रोज अच्छा काम कर रही है। अगर देश में दूसरे टीवी चैनलों और अखबारों का सुर देखें, तो वह भी अपने दर्शकों/ पाठकों को रोज यही बताते हैं। कभी-कभार किसी मुद्दे पर पिन भी चुभा देते हैं। तो गौतम अडानी की सोच के मुताबिक वे पहले से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। जाहिर है, एनडीटीवी भी आगे ऐसी ही भूमिका निभाएगा।
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