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भारतीय रेल अब राम भरोसे !

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भारतीय रेल अब राम भरोसे !

Indian Railways now Ram :  पांच साल पहले जब ‘बाहुबली’ फिल्म आई थी, तब सारा देश एक सवाल पूछता था ‘कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा’? आज उससे भी ज्यादा यह सवाल पूछा जा रहा है कि ‘भारत में नियमित ट्रेनों का चलना कब शुरू होगा’? यह विपक्षी पार्टियों या सरकार विरोधी बौद्धिकों का सवाल नहीं है, बल्कि आम लोग जानना चाहते हैं कि ट्रेनें पटरी पर कब लौटेंगी? हवाई जहाज कोरोना काल से पहले की 80 फीसदी क्षमता के साथ उड़ान भर रहे हैं, बसें चल रही हैं, मेट्रो सेवा शुरू हो गई है, विशेष ट्रेनें चल रही हैं पर ट्रेनों की नियमित सेवा नहीं शुरू हो रही है! अगर सार्वजनिक परिवहन सेवा शुरू होने से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलता है तो हवाई जहाज, विशेष ट्रेन, बसों, मेट्रो आदि से क्यों नहीं फैल रहा है? क्या कोरोना का वायरस सिर्फ नियमित ट्रेनों से फैलेगा?

Indian Railways now Ram :  कहीं ऐसा तो नहीं है कि आपदा को अवसर बना रही सरकार ने रेलवे के निजीकरण को लेकर जो फैसले करने शुरू किए थे, उन्हें आगे बढ़ाना है इसलिए रेलवे की नियमित सेवाएं रोकी गई हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि रेलवे को लेकर सरकार की मंशा कई बरसों से संदिग्ध है। प्रधानमंत्री ने जितनी बार कहा कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा, उतनी बार यह संदेह बढ़ता गया और अंत में सचमुच सरकार ने ट्रेनों, स्टेशनों, रेलवे की परिसंपत्तियों, भारतीय रेल से जुड़ी दूसरी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके साथ ही सरकार की यह मंशा भी साफ होने लगी कि वह रेलवे की परिचालन क्षमता को कम करना चाह रही है। ऐसा लग रहा है कि कोरोना महामारी के नाम पर कम ट्रेनें चला कर सरकार इस बात की परीक्षा कर रही है कि ज्यादा से ज्यादा कितनी ट्रेनों को बंद किया जा सकता है या कम से कम कितनी ट्रेनों से काम चलाया जा सकता है! Indian Railways now Ram :  बहुत संभव है कि नियमित ट्रेन सेवा शुरू हो तो पहले से चल रही कुछ ट्रेनों को बंद कर दिया जाए साथ ही कुछ स्टेशन और कुछ स्टॉपेज भी बंद किए जाएं। ऐसा संदेह इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार रेलवे के नेटवर्क का विस्तार करने की किसी योजना पर अभी काम नहीं कर रही है। ऊपर से रेलवे में भर्तियां बंद हैं, छंटनी चालू है। इस बात का रोना रोया जा रहा है कि रेलवे के पास अपने कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं। यह भी खबर है कि सरकार लंबी दूरी की ट्रेनों के पड़ाव कम करने पर विचार कर रही है। जीरो बेस्ड टाइम टेबल की चर्चा हो रही है, जिसके मुताबिक दो सौ किलोमीटर तक अगर ट्रेन के रूट पर कोई बड़ा शहर नहीं है तो ट्रेनें उस बीच किसी स्टेशन पर नहीं रूकेंगी। ऐसा ट्रेनों को समय पर चलाने के नाम पर किया जाना है। इस तरह का कोई भी फैसला आम लोगों के लिए परेशानी कई गुना बढ़ाने वाला होगा। Indian Railways now Ram :  भारतीय रेलवे इस समय कुल 682 विशेष ट्रेनें चला रही है। इसके अलावा 20 जोड़ी यानी 40 क्लोन ट्रेन शुरू किए गए हैं। इसके नाम से ही जाहिर है कि क्लोन ट्रेन पहले से चल रही किसी नियमित ट्रेन की तरह ही है। इसे क्लोन ट्रेन के नाम से क्यों चलाया जा रहा है, यह समझना मुश्किल नहीं है। जब नियमित ट्रेन चलती है तो उसमें किराए और टाइम टेबल से लेकर उसके स्टॉपेज तक का खास ध्यान रखना होता है। उसमें मनमाने तरीके से बदलाव नहीं किया जा सकता है। लेकिन विशेष ट्रेनों या क्लोन ट्रेन में ऐसे बदलाव बहुत आसान हैं। ऐसी ट्रेनों में किराया ज्यादा रखा जा सकता है और स्टॉपेज भी अपने हिसाब से तय किया जा सकता है। बहरहाल, 682 स्पेशल ट्रेनों और 40 क्लोन ट्रेनों के अलावा 416 त्योहार स्पेशल ट्रेन चलाए गए थे। त्योहार स्पेशल ट्रेनें 20 अक्टूबर से 30 नवंबर तक चलाई गई थीं। Indian Railways now Ram :  सोचें, भारतीय रेलवे कोरोना की महामारी शुरू होने से पहले हर दिन 13,523 ट्रेनें चलाती थी, जिसमें सवा दो करोड़ से ज्यादा लोग हर दिन सफर करते थे। साढ़े 13 हजार की जगह अब सिर्फ सात सौ के करीब ट्रेनें चल रही हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा होगा। सरकार ने कोरोना की महामारी के बीच सब कुछ अनलॉक कर दिया है। स्कूल-कॉलेज छोड़ कर लगभग सब कुछ चालू हो चुका है। पूरा देश सामान्य तरीके से चल रहा है। सरकार इस बात के लिए पीठ थपथपा रही है कि अर्थव्यवस्था  पटरी पर लौट रही है। लेकिन 13 हजार के करीब नियमित ट्रेनें बंद हैं। फिर लोग कैसे सफर कर रहे हैं? लोगों का आना-जाना कैसे हो रहा है? भारतीय रेलवे को भारत की लाइफ लाइन कहते हैं। सवा दो करोड़ लोग हर दिन इसमें सफर करते थे, जिनमें लाखों लोग हर दिन कारोबार करने वाले होते थे। जो एक शहर से दूसरे शहर कारोबार के सिलसिले में जाते थे। खरीद-फरोख्त के लिए जाते थे। लाखों लोग ट्रेन से रोज दफ्तर जाने वाले होते थे। लंबी दूरी की यात्रा करने वाले लाखों लोग भी होते थे। ये सब लोग या तो अपने घरों में बैठे हैं या निजी गाड़ियों से यात्रा करके अपने काम धंधे कर रहे हैं। सरकार को इनकी कोई परवाह नहीं है। Indian Railways now Ram :  कोरोना का संकट शुरू होने के बाद नियमित ट्रेन सेवा को 12 अगस्त तक बंद किया गया था। उस समय जब कोरोना संक्रमण के केसेज कम नहीं हुए तो नियमित ट्रेन सेवा 30 सितंबर तक बंद करने का फैसला किया गया। उसके बाद अगले दो महीने में यानी 30 नवंबर तक देश में कोरोना वायरस के केसेज की संख्या में तेजी से कमी आई है। रोजाना की औसत संख्या में भी कमी आई है और एक्टिव केसेज के मामले में तो भारत अब दुनिया के देशों में नौवें स्थान पर पहुंच गया है। पूरे देश में महज पौने चार लाख के करीब एक्टिव केसेज रह गए हैं। इनमें से भी ज्यादातर लोग सिर्फ चार राज्यों में हैं और होम आइसोलेशन में हैं। भारत में मरीजों के ठीक होने की दर 95 फीसदी हो गई है। इसके बावजूद सरकार नियमित ट्रेन सेवा शुरू करने के बारे में सोच भी नहीं रही है। हाल में ही एक प्रेस कांफ्रेंस में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने कहा कि नियमित ट्रेन सेवा कब से शुरू होगी, अभी यह बताना मुमकिन नहीं है। Indian Railways now Ram :  तभी सरकार की मंशा पर संदेह हो रहा है। उसने भारतीय रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की मंशा का साफ संकेत दे दिया है। पर उससे पहले कहीं ऐसा तो नहीं है कि सरकार रेलवे की सेवाओं को कम करके, ट्रेनों की संख्या घटा कर, स्टॉपेज कम करके, कर्मचारियों की संख्या घटा कर यानी रेलवे की सेहत सुधार कर उसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रह रही है? अभी भारतीय रेलवे का परिचालन घाटे का सौदा है पर चूंकि अब तक की सरकारें इसे मुनाफा कमाने वाले उपक्रम की बजाय सेवा देने वाले उपक्रम के तौर पर चलाती रही हैं, इसलिए घाटे के बावजूद रेलवे की सेवाओं का विस्तार ही किया गया। पर अब लग रहा है कि विस्तार करने की बजाय इसकी सेवाओं को घटाने की सोच में काम हो रहा है ताकि इसे मुनाफे का सौदा बनाया जा सके। ध्यान रहे रेलवे का परिचालन मुनाफे का सौदा होगा, तभी निजी कंपनियां इसमें दिलचस्पी लेंगी।
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