बेबाक विचार

सामाजिक संकट कहां जाकर रूकेगा

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सामाजिक संकट कहां जाकर रूकेगा
देश में क्या हो रहा है और आगे क्या होगा, इस राष्ट्रीय प्रश्न का ही एक हिस्सा यह है कि सामाजिक विभाजन की जो स्थितियां बन रही हैं और देश में हर मसले पर जिस तरह से पानीपत की लड़ाई का मैदान सज रहा है वह कहां जाकर रूकेगा? यह सवाल इसलिए है क्योंकि सरकारी स्तर पर और सरकार समर्थित संगठनों के स्तर पर व्यक्ति के निज व्यवहार और रहन-सहन को प्रभावित करने का प्रयास हो रहा है। धार्मिक समुदायों की परंपराओं और मान्यताओं को प्रभावित किया जा रहा है और लोगों को अपनी पहचान छिपाने, खान-पान और पहनावा बदलने के लिए बाध्य किया जा रहा है। वोट की राजनीति के लिए जातीय विभाजन को बढ़ावा दिया जा रहा है। ध्यान रहे जाति और धर्म हमेशा भारत की राजनीति की दो सबसे बड़ी फॉल्टलाइन्स रही हैं, जिनका इस्तेमाल मुगलों ने भी किया और अंग्रेजों ने भी किया। आजादी और लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ने इन दोनों फॉल्टलाइन्स को मिटाया नहीं था तो बहुत बारीक जरूर कर दिया था। राजनीतिक फायदे के लिए इसे चौड़ा किया जा रहा है। social crisis Hindu Muslim Read also व्यासजी अब क्या होगा? शादी के लिए धर्म परिवर्तन रोकने के नाम पर भाजपा शासित कई राज्यों ने लव जिहाद या धर्मांतरण विरोधी कानून बनाया है। इन कानूनों पर अमल से सरकारी तंत्र पता नहीं अलग अलग धर्म के कितने लोगों को शादी करने से रोक लेगा लेकिन इस कानून के बहाने दर्जनों कथित हिंदुवादी संगठनों ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है। मर्जी से शादी कर रहे लोगों को रोका जा रहा है, उन पर मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं या पुलिस बुला कर उनको प्रताड़ित किया जा रहा है। प्रेम सहज इंसानी व्यवहार है और शादी एक सामाजिक प्रक्रिया है, जिसे जोर-जबरदस्ती नियंत्रित करने का प्रयास व्यक्ति के तौर पर भी लोगों को परेशान करेगा और निशाना बनाए जा रहे बड़े समुदायों को भी प्रभावित कर सकता है। मुस्लिम समुदाय को निशाना बना कर यह कानून बनाया जा रहा है और इससे देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय के अंदर निश्चित रूप से अलगाव की भावना पैदा हो रही होगी। Hindu Mushalman Read also क्या करे, ऑप्शन ही नहीं! ऐसे ही गौरक्षा के कानून बनाए जा रहे हैं और कानून पर अमल करने वाली एजेंसियों से ज्यादा हिंदुवादी संगठनों के लोग इस कानून पर अमल कर रहे हैं। वे गौरक्षा के नाम पर लोगों को परेशान कर रहे हैं और यहां तक कि उनको पीट-पीट कर मार डाल रहे हैं। नागरिकता कानून में संशोधन करने नया कानून बनाया गया है। हालांकि कानून पास होने के दो साल बाद भी उसके नियम नहीं बने हैं लेकिन एक बड़े नागरिक समूह के मन में इससे असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया गया है। बात बात में भाजपा के नेता लोगों को पाकिस्तान जाने की सलाह देते हैं। तीन तलाक की प्रथा को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बता कर खारिज कर दिया लेकिन उसके बाद भी केंद्र सरकार ने तीन तलाक को संज्ञेय अपराध बनाने का कानून पास किया। अफगानिस्तान में तालिबान का शासन हुआ तो भारत में तालिबान को रोकने के लिए केंद्र सरकार से ज्यादा उत्साही उत्तर प्रदेश सरकार ने देवबंद के पास एटीएस का सेंटर बनाने का ऐलान कर दिया। उधर भाजपा शासित त्रिपुरा में लगातार हिंसा हो रही है, जिसमें विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेताओं के शामिल होने की खबरें हैं। त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में हिंदुवादी संगठनों की बड़ी बड़ी रैलियां निकलीं, जिनमें भाजपा नेताओं की मौजूदगी में इस्लाम धर्म और उसके प्रतीकों को अपमानित करने वाले नारे लगे। दिल्ली से सटे गुरुग्राम में कई हफ्तों तक शुक्रवार की नमाज के दौरान बड़ी संख्या में बजरंग दल के लोगों ने इकट्ठा होकर नमाज को बाधित किया। बाद में सार्वजनिक जगह पर होने वाली नमाज बंद करा दी गई और वहीं पर बजरंग दल के लोगों ने पूजा-पाठ शुरू करा दिया। अगर उत्तर प्रदेश में पिछले पांच साल में हुई पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए लोगों की सूची देखें या पुलिस हिरासत में हुई मौतों की सूची देखें तो हैरानी होगी। केंद्रीय कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे सिखों को खालिस्तानी साबित किया जा रहा है और हर ईसाई को भारत में धर्मांतरण का कारण माना जा रहा है। इन सारी घटनाओं और प्रवृत्तियों का लब्बोलुआब यह है कि देश बड़ा सामाजिक तनाव पैदा किया जा रहा है, जिससे धार्मिक और सामाजिक विभाजन की फॉल्टलाइन चौड़ी हो रही है। Read also राजनीति क्या सचमुच विकल्पहीन ऐसा नहीं है कि पहले मुसलमान अपने धर्म को लेकर कट्टर नहीं था या भारत और दूसरी इस तरह के देशों को दारूल इस्लाम बनाने का संकल्प लिए हुए नहीं था। लेकिन तब उसे दूसरी तरफ से बढ़ावा नहीं दिया जा रहा था या मजबूर नहीं किया जा रहा था। इसलिए वह प्रक्रिया बहुत धीमी थी और अगले पचास-सौ साल में कई आर्थिक, कूटनीतिक कारणों से यह प्रक्रिया रूक भी सकती थी। लेकिन अब उस प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है। एक तरफ सीमाएं असुरक्षित हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार है, जिसे पाकिस्तान नियंत्रित कर रहा है और पाकिस्तान का नियंत्रण चीन के हाथ में है, जिसकी नजर भारत के ऊपर है। ऊपर से भारत के अंदर सामाजिक और धार्मिक विभाजन बढ़ाया जा रहा है, जिसका फायदा चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान सब उठा सकते हैं। तभी यह समझ में नहीं आ रहा है कि विभाजन की यह प्रक्रिया कहां जाकर रूकेगी।
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