बेबाक विचार

ट्रंप को इतने वोट क्यों मिले ?

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ट्रंप को इतने वोट क्यों मिले ?
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव-परिणाम की घोषणा में चाहे देरी हो रही है लेकिन यह सवाल सबके दिमाग पर भारी पड़ रहा है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप को इतने ज्यादा वोट क्यों मिले हैं ? लगभग सारे चुनाव-पूर्व सर्वेक्षण गलत साबित क्यों हो रहे हैं? अमेरिका और उसके बाहर भी यह माना जा रहा था कि बड़बोले ट्रंप इस बार जबर्दस्त पटकनी खाएंगे। उन्हें आम मतदाताओं के वोट पिछले चुनाव की भांति (30 लाख) इस बार भी कम मिलेंगे बल्कि बहुत कम मिलेंगे लेकिन अभी तक जो भी आंकड़े सामने आए हैं, उनसे पता चल रहा है कि 2016 के मुकाबले उनके वोटों की संख्या बढ़ी है और सीनेट (राज्यसभा) के चुनाव में भी उनके उम्मीदवार जीत गए हैं। कांग्रेस (लोकसभा) में हालांकि डेमोक्रेट की संख्या बढ़ी है लेकिन कुल मिलाकर यदि ट्रंप हार भी गए तो भी अमेरिकी राजनीति में उनका दबदबा बना रह सकता है। रिपब्लिकन पार्टी में वे शायद किसी अन्य नेता को आगे आने नहीं देंगे। यहां सवाल सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी का नहीं है बल्कि उन करोड़ों अमेरिकी नागरिकों का है, जिन्होंने ट्रंप-जैसे आदमी को अपना अमूल्य वोट दिया है। जिन्होंने ट्रंप को वोट दिया है, वे लोग कौन हैं ? जाहिर है कि वे रिपब्लिकन पार्टी के लोग तो हैं ही, उनके अलावा वे लोग भी हैं, जो रंगभेद में विश्वास करते हैं, जो गौरांग लोग अपने आप को असली अमेरिकी समझते हैं, जो अमेरिका को संसार के सबसे बड़े दादा के रुप में देखना चाहते हैं याने जो उग्र राष्ट्रवादी हैं, जो लोग तू-तड़ाक शैली में बोलनेवाले नेता को पसंद करते हैं, जो अमेरिका के नवांगतुकों को अपनी बेरोजगारी का कारण समझते हैं, जो चीन-जैसे देशों पर मुक्का तानने को राष्ट्रीय गौरव का विषय मानते हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन, नाटो और यूएन जैसी संस्थाओं को अमेरिका का शोषण करनेवाली संस्थाएं समझते हैं और जो बेलगाम और अक्खड़ आदमी को ही नेता मानते हैं। ऐसे ही लोगों ने ट्रंप को इतने ज्यादा वोट दिलवा दिए हैं। इसका अर्थ क्या निकला? इसका सबसे पहला अर्थ यही है कि आज की अमेरिका की जनता में उचित-अनुचित का विवेक करने की बौद्धिक क्षमता बहुत कम है। दूसरा, यदि जो बाइडन जीत गए तो भी ट्रंप उन्हें तंग करने में कोई कसर उठा न रखेंगे। तीसरा, चुनाव के बाद जिस तरह की तोड़-फोड़ और हिंसा की खबरें आ रही हैं, वे बताती हैं कि इस वक्त अमेरिका दो खेमों में बंट गया है। चौथा, ट्रंप की धमकियों और आरोपों ने अमेरिकी लोकतंत्र पर धब्बे मढ़ दिए हैं। पांचवां, यदि हारने के बावजूद ट्रंप कुर्सी नहीं छोड़ते हैं और अदालतों के दरवाजे खटखटाते हैं तो अमेरिकी लोकतंत्र के इतिहास में वे एक काला पन्ना जोड़ देंगे।
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