अगर दुनिया के जानकार महामारी विशेषज्ञों की बात पर भरोसा करें तो 2023 का साल फिर से कोरोना की महामारी और लॉकडाउन का साल हो सकता है। दुनिया के देशों में जिस रफ्तार से कोरोना फैलना शुरू हुआ है वह इस आशंका की पुष्टि करता है। हालांकि भारत अभी इससे बचा हुआ है और भारत में एक्टिव केसेज तेजी से कम हो रहे हैं। फिर भी पिछले एक हफ्ते में भारत में एक हजार से ज्यादा नए केस आए हैं। जब दुनिया में नए केसेज बढ़े हैं तो भारत सरकार की भी नींद खुली है और संक्रमितों के सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग का काम फिर से शुरू करने की योजना बनी है। केंद्र ने राज्यों को चिट्ठी लिख कर कहा है कि वे ज्यादा से ज्यादा सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराएं ताकि नए वैरिएंट का पता लगाया जा सके।
भारत में यह चिंता चीन की वजह से बढ़ी है, जहां कोरोना नया वैरिएंट कहर बरपा रहा है। चीन में ओमिक्रॉन का सबसे खतरनाक वैरिएंट मिला है। इसे बीए.5.2.1.7 नाम दिया गया है। विशेषज्ञ इसे बीएफ.7 कह रहे हैं। यह ओमिक्रॉन के ही अलग अलग वैरिएंट्स के म्यूटेशन से बना है और बाकी वैरिएंट्स के मुकाबले ज्यादा घातक और संक्रामक है। ध्यान रहे ओमिक्रॉन बहुत संक्रामक था लेकिन वह डेल्टा वैरिएंट की तरह घातक नहीं था। उससे ज्यादा लोग संक्रमित हुए पर गंभीर संक्रमण बहुत कम लोगों को हुआ और मौत भी बहुत कम लोगों की हुई। लेकिन बीएफ.7 बहुत घातक भी है। इससे चीन में त्राहिमाम मचा हुआ है। इसका रिप्रोडक्शन रेट यानी दूसरों को संक्रमित करने की दर बहुत ज्यादा है। इस वैरिएंट से संक्रमित एक व्यक्ति 18 लोगों को संक्रमित कर रहा है। यहीं कारण है कि चीन में अब दिन में नहीं, बल्कि घंटों में केसेज दोगुने हो रहे हैं। यह वैरिएंट कोरोना से संक्रमित हो चुके और वैक्सीन ले चुके लोगों को भी संक्रमित करने में सक्षम है।
बाकी दुनिया के केसेज के बारे में बात करने से पहले चीन के संकट को समझना जरूरी है क्योंकि पूरी दुनिया में वहीं से कोरोना फैला है और अगर एक बार फिर उसके यहां कोरोना फैल रहा है और काबू में नहीं आ रहा है तो उसका असर पूरी दुनिया पर होगा। असल में चीन ने कोरोना के शुरू में ही ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ लागू कर दी। इसके तहत कंटेनमेंट और लॉकडाउन के बहुत सख्त नियम लागू किए गए। एक भी केस मिलने पर पूरे शहर को बंद कर दिया गया। लोगों को महीनों तक घरों में बंद रखा गया। लोग भूख से बिलबिलाते पर उन्हें छूट नहीं दी गई। इसका नतीजा यह हुआ कि वहां ज्यादा लोगों को कोरोना नहीं हुआ और ज्यादा लोगों ने वैक्सीन भी नहीं लगवाई। जब कोरोना का प्रसार नहीं हुआ तो चीन की सरकार ने भी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार का प्रयास नहीं किया। अब लोगों के विरोध के बाद चीन ने ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ में छूट दी तो अचानक लोग बाहर निकले और कोरोना की नई लहर का शिकार हो गए। ज्यादातर लोगों ने न तो वैक्सीन ली है और न उनके अंदर इम्युनिटी विकसित हो पाई है। चीन ने कोरोना संकट से मुकाबले के लिए स्वास्थ्य ढांचा भी विकसित नहीं किया है इसलिए अचानक अस्पतालों पर बहुत दबाव बढ़ गया है। वहां अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं, लोग मेडिकल स्टोर्स के बाहर दवा के लिए घंटों लाइन में लग रहे हैं और श्मशान व कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार का काम 24 घंटे चल रहा है, फिर भी प्रतीक्षा सूची लंबी होती जा रही है।
अमेरिकी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने चीन में कोरोना की स्थिति लेकर हैरान करने वाली रिपोर्ट दी है। अमेरिकी वैज्ञानिक और महामारी विशेषज्ञ एरिक फेगल-डिंग ने भी सोशल मीडिया पर चीन के चौंकाने वाले वीडियो शेयर किए हैं। उन्होंने अस्पतालों और श्मशानों के साथ दवा दुकानों की वीडियो दिखाई है, जहां लोगों की लंबी लाइन लगी है। उन्होंने कोरोना पर बड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि तीन महीने में चीन की 60 फीसदी आबादी यानी दुनिया के 10 फीसदी लोग कोरोना से संक्रमित होंगे। अकेले चीन में करीब 10 से 21 लाख मौतों की आशंका है। एरिक फेगल-डिंग ने चीन की सरकार को ही इसका जिम्मेदार ठहराया। अब चाहे चीन सरकार की वजह से हालात बिगड़े या किसी और वजह से लेकिन हकीकत यह है कि पूरी दुनिया फिर से संकट में आ सकती है। क्योंकि दुनिया भर के देशों ने तमाम प्रोटोकॉल हटा दिए हैं और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें पूरी क्षमता से चल रही हैं। इसलिए पूरी दुनिया में कोरोना के फैलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
चीन के साथ साथ उसके कम से कम तीन पड़ोसी देशों- जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान में भी कोरोना के केसेज तेजी से फैल रहे हैं। चीन तो अपने यहां नए केसेज के आंकड़े छिपा रहा है। लेकिन बाकी देशों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। कोरोना के केसेज पर नजर रखने वाली वर्ल्डोमीटर के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक इस हफ्ते के शुरू में एक दिन में ताइवान में 17, हजार से ज्यादा नए केस मिले थे। दक्षिण कोरिया में तो 88 हजार नए केस मिले थे। जापान में एक लाख 85 हजार नए केस मिले हैं और अमेरिका में भी 25 हजार से ज्यादा नए केस सामने आए हैं। यूरोपीय देशों में फ्रांस और जर्मनी में संक्रमण तेजी से फैला है। फ्रांस में 71 हजार और जर्मनी में 52 हजार से ज्यादा नए केस मिले हैं। भारत में सिर्फ 103 नए केस मिले हैं लेकिन पूरी दुनिया में मंगलवार को साढ़े पांच लाख से ज्यादा नए केस मिले हैं और 14 सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। एक हफ्ते में दुनिया भर में 35 लाख से ज्यादा नए केस मिले और 10 हजार के करीब लोगों की मौत हुई है। यह निश्चित रूप से चिंता में डालने वाला आंकड़ा है।
तभी सवाल है कि अब क्या इस चिंता में दुनिया वापस 2020 और 2021 के समय में लौटेगी? क्या फिर से दुनिया भर में लॉकडाउन लगेगा? क्या फिर से वैक्सीनशन का नया दौर शुरू होगा? कहा नहीं जा सकता है। लेकिन ध्यान रखने की जरूरत है कि पूरी दुनिया में त्योहारों का समय चल रहा है। वर्षांत की छुट्टियां चल रही हैं और दुनिया दो साल बाद पहली बार पूरी छूट के साथ घूमने निकली है। चीन में भी नए साल की छुट्टियां होने वाली हैं और सबको पता है कि वहां किस तरह से लोग छुट्टी मनाने निकलते हैं। ऐसे में वर्षांत और नए साल के स्वागत समारोह के बाद कोरोना केसेज में बड़ा इजाफा हो सकता है। चीन में तो 90 करोड़ लोगों के संक्रमित होने और 10 से 21 लाख तक लोगों की मौत का अनुमान लगाया जा रहा है। अमेरिका, यूरोपीय देशों और भारत में हालांकि ज्यादा खतरा नहीं है क्योंकि इन देशों में वैक्सीन की दो डोज ज्यादातर लोगों को लग चुकी है और बड़ी आबादी तीसरी डोज भी लगवा चुकी है। फिर भी सावधानी बरतने से ही बचाव संभव है।
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