बेबाक विचार

फ्रांस में मजूदर अशांति

ByNI Editorial,
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फ्रांस में मजूदर अशांति
फ्रांस में एक साल जारी येलो वेस्ट आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के जन्म दिन के मौके पर आंदोलनकारियों ने उनके कार्टूनों के साथ प्रदर्शन किया। इस बीच अब अंदेशा जताया जा रहा है कि सरकार और ट्रेड यूनियनों के बीच पेंशन योजना में सुधार पर बात नहीं बनने के बाद हजारों यात्रियों की क्रिसमस की छुट्टियों पर पानी फिर सकता है। फ्रांस के प्रधानमंत्री ने एक ट्रेड यूनियन संगठन सीएफडीटी के प्रमुख लॉरां बर्गर से भी हड़ताल को खत्म करने के उद्देश्य से बात की। इस मुलाकात के बाद बर्गर ने पत्रकारों से कहा- "हम किसी भी समझौते पर पहुंचने से बहुत दूर हैं।" ट्रेड यूनियम महासंघ सीजीटी और उसकी रेल यूनियन हड़ताल को जारी रखने की बात कह रहे हैं, लेकिन छोटे मजदूर संगठनों ने स्कूलों की छुट्टियों तक हड़ताल को रोकने की बात कही है। पिछले हफ्ते कई दौर की चली बैठकों के बाद भी सरकार और यूनियन किसी अंतिम फैसले पर पहुंचने में विफल रहे। इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने इस बात के संकेत दिए कि वह यूनिवर्सल प्वाइंट बेस्ड पेंशन प्रणाली के प्रस्ताव में कुछ सुधार करने के लिए तैयार हैं। इसके बावजूद फ्रांस में परिवहन हड़ताल फिर भी जारी है। यूरोपीय देशों में हर कहीं परंपरागत पेंशन सिस्टम दबाव में है। आबादी घट रही है, पेंशन कोषों में योगदान देने वाले लोग कम हो रहे हैं, लेकिन बढ़ती औसत उम्र के कारण पेंशन के भुगतान की अवधि बढ़ रही है। मौजूदा पेंशन प्रणाली की वजह से 2025 तक सरकार को 13 खरब रुपए का घाटा हो सकता है। राष्ट्रपति मैक्रों फ्रांस में एक यूनिवर्सल प्वाइंट बेस्ड पेंशन प्रणाली लागू कर स्थिति में बेहतरी लाना चाहते हैं। उनका इरादा इसे फ्रांस की मौजूदा पेंशन स्कीम को बदलने का है। फ्रांस में कामकाजी वर्ग पेंशन योजना में प्रस्तावित सुधारों से नाराज है। नए प्रस्तावों के लागू होने के बाद तय समय से पहले रिटायर होने वालों को कम पेंशन मिलेगी। पेंशन सुधारों के खिलाफ हड़ताल में शिक्षकों और परिवहन कर्मचारियों के साथ पुलिस, वकील, अस्पतालों के कर्मचारी, हवाई अड्डे के कर्मचारी और अन्य कामकाजी लोग भी शामिल हो गए हैं। पांच दिसंबर से शुरू हुए इस आंदोलन में मंगलवार को छह लाख से ज्यादा लोग फ्रांस की सड़कों पर आंदोलन करने के लिए उतरे। येलो वेस्ट आंदोलन पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी के बाद शुरू हुआ था। अब दोनों आंदोलन मिल गए हैं। इससे फ्रांस सरकार की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
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