नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और उसका विशेष दर्जा खत्म करने के अपने फैसले के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने अपना जवाबी हलफनामा दायर किया और अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि राज्य को आतंकवाद से मुक्ति दिलाने के लिए अनुच्छेद 370 को खत्म करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था।
सोमवार को सर्वोच्च अदालत में दाखिल हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा है कि जम्मू कश्मीर बीते तीन दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा था। इसको खत्म करने के लिए अनुच्छेद 370 हटाना ही एकमात्र विकल्प था। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ घाटी में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है और इस ऐतिहासिक कदम ने क्षेत्र के आम आदमी पर अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। सरकार ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के लोग अब पर्याप्त आय के साथ शांति, समृद्धि और स्थिरता से जी रहे हैं।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है- आजादी के बाद पहली बार इस क्षेत्र के निवासियों को वही अधिकार मिल रहे हैं, जो देश के अन्य हिस्सों के निवासियों को मिल रहे हैं। इसकी वजह से क्षेत्र के लोग मुख्यधारा में आ गए हैं। इस तरह अलगाववादी और राष्ट्र विरोधी ताकतों के भयावह डिजाइन को अनिवार्य रूप से विफल कर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा है- आज कश्मीर में स्कूल, कॉलेज, उद्योग सहित तमाम आवश्यक संस्थान सामान्य रूप से चल रहे हैं। प्रदेश में औद्योगिक विकास हो रहा है। कभी डरकर जी रहे लोग आज सुकून की जिंदगी जी रहे हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किया था और राज्य का विभाजन किया था। उसके बाद इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं, जिन पर सोमवार को सुनवाई शुरू हुई। अदालत ने इन याचिकाओं के खिलाफ दायर अपने हलफनामे में राज्य के विकास, शांति और राज्य में किए गए निवेश की भी जानकारी दी। केंद्र ने जानकारी दी है कि आतंकवादी-अलगाववादी एजेंडे के तहत वर्ष 2018 में 1,767 संगठित पत्थर फेंकने की घटनाएं हुई, जो 2023 में मौजूदा तारीख तक जीरो हैं। सरकार ने कहा कि अब राज्य में कोई हड़ताल नहीं होती है और आतंकवादियों की भर्ती भी बंद हो गई है। यह भी बताया गया है कि राज्य में 78 हजार करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव आया है।