नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर मंगलवार को आठवें दिन सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ इसकी सुनवाई कर रही है। पिछले हफ्ते छठे दिन की सुनवाई में ही चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों को जल्दी अपनी दलीलें पूरी करने को कहा था लेकिन आठवें दिन भी याचिकाकर्ताओं की दलीलें चलती रहीं।
मंगलवार को आठवें दिन की सुनवाई में याचिकाकर्ता की तरफ से वकील दिनेश द्विवेदी ने दलील देते हुए कहा- 1957 में जम्मू कश्मीर का संविधान लागू होते ही अनुच्छेद 370 खुद ही खत्म हो जाता है। इसके जवाब में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- जब तक हम यह स्वीकार नहीं करते कि अनुच्छेद 370 साल 2019 तक अस्तित्व में था, संसद के अधिकार क्षेत्र पर कोई रोक नहीं होगी। अगर हम आपकी दलील मान लें तो संसद की शक्ति पर कोई रोक नहीं लगेगी।
बहरहाल, इससे पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि अनुच्छेद 370 को अनुचछेद 370 (3) का इस्तेमाल करके खत्म नहीं किया जा सकता था। सरकार ने अपने हितों के चलते ऐसा किया। इस पर अदालत ने कहा था- हमारा काम यह देखना है कि मामले में संविधान का उल्लंघन हुआ है या नहीं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, दुष्यंत दवे, शेखर नफाड़े और दिनेश द्विवेदी ने दलीलें दी हैं।