नई दिल्ली। राष्ट्रीय चर्चा का विषय रहे भीमा कोरेगांव मामले में दो आरोपियों को पांच साल बाद जमानत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने दो आरोपियों वेरनन गोंजाल्वेस और अरुण फरेरा को 28 जुलाई को सशर्त जमानत दी। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा- दोनों आरोपियों को हिरासत में पांच साल हो चुके हैं। उन पर गंभीर आरोप हैं, लेकिन केवल इस आधार पर उन्हें जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
गौरतलब है कि गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपी महाराष्ट्र की जेल में ही रखे गए हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट से जमानत नामंजूर होने के बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। दोनों ने कहा था कि हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जबकि इसी मामले में सह आरोपी सुधा भारद्वाज को जमानत दे दी। उनकी दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाई शर्तों के मुताबित दोनों आरोपी महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकते हैं। इसके अलावा आदेश में यह भी कहा गया है कि उनके पास एक एक मोबाइल फोन होगा, जिसे ऑन रखना होगा और साथ ही लोकेशन भी हमेशा ऑन रखनी होगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे में भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई हिंसा के सिलसिले में कई वामपंथी कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्हें अर्बन नक्सल बताया गया था और उनके कंप्यूटर से कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद होने का दावा किया गया था।