नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव का धुआंधार चुनाव प्रचार थम गया है। पांच फरवरी यानी बुधवार को विधानसभा की 70 सीटों पर मतदान होगा। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर 699 प्रत्याशी मैदान में हैं। चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे के खिलाफ तीखे हमले किए। तीनों पार्टियों के बीच दिल्ली के मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन चुनावी वायदे करने की होड़ हुई।
इस बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव सत्तारूढ़ ‘आप’ के शासन और अरविंद केजरीवाल पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है। ‘आप’ जहां लगातार तीसरी बार अपना गढ़ बचाने की कोशिश कर रही है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 26 साल का वनवास समाप्त कर सत्ता में वापसी की पूरजोर कोशिश में है। वही कांग्रेस 12 साल बाद दिल्ली की सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेने के लिए दमखम लगा रही है।
भाजपा ने आप को सत्ता से बेदखल करने के लिए अपने 40 स्टार प्रचारकों की फौज उतारी थी, जिसकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल रखी थीं। मोदी ने यहां पर चुनाव प्रचार के दौरान तीन चुनावी रैलियों को संबोधित किया और लोगों से आप-दा को हटाने और भाजपा को शासन में लाने की अपील की।
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भाजपा की ओर से 22 और आम आदमी पार्टी के नौ रैलियां और रोड शो आयोजित किये गये। आप के लिए श्री केजरीवाल और श्री संजय सिंह सहित तमाम नेताओं ने वोट मांगा। वहीं भाजपा की ओर से श्री नड्डा और श्री शाह सहित तमाम बड़े नेताओं ने लोगों से दिल्ली के विकास के लिए भाजपा को वोट देने की अपील की।
भाजपा ने इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में श्री केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके सरकारी आवास पर हुए खर्चे को लेकर आप पर हमला किया। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान श्री केजरीवाल के आवास को प्रमुख मुद्दा बनाया और शीश महल नाम से उसके खिलाफ अभियान चलाया। इसके साथ ही भाजपा यमुना की सफाई, शराब घोटाले को प्रमुख मुद्दा बनाया और आप पर पाठशाला की जगह मधुशाला खोलने का आरोप लगाया।
इस बार कांग्रेस ने श्रीमती शीला दीक्षित के शासन काल में यहां हुए विकास के कार्यों को हवाल देकर लोगों से वोट देने की अपील। पार्टी ने सड़क, पानी, बिजली और शिक्षा की बदहाली को प्रमुखता से उठाया और लोगों को बेरोजगारी और महंगाई से मुक्ति दिलाने का वादा किया।
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के आंकड़ों के अनुसार पांच फरवरी को 13,766 मतदान केंद्रों पर 1.56 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र हैं। इनमें से 83.76 लाख पुरुष, 72.36 लाख महिलाएं और 1,267 ‘थर्ड जेंडर’ के मतदाता हैं। मतदान प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए दिव्यांगजनों के लिए 733 मतदान केंद्र निर्धारित किए गए हैं।