Chief Justice Election Commissioners: देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से चीफ जस्टिस ने अपने को अलग कर लिया है।
इस मामले की सुनवाई छह जनवरी से शुरू होने वाली है और अब इसके लिए नई बेंच का गठन किया जाएगा।
गौरतलब है कि दो मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा।
इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया था। इसमें मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल थे।
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संसद ने 21 दिसंबर 2023 को कानून बनाया
गौरतलब है पांच जजों की बेंच ने फैसले में कहा था कि तीन सदस्यों का पैनल तभी तक नियुक्ति करेगा, जब तक संसद से कानून नहीं बन जाता है।
संसद ने 21 दिसंबर 2023 को कानून बना दिया, जिसमें चीफ जस्टिस को पैनल से हटा दिया गया और उनकी जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया, जिसे प्रधानमंत्री चुनेंगे।
नए कानून के मुताबिक प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और नेता प्रतिपक्ष की सदस्यता वाली कमेटी मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेगी।
केंद्र सरकार के बनाए इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने याचिका दायर की है।(Chief Justice Election Commissioners)
इस विवाद के बावजूद केंद्र ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया था।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के बनाए पैनल को एक भी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मौका नहीं मिला। अब चीफ जस्टिस ने इस कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से अपने को अलग कर लिया है।