नई दिल्ली/मुंबई। महाराष्ट्र नई सरकार का शपथ ग्रहण सोमवार को हो सकता है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है। इसलिए उससे पहले नई सरकार का गठन जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। तभी शनिवार को नतीजे आने के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेजी से चल रही हैं। सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक हो सकती है, जिसमें नेता चुना जाएगा। उससे पहले रविवार को एनसीपी विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें अजित पवार को नेता चुना गया।
जानकार सूत्रों का कहना है कि राज्य में मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री बनाने के फॉर्मूले पर विचार हो रहा है। अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के नेता देवेंद्र फड़नवीस सबसे आगे बताए जा रहे हैं। हालांकि देर शाम तक यह तय नहीं हुआ था कि मुख्यमंत्री कौन होगा। शिव सेना के नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी दावेदार बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि गठबंधन धर्म का पालन करते हुए यथास्थिति रखनी चाहिए क्योंकि उन्हीं के नेतृत्व में और उनके कामकाज पर चुनाव हुआ था।
बहरहाल, रविवार की शाम को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दोनों उप मुख्यमंत्री यानी देवेंद्र फड़नवीस और अजित पवार दिल्ली पहुंचे। माना जा रहा है कि देर रात तक सरकार गठन के तमाम पहलुओं पर सहमति बन जाएगी। कहा जा रहा है कि छह से सात विधायक पर एक मंत्री पद का फॉर्मूला बन सकता है। महायुति की पार्टियों के लिए अगर यह फॉर्मूला बनता है तो भाजपा के 22 से 24, एकनाथ शिंदे की पार्टी 10 से 12 और अजित पवार की पार्टी के आठ से दस विधायक मंत्री बन सकते हैं।
बताया जा रहा है कि सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक होने और नेता चुने जाने के बाद ही मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होगा। उससे पहले रविवार को प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं की बैठक हुई। देवेंद्र फड़नवीस के बंगले पर प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश की बैठक हुई। बावनकुले ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की और विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि उनको अपनी करनी का फल मिला है इसलिए इस बार विधानसभा में कोई मुख्य विपक्षी पार्टी या विपक्ष का नेता नहीं होगा।
बताया जा रहा है कि सोमवार को भाजपा विधायक दल के नेता का चुनाव होने के बाद सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा और राजभवन में शपथग्रहण समारोह हो सकता है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव नतीजों के बाद कहा था कि चुनाव के पहले तय नहीं था कि जिसकी ज्यादा सीटें होंगी, उसका ही सीएम बनेगा। गौरतलब है कि सत्तारूढ़ महायुति को 230 सीटें मिली हैं। 149 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा ने सबसे ज्यादा 132 सीटें जीती हैं।