नई दिल्ली। राजनीतिक दलों और नेताओं के बढ़ते भ्रष्टाचार का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है और अदालत ने इस मामले में नोटिस जारी किया है। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को राजनीतिक दलों में बढ़ते भ्रष्टाचार और धन शोधन से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने राजनीतिक दलों के कामकाज पर कड़े नियम बनाने को लेकर जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर पार्टियों में बढ़ते भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता, अपराधीकरण और धन शोधन पर कोर्ट से कार्रवाई करने और नियम बनाने की मांग की थी। याचिका में दावा किया गया कि हाल ही में एक ऐसा राजनीतिक दल पकड़ा गया जो 20 फीसदी कमीशन लेकर काला धन सफेद करता है। उन्होंने कहा है कि पार्टियां अपराधियों और तस्करों से पैसे लेकर उन्हें अलग अलग पदों पर नियुक्त करती हैं। कई अलगाववादी भी पार्टी बनाकर चंदा ले रहे हैं।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। गौरतलब है कि 27 अगस्त को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की एक रिपोर्ट आई थी। रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 45 फीसदी विधायक और 46 फीसदी सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 29 फीसदी गंभीर मामलों का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा एडीआर ने यह भी बताया था कि देश में नाममात्र के वोट पाने वाली पंजीकृत पार्टियों की आय 2022-23 में 223 फीसदी बढ़ गई। यह खबर भी आई थी कि चंद हजार वोट पाने वाली पार्टियों को सैकड़ों करोड़ रुपए का चंदा मिला है।